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कंखं, विगिचेह विइकिच्छं, पमाएह कुसमय-पससं । सम्मत-सार- रहिए मा सह उत्त पर कुमिच्छ भी हो यहा पापाले पनि गिरिम्स टेम्मि जटिल का बि सिरेमा मुंह तह विजय ॥ ति । २३९ ) एवं सण-रवणं जाणं पुणभुणसु मए भणि एकारसंग चोट्स-पुव्वं भविव्धरियं ॥ एक्कमिव जम्मि पदे संवेयं कुणइ वीयराग-मए । तं तन्स होइ णाणं जेण विरागत्तणमुवेइ ॥ किंबहुना वि एणं किं वा बहुणा विपणिं मिता पम्मि बहुए गया सिद्धं ॥ तदा करे जसे सण-वरणे सव्वभावेणं दंसण चरहिं विणा ण सिसिरे णाण-सहिया वि ॥
९ ३४० ) जागेण होइ किरिया किरिया कीरड् परस्स उवएसो । चारित्ते कुणह मणं तं पंच मद्दव्वए होइ ॥ पाणिवहालिय-वयणं अदिण्णदाणं च मेहुणं चेय । होइ परिग्गह-सहियं एएसु य संजमो चरणं ॥ एयाई पावयाई परिवजेतो करेसु विरहं तु । इह परलोए दुह-कारयाइँ वीरेण भणियाई ॥ जो हिंसभी जियाणं णि उध्येय-कार पाछे । अमुदो घेराबंधी वरेण ण मुच कथा वि ॥
निंदिजद सजणे बह-बंधं घाय-दुक्ख-मरणं या पावइ इर्द थिय गरो पर छोए पाए र ॥
सब्वं च इमं दुक्खं जं मारिज्जद्द जिओ उ रसमाणो । जह अप्पा तह य परो इच्छइ सोक्खं ण उण दुक्खं ॥ जह मम णपियं दुक्खं सोक्खत्थी जह अहं सजीयस्स । एमेव परो वि जिभो तम्हा जीवाण कुण अभयं ॥
६३४१) एवं च साहिए भगवया तित्थवरेण पुच्छि गणहर-देवेण 'भगवं, कदं पुण हिंसा भन्न 15 भगवया भणियं ।
अवरे विहियं ति इमं इमस्स जायस्स मरण-जम्मं वा । तं होज अवस्यं चिय मिस-मेत्तो मज्झ अवराहो ॥ अवरे भणति विद्दिणा एसो अह पेसिओ महं वज्झो। तस्सेव होउ पुण्णं पावं वा मज्झ किं एत्थ ॥ अण्णे पुण पविणा कम्म यसो कम्म-बोड्यो जीवो कम्मेगं मारिजइ मारेद व कम्म-परयत्तो ॥
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इय एवमाइ अण्णाण बाणो जे भणेति समनुं तं स लिये चिष जीव-बड़े होंति दोाई ॥ जीवो अगाइ-पिणो सयं देवरम्मि संकम देदानो से ण सुई चिज होइ दुर्क्स से ॥ ऊसास-इंदियाई भिंतर बाहिरा इमे पाणा ताणं विभोय करणं पमत्त-जोएन सा हिंसा अद तेहिँ विजेतस्स वस्स जीवस्स दुस्सहं दुखं जं उप्पन तिल-तेलाण परोष्परमणुगय सरिसस्य जीव देहव्स एवं सादिए सुरासुर-गुरुणा पुच्छिवं भगवया गोवम- सामिप्त
दुखं
33 केरिसेण पुरिसेण रक्खिर्ड तीरह' ति । भगवया अणियं ।
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कुवलयमाला
देवर-संक्रमणं कीरह करें णाम तस्सेव ॥
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जीवो जणादि-गणो सो कद मारिए जग हे एक्के भणति एवं भण्णे उण वाइणो जहा सुहुमो । ण यं सो केणइ जीवो मारिज्जइ णेय सो मरइ ॥ अणे भगति पुरिसा सम्यगय एस तस्स कह पात्रो अग्ने पुण पडिवण्णा अणुमेतो केण सो बदिओ ॥ अवरे भांति एवं उड गई किर जिओ सभावेण । अच्छइ देह-निबद्धो जो मोयइ धम्मिओ सो अवरे भणति कुमइच्छूढो अह एस अच्छइ वराओ । अह जोणि-विप्पमुको वच्च सुगईसु आवेओ ॥ अपणे भणति मूढा पुराण-घरयाउ पइसइ णवम्मि । को तस्म होइ पीडा देहंतर-संकमे भणसु ॥ अण्णे भणति पुरिसा एएणं मारिओ अहं पुवि । तेण भए मारिज्जद्द दिज्जइ तस्सेय जो देइ ॥
हु ॥
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देहे वह पावो तस्स सो भनियो । विमोनो कीरह जो कुणद सो पावो ॥ चि भगवे, इमं पुण पाणाइवाय चेरमर्ण महावय-स्वर्ण
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भवे
for इमे, P ताओ for ताणं, अमत्तजोरण. 32 ) Pपुच्छिउं उ गोतम, गोयमगणJom. पुरिसे .
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1) P विगिच्छेद, J विगिच्छं, P कुसुमय 2 ) सामत्थं व for मा सज्जह, परकुडिच्छे ।, P सो for भो, P कणं for कथं, P om. तुम्हा3 ) P पायालो, J पण्हेछिज्जह, P कई वि. 4 ) 3 पुण भणसु, P पुच्छं for पुव्वं, J अण्णं for अस्थं 5 ) P एक्कमि जो पयमी संवेगं वीतरागमते P वीयमए, ता for तं, उ जोण for जेण. 6 ) J om. वि before एत्थ. 7) P करेसु जुत्तं, P चरण, दंसणचरणेसु विणा 8 ) 3 om. one किरिया, P की रस्सर, P उवएसा. 10) पवित ति for 3, P दुह काई वीरेण वीरेहिं. 11) हिमओ for हिंसओ, P उब्वियकारणो, अहो रोदाबंधो, कयाइ ॥. 12 ) 3 adds or before वहबंधं, वहबंधधाय णरओ for रवं 13 ) J जयंमि for 3, P वि for य, सोक्खे. 14) अभयं, 15 ) तित्थंकरेण, गणधर P inter. कह & पुण. 17 ) P अणाइ, P सो किर माणिज्जए जणिण इहं, J जाण माग for जऍ णाम, P जय for जए. 18) पुण for उण, P वारणा, P क्खेण वि for केगर, Padds त्ति after मरइ. 19 ) P को for कह, P अतरे उण for अण्णे पुण, अणुमेत्ता 20 ) P एयं ढगती, P सहात्रेण, P जो मायाइ, P साहू for सो हु. 21 ) कुई, विपत्तो, P मुच्चइ for वच्चउ, P सुगई सुयात्रेयो. 23 ) " पु०नं, Pom. दिज्जर, P वेइ for देइ. 24 ) जीवरस for जायरस, होइ for होज्ज 25 ) तरसेय तस्सव, जोओ for होउ. 26 ) P उण for पुण, P पडिवन्नो, P परियत्तो. 27 ) एवमाति अण्णाणवातिणो । अन्नाणवाणो भणति, P होइ for होति. 28) संभमइ for संकमइ, P सोणय अहं सो
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सुहं for से सुहं ( emended ) 29 ) P इंदियाई भवति भतरा इमे 30 > Pom. तस्स. 31 ) P तिलतेलाण, सरिसं जिअरस देहरस P जं for जो हारिणा, पाणातिवात विरमण महावयणरयणं, पाणातिपात, P महावइरयणं. 33 )
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