________________
१८६
जोयणसूरिविरद्दया
य चिंतयंति मूढा इह जम्मे धेय दुत्तरं दुक्खं । फालण-लंबण-भेयण- छेयण- करि-चमढणादीणं ॥ पर लोए पुदुक्खे गरम-गया महाफलं दोड़ एवं अयाणमाणा कुमार चोरा इमे लिहिया ॥ तच्छा-राय-सरतो परिग्गाहारंभ-दुखतो
एसो वि जो मुसिजह बेच्छ एवं पि एरिसं लिहियं पावर परिम्हाओ एवं अह परिभवं ण संदेदो न
मुंछ कह विपरिग्गाहं पिता जिग्युलो होइ ॥
सो पपिहरंतो इमेहिं घेवून मारियो वरओ मा को वि इमं पेच्छे खिलो अयम्म पावेहिं ॥
।
२९३ ) एए विलियउता लिहिया मे जंगले वाता । अम्हाण होदिइ सुदं मुदा दुक्खं न क्लेति ॥ एए वि एव जुत्ता परवत्ता कडिऊण त्यासु संधारोचिय-ज्या गलय- बिद्धा बलीवदा ॥ हिरोगलंत देहातोय पहरेहिं दुक्ख-संतत्ता पुण्य-कप-कम्म- पायव-फला विरसाई जति ॥ सा वि धरणी फागण तिक्खेण पुन्य कयं चित्र वेयह बंध हलिमो विपि ॥ पुई जलं च वार्ड वणस्सई बहु-बिहे य तस-जीये दलयतो मूढ-मणो वह पार्व अनंत पि ॥ एसो वि मए लिहिओ पर कम्मयरो कुटुंबिओ मूढो । पुत्त-कलत्ताण कए पावेतो गरुय दुक्खाई ॥ 12 छेतण ओसहीओ फुल्लिय- फलियाओ मुग्ग-सालीओ । चमढेद्द बद्दल्लेहिं गलए मेत्री बिद्वेहिं ॥
1
जह होइ बहुं धणं जीवेल कुटुंब पिये मज् ण य चिंतेइ भो काम कहिं अहये ॥ सो सो थिय लिहिजो जर वियणा- दुक्ख-सोय-संतत्तो । डादेण उज्झमाणो उम्बतो हम सबने ॥ एयं पितं कुटुंबं दीणं विमणं च पास पडिवर्ति । किं तुह बाहइ साहसु किं वा दुक्खं ति जं पतं ॥ जं किं पितरस दुखे का सत्ती तत्तियं च अयजेर्ट एकेगे चिय रहयं एको चिप भुज तया ॥ मह-त-ह-जोए एसो वि को वि सो देइ कतो से तस्य समं जाव ण भुतं तयं पावं ॥ हु २९४ ) एयो सो चे मोल करेऊण मरणंत-देवणाए किं कर्म हो मह तस्स एस जीवो पुण्णं पावं च णवर घेतूण । कम्माणुभाव-जणियं णरयं तिरियं च भल्लीणो ॥ एसा विरुद्द दइया हा मह एएण आसि सोक् ति तं किंपि सुरब- कर्ज संप तं कत्थ पावेमो ॥ अपूर्णच एस दास चियम किंपि कर्मविप्त करतो हा संपद को व तो ॥ को मद्द दाहिद व कोपा असणं ति को व फजाई एवं चि वर्तती एसा लिहिया स्वंती मे ॥ एए वि हु मित्ताई रुयंति भरिऊण दाण-माणाई । संपइ तं णो होहिह इय रुयमाणाइँ लिहियाई ॥
I
॥
24 एसो सो श्चिय घेत्तुं खंधे काऊण केहिँ मि णरेहिं । णिज्जंतो सव-सयणं अम्हे लिहिओ विगय-जीवो ॥ एसो अकंदतो बंधुयणो पिटुओ य रुयमाणो । तण-कटु-अग्गि-हत्थो धाहाधाई करेमाणो ॥
1
3
8
15
18
2)
27
30
33
हा बंधु याह सामिय वह जिय-गाह पवसिनो कीस काथ गजो तं विसरण- वि वि मोनू ॥ एए ते च्चिय लिहिया विरता बंधवा चितिं एत्थ । एसो पक्खित्तो च्चिय कुमार अग्गी वि से दिष्णा ॥ यस्य पेच्छ वरं चिवाए मम्मि किंचिज अस्थि । जं दुक्सेहिं वित्तं तं स चिह्न परम्मि ॥ सर-पय-दीविय अलंत जालोलि-संकुडे एत्थ एकं चिय से वासं भण भर्ण कत्य दीसेन ॥ अणुविह- सुर-पोक्खेहिं हालिया बद-गेह-सम्भावा शेवह दया पासे डसह एकलभो जरुणे ॥ जेण य मणोरहेहिं जाओ संवडिओ य बहुएहिं । एसो सो से जणभ रुयमाणो चिट्ठए पासे ॥ भइ पुत्त वच्छला सा एसा माया वि एत्थ मे लिहिया । दट्ठण उज्झमाणं पुत्तं अह उवगया मोहं ॥ जेहिं समं अशुदिई पी पीयं च हतेहिं नह एको थिय बचाइ एप से अंति घर-दुर्ग ॥
Jain Education International
[ 8३९२
For Private & Personal Use Only
12
15
18
21
24
27
J
1 ) P जम्मो, दुक्करे दुक्ख, मेतण छेतण, P भोयण for मेयण, J चमढणादीअं. 2 ) P देइ for हो. 3) P मिfor पि, P रायसरते, P दुखतो. 4 ) P मुब्बइ for मुंचर, P व for वि, Pता णिन्भुओ. 5 ) P मं for मा P पेच्छ खितो. 6 > P एते, P मे लंगण, P मुहं for सुहं, P लक्खंति. 7 ) P कट्टिऊण. 8) रुहिरोअलंत, तोतूय, पहराहिं, Pom. विरसाइँ, Padds वसहाओ after भुजंति 9 ) J वेदर, P बंधर हिलिओ 10 ) पुहई, J वणरसई, P बहुविहे य तसजीवा, P मूढमणा, अनंतंमि. 11) for वि, P कुटुंबिओ, P पावेंतो गरुया-- 12) P मुग्गसीओ | चमढेहि . 13) P बहू, P कुटुंबयं, P कुटुंबं, P सयणं for अहयं. 14 ) P सो च्चेय, J इमे, P सयणो ॥ एतंम्मियं कुटुंबं 15 ) पडिवत्ति P परिवर्त्ति, P कंमा for किं बा, Pom. ति, P जयंता for जं पत्तं. 16 ताण तंति for तत्तियं च १ भुजंग for भुजए. 17 ) अनंत सहजो उवरसो से for सो. 18 ) P सोय, P चलें, P किं पि हु न कयहो कुटुंबणे. 19 ) P कंमाणभाव 20 ) दय for दश्या, P एसेण, अस्थि for आसि, पावे ॥ 21 P दोसो for दासो, जं किं चि for किं पि, को व्व, व पोतव्यो ॥. 22 > P दाही for दाहिर, P adds इय् befor एयं, Pom. चिय, रुअंती 23 ) P एते, P रुयंति सरिऊण 24 ) Pom. सो, कारण रेहिं सवसणं, P जीडोओ for जीवो. 26 ) P जियणाम. 27 ) P एते, P विरयतो बंधवा, P विती for चिर्ति. 28) पेच्छ णरवर चिताए. 29 ) P पवय 30) P सुक्खेहिं लालिया वडाणहसत्ताव। रोयइ. 32 ) Padds तं सव्व before माया, उसे for मे. 33 ) P अणुदियो, J adds पिअं in between two पीयं णेहसंजुत्तेण १ हजुसाहिं, P तं for ते.
J
P
80
33
www.jainelibrary.org.