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________________ २०६ उज्जोयणसूरिविरइया [६३२२1 देइ हलं जीयहरं पुहई जीयं च जीवियं धणं । अबुहो देइ हलाई अबुहो च्चिय गेण्हए ताई ॥ अण्णेण भणियं। ३ दुक्खिय-कीड-पयंगा मोएऊणं कुजाइ-जम्माई । अण्णस्थ होति सुहिया एसो करुणापरो धम्मो॥ राइणा चिंतियं । जो जत्थ होइ जंतू संतुट्ठो तेण तत्थ सो सम्वो । इच्छइ ण कोइ मरिडं सोउं पि ण जुज्जए एयं ॥ 6 अण्णेण भणियं । सहल-सीह-रिच्छा सप्पा चोरा य दुट्ठया एए । मारेति जियाण सए तम्हा ताणं बहे धम्मो ॥ राहणा चिंतियं । १ सम्बो जीवाहारो जीवो लोयम्मि दिट्ठ-परिणामो । जइ दुटो मारिजइ तुम पि दुट्ठो वह पावं ॥ अण्णेण भणियं । दहि-दुद्ध-गोरसो वा घयं व अण्णं व किं पि गाईणं । मासं पिव मा भुजउ इय पंडर-भिक्खभो धम्मो॥ 12 राइणा चिंतियं । गो-मासे पडिसेहो एसो वजेइ मंगलं दहियं । खमणय-सीलं रक्खसु मा विहारेण विण कज ॥ अगणेण भणियं । 16 को जाणइ सो धम्मो णीलो पीओ व सुकिलो होज । णाएण तेग किं वा ज होहिह तं सहीहामो॥ .. राइणा चिंतियं । णजइ अणुमाणेणं णाएण वि तेण मोक्ख-कज्जाई । अण्णाण-मूढयाणं कत्तो धम्मस्स णिप्फत्ती॥ 18 अण्णेण भणियं । जेण सिही चित्तलिए धवले हंसे कए तह म्हे वि । धम्माहम्मे चिंता काहिह सो अम्ह किं ताए। राइणा चिंतियं । 21 कम्मेण सिही चित्तो धवलो हंसो तुम पि कम्मेण । कीरउ त चिय कम्मं तस्स य दिव्यो विही णाम ॥ अण्णेण भणियं । जो होइ धम्म-पुरिसो सो चिय धम्मो पुणो वि धम्म-रओ। जो पुण पावम्मि रओ होइ पुणो पाव-णिरो सो॥ 24 राइणा चिंतियं। जइ एको चिय जीवो धम्म-रओ होइ सब्व-जम्मेसु । ता कीस णरय-गामी सो च्चिय सो चेय सग्गम्मि । अण्णण भणिय। 7 जो ईसरेण केण वि धम्माहम्मेसु चोइओ लोगो । सो श्वेय धम्म-भागी पत्तिय अण्णो ण पावेह॥ परवइणा चिंतिय । को ईसरो त्ति णाम केण व कजेण चोयणं देइ । इट्ठाणि?-विवेगो केण व कजेण भण तस्स ॥ 30 अण्णेण भणियं । धम्माधम्म-विवेगो कस्सइ पुहवीए होज पुरिसस्स । मूढ-परंपर-माला अंधाण व विरइया एसा॥ णरवइणा चिंतियं । 38 धम्माधम्म-विसेसो अवस्स पुरिसस्स कस्स वि जयम्मि । तेण इमे पब्वइया अण्णह को दुकरं कुणह॥ अण्णेण भणियं । णाऊण पंचवीसय-पुरिसं जइ कुणइ बम-हच्चाओ। तो वि ण लिप्पइ पुरिसो जलेण जह पंकय सलिले ॥ 36 राइणा चिंतियं । 1)P देइ बलं जीयहरं पुह विजीवं च, P ताई for ताई. 3) Pमो मो ए for मोएऊणं, P अन्नत्थ, करुणो परो, Pधमो।. 5)Pहो for सो, P सोउ पिण जुए एयं. 6)Padds पुणे before भणिय. 7)P-रिंछा, P चोरा या एए । एते। Pमारंति जिणणसए. 9 P लोगंमि, P मारिजरु तुमं, तुम पि दिट्ठो वध, P पावा for पावं ।।. 11)किं पि काईणं, P भुजउ इय पिंडरवभिक्खयो धमो. 13)P वखमणय. 15) Pजो for को, पीहो व्व सु', P होज्जा।, P होहिति तं. 17)J-भब्जाए for -कज्जाई. 19) चित्तिलिते, P तहेवे for तहम्हे, P धम्मोधम्मे, P काही सो. 20) Pom. राइणा चिंतिय before कम्मेण चिण्णा for चित्तो, देवे for दिव्वो. 23) Pजो होघद, P after धम्मपुरिसो repeats अम्ह किं ताए । कमेण eto. ending with जो होइ धम्मपुरिसो, Pom. धम्मो, होज्ज रओ for धम्मरओ, सो उण पावरओ सो होइ for जो पुण eto. 250 तो for ता, Pचे for चिय. 27) Pधमाधमेसु, गाहिओ लोगो for चोइओ लग्गो, चेअ, पत्तिअण्णो P पत्तियणो. 29) Pईसर त्ति, Jलोमं for णामं, चेअणं for चोयणं, P - विओ, P भणंतस्स. 31) धम्माधम्मविवेओ कस्सव पुहवीए, माली for माला. 33)P-विसउवस्स पुरिसस्स, Ja for वि, P दुकर कुणह. 35)P पंचवीसय, P पंकयसलिले. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001869
Book TitleKuvalayamala Katha Sankshep
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdyotansuri, Ratnaprabhvijay
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1959
Total Pages394
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size14 MB
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