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________________ २०५ २०५ -5३२२] कुवलयमाला । अत्ताणं मारेंतो पावइ कुगई जिओ सराय-मणो। एवं तामस-मरणं गुग्गुल-धरणाइयं सव्वं ॥ अण्णेण भणियं । 3 खाणे कूव-तलाए बंधइ वावीओं देह य पवाओ । सो एस्थ धम्म-पुरिसो णरघर सम्हं ठिओ हियए । राइणा चिंतियं । पुहई-जल-जलणानिल-वणस्सई तह य जंगमे जीवे । मारेंतस्स वि धम्मो हवेज जइ सीयलो जलणो॥ 6 अण्णेण भणियं। गंगा-जलम्मि पहाओ सायर-सरियासु तह य तित्थेसु । धुयइ मलं किर पावं ता सुद्धो होइ धम्मेण ॥ णरवइणा चिंतियं । 9 भागीरहि-जल-विच्छालियस्स परिसडउ कह व कम्मं से । बाहिर-मलावणयणं तं पिहु णिउणं ण जाएजा ॥ अण्णेण भणियं । राईण रायधम्मो बभण-धम्मो य बंभणाणं तु । बेसाण वेस-धम्मो णियओ धम्मो य सुद्दाण ॥ राहणा चिंतिय। धम्मो णाम सहावो णियय-सहावेसु जेण वदृति । तेणं चिय सो भण्णइ धम्मो ण उणाइ पर-लोओ ॥ अण्णेण भणियं । 15 णाय-विढत्त-धणेण जे काराविति देव-भवणाई। देवाण पूयणं अच्चणं च सोय इह धम्मो॥ राइणा चिंतियं । कोण वि इच्छइ एयं जं चिय कीरंति देवहस्याई । एत्यं पुण को देवो कस्स व कीरंतु एयाई॥ 18 अण्णेण भणियं । काऊण पुढवि-पुरिसं डझइ मते हि जस्थ जे पावं । दीविजइ जेण सुहं सो धम्मो होइ दिक्खाए । राइणा चिंतियं । 1 पावं डज्झइ मतेहि एस्थ हेऊ ण दीसए कोइ । पावो तवेण डाह झाण-महग्गीए लिहिय मे॥ अपणेण भणियं । झाणेण होइ मोक्खो सो परमप्पा वि दीसए तेण । झाणेण होइ सगं तम्हा झाणं चिय सुधम्मो ॥ 4राइणा चिंतिय। झाणेण होइ मोक्खो सच्चं एवं ति ण उण एक्केण । तव-सील-णियम-जुत्तेण तं च तुब्मेहि णो भणियं । भण्णेण भणियं । 97 पिउ-माइ-गुरुयणम्मि य सुरवर-मणुएसु अहव सब्वेसु । णीयं करेइ विणयं एसो धम्मो परवरिंद ॥ णरवइणा चिंतियं । जुजइ विणओ धम्मो कीरंतो गुरुयणेसु देवेसु । जं पुण पाव-जणस्स वि भइयारो एस णो जुत्तो ॥ 30 अण्णेण भणियं। णवि अस्थि कोइ जीवो ण य परलोओ ण यावि परमत्थो। भुंजह खाह जहिच्छं एत्तिय-मेत्तं जए सारं ॥ राइणा चिंतियं । 33 जइ णस्थि कोइ जीवो को एसो जपए इमं वयणं । मूढो थिय-धाई एसो दट्ट पि णवि जोग्गो॥ अण्णेण भणियं। गो-भूमि-धण्ण-दाणं हलप्पयाणं च बंभण-जणस्स । जं कीरइ सो धम्मो णरवर मह वल्लहो हियए । 36 णरवहणा चिंतियं । 1) कुगई, गई for जिओ, P जिओ राइमणो । एयं तामस. 3)खणेइ for खाणे, तालाए, बावीए, Pउ for य P अम्हडिओ. 5) दुविहो त्थ होइ धम्मो भोगफलो होइ मोक्खधम्मो य । दाणं ता मोक्खफलं ता भोगफलो जइ जिजाणं ण पीड यरो ॥ for the verse पुहई जल etc., P repeats जल, P विमो. 7) Fसारय for सायर, P तो for ता. 9) जइ होइ सुद्धभावो आराहइ इट्ठदेवयं परमं । गंगाजलतलयाणं को णु विसेसो भवे तस्स ।। for the verse भागीरहिजल eto., P -मलावणयलं तं 11)Pरायाण,J सुद्धाण. 13)J धम्मे, Pणातियंदावो, धम्मइ for भण्णइJ उणाए. 15)Pकारविज्जति,चे अ. 17) एकं for एत्थं, P को इह for पुण को. 19)Pइह इ for पुढवि, P तेण for जेण. 21)P कोति for कोइ, मुड-जल चेलवणो पासंडो एस तो रइओ for the line पावो तवेण etc. 22) Jom. भगिय. 23) विदीसते तेण, जाणं for झाणं, adds सुअ before सुधम्मो, P सुधम्मा. 25) P जुत्ते for जुत्तेण. 27) माउ for माइ, P गुरुजणमि, Jom. य. 29) J धम्म, P गुणवएसु देवेसु, Pज for जं, अतियारो. 31) एत्थ for अत्थि. 32) को वि जीवो. 330P को एस जपए, Jणस्थियवाती, दट्ठम्मि विणिजोग्गो. 35)J धम्मदाणं । धणदाणं. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001869
Book TitleKuvalayamala Katha Sankshep
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdyotansuri, Ratnaprabhvijay
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1959
Total Pages394
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size14 MB
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