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कुवलयमाला
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1 ऊणं' ति । तओ राइणा विम्याबद्ध-रस-पसर- त्रिप्पमाण - हियएण भणियं । 'अहो, बालस्स अहिमाणो, अहो सावद्वंभतणं, 1
अहो पण विष्णासो, अहो फुडखलावर्ण, अहो काय विचारणं ति सव्वा विम्हायणीयं एर्यवि अदत्या एरियो-पिरो वयण विष्णासो यति भणमाणेण राइणा पोइयाई मंति-वषणाई तो मंतीहिं भणिये 3 'देव, को एत्थ विम्भो । जहा गुंजाइल-फल-प्पमाणो वि जलणो दद्दण-सहावो, सिद्धत्य- पमाणो वि चइर-विसेसो गुरुसहावो, तहा एए वि महावंस- कुल-प्पसूया रायउत्ता सत्त- पोरुस माण- पमाण-प्पभूय-गुणेहिं संवद्विय- सरीरा एव होंति । [6] क्षणीच देव, ण एए पय-पुरिसा, देवत्तण-चुया सावसेस सुद्ध-कम्मा एव जायंति' ति । तओ राहणा भनिय एवं 0 चिय एयं ण एव्थ संदेहो' त्ति ।
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६ २६) मणिनो व सावधं कुमारो राणा 'पुत महिंदकुमार मा एवं चिंतेमु जहा अई तुम्हाणं सजे सर्व 9 आसि ण उण संपयं । जत्तो चेय तुमं अम्हाण गेहे समागओ, तओ चेव तुह दंसणे मित्तं सो राया संवुत्तो। तुमं च मम 9
तोति । ता एवं जाणिऊण मा कुणसु अहिं, मुंचसु पडिवक्ख-बुद्धि, अभिरमसु एत्थ अप्पणो गेहे । अवि य जहा सवं सुंदर होहि तहा करेमि त्ति भणिऊण परिहिओ से सयमेव राइणा रयण-कंठओ, दिण्णं च करे करेणं तंबोलं । 12 'पसाओ' विभणिण गहिये, समय व देवगुरु भगिलो व मंतिणो 'एस ए एवं उपपरियो जदा ण कुरुद 18 संभरति सम्पदा वहा कायमची जहा मम अतस एस पुतो वह सितम कवि का अऊिन समुट्टियो राया आसणाओ, कय दियह-वावारस्स य भइकंतो सो दियहो ।
२७) अह अण्णम्मि दियहे बाहिरोवत्थाण मंडवमुवगयस्स दरिय-महा-गरिंद-वंद्र मंडली - परिगयस्स णरवइणो 15 सुर-गिरि व कुल-से-मज गवस आगया धोय धवल दुगुल-वलय-पियंसणा मंगल-गीवा-सुतमेचाहरण- रेहिरा बलिय मुणाल-धमकाविया समय-समय- ससि दोसिगापवाद-पूर-पन्या-धवला वनराई सुमंगला नाम राहणो 18 अंतेटर - महत्तरिति । दिट्ठा व राहणा पोड-रायसी विडिय गइ मग्गा अर्गतूण व ताए सविषवं उपरिमत्थत- 18 उद्यवयणाएं वर-वण-किए विवि सत्यत्यवित्थर-सयण्णे दाहिण-कण्णे किं पि साहिये। साहिऊण पिता । तो राया व किंपि विभाविज्ञमाण-हियवमंतर-वियत विषयणा-सु-यण-यो सर्ण मच्छिऊन विसनिवासेष 21 रिंद -लोओ समुट्ठिओ आसणाओ, पयट्टो पियंगुसामाए वास-भवणं ।
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$ २८) वितियं च णरवणा 'अहो इमं सुमंगला साहिब जड़ा किर भज देवीए विधेनुसामाए सुबहु पि रुग्णमाणाए अलंकारो नियम गहियो माहार वित्यरो, अमाणो विय अवलंबिओ चिंता-भारो, परिमलिय-पत-पि विच्छाये 24 वयण-कमल, माणसं पिव दुक्लं अंगीकयं मोणये ति किं पुण देवीए को कारण हवेज' सिलवा सर्प चैव चिंतेम 24 'महिला पंचहि कारणेहिं कोवो संजाय । तं जहा पणवखलणे, गोत-खलगेगे, अविणीय परियणेणं, पवित्रकलणे, सामु विषयति । तथाच पणय णं ण संभाविति । जेण मह जीविवस्स वि एस पेष सामिणी, 22 अच्छर ता धणस्स ति मद गोस-खळणं, पण जेण इमीए चेय गोते सगळमंडरिया-जनम समिति । मह 987 परियणो, सो वि कहिंचि मम वयण- खंडणं कुणइ, ण उण देवीए त्ति । पडिवक्ख-कलदो विण संभाविजइ । जेण सब्बो चेय मम भारियायणो देवयं पिव देवी मण्णइ त्ति, तं पि णत्थि । सेसं सासू-भंडणं, तं पि दूराओ चेव णत्थि । जेण अम्ह 30 जणणी महाराइणो अण्णारुहिय देवी-भूय त्ति ता किं पुण इमं हवेज्ज' । चिंतयंतो संपत्तो देवीए वास-भवणं, ण उण 20
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1 ) P रायणा वयणवि, Jom. रस, P वस for पसर, इमाए व उवत्थारिए एरिसी बुद्धी- 3 ) om. य, P पुलो", रायपुत्ता । संजे पोरुसे । मानप्पभूतीहिं सह संवड्डिय, P चेव for एव, P ता for पुत्त, P अम्हं, J तुम्हाण, JP सत्तु 9 ) जाउ परिवज्ज, अहिर, om. एत्थ, गेहं for गेहे, Jom. अवि य.
क्खिप्प 2 ) P विश्वासत्तणं, रालवत्तणं, P वणीयमेयं, P P ततो. 4 ) Pom. हल, P स्थप्प 5 ) उप्पसूता । होति त्ति 1. 63om. ण, J चुआ एव, P सुभ 8 ) चैव तुम्हें अम्हाणं, P मित्तत्तं, P संवुत्तं । 10 ) P अद्वेदुं, P 11) P सव्वसुं, होहि त्ति, करीहामो, ग्राइणा वयणे, करें करेण P करंक 12 ) Pom. त्ति, om. य, [ गणिओ ] added by Ed., P जह णं. 13 ) P इवउ, किंचि. 14 ) J य after आसनाओ, Pom. य, Pom. सो. 15 ) P नरिंद्र चंद्र. 16 ) र for व, P दुगूल, P om. जुवलय. 17 ) Pom. समय, P पच्छालण-. 18) J महंतेउर महंतारिअत्ति ।, Pom. य. 19 ) उदय in J looks like a later correc tion, P दृश्य, P णाए व वर, कोण्डला P कुंडला. 20 ) P किं for वि, J om. वि, विअंभंत omitted by P, P "प्पणसुन्न 21 ) समुवट्टिओ 22 ) इमं मम सु, P भत्त for रुण्ण. 23 ) यमाणो विज P मोणो चिय, Pom. परि, P लेख- 24 ) कर्यमाणत्ति । ता किं जंति, om. चेव. 25 ) संजायद ति । P जाय ।, P क्खलणेण, P क्खल " णीयं. 26) सासविचखलणं P जलणं, P वियर, Pom. वि, P व or व्वेव. 27 ) ता वण्णस्स, P णो for ण, इमीय अहवा for अह. 28 ) J कहवि भम, P देवीउ, P खलणं पि for कलहो वि, संभावी यह 29 ) Pom. चेय, I om. देवी, Pom. त्ति, om. तंपि णस्थि, P नत्थि ससे, दूरओ, P जेणम्द. "राहणा, P अणुरुंभिय, P एयं for इमं, P देवीवास, P तओ r for ण उण.
विब्जहत्ति P 30
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