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उज्जोयणसूरिविरया
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1 कण्णाण अमय-रसं दाऊण य दंसणं भदेंतेणं । दावेऊणं वर-निहि मण्णे उप्पाडिया अच्छी ॥
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भद्दवा जाणिवं मए । एत्थ तण वन्छ- गुम्म वली-वा-संताणे सुपुप्फ-फल-कोमल-दल-किसखयंकुर सगाई बहु-कीवा3 पग- पिवलिया--तस-यावर-तु-संकुले भगवंताणं साधूर्ण ण कप्पर आवासि जे ता तम्मि सव्वावाय विरहिए फाए देखे सिंदूर कोहिम तले सिस्स-गण-परिवारो होहिद भगवंत ते मलो महामंतिणा णरवई । 'देव, जो सो सप कुमार समए सिंदूर-कोहिमासण्णे सहत्यारोविओो असोय-पायवो सो ण-याणियह किं कुसुमिओ ण व' ति | राहणा 6 भणियं । 'सुंदरं संत्तं पयट्ट तहिं चेव, वच्चामो' त्ति भणमाणेण गहियं करं करेण वासवस्स । गंतु जे पयतो णरवई 6 सिंदूर कोहिम, जाय यथोवरमुवाओ ताव पेच्छ साहुणो ।
७२) से व केरिखे ।
धम्म-महोवहि- सरिसे कम्म- महावेल कठिण-कुलित्ये खेति-गुण-सार- गरु उवसग्ग-सहे तरु-समाने ॥ पंच-मवय-फल-भार- रेहिरे गुति कुसुम-पेंचइए सीलंग-पच-कलिए कप्पवरू- रयण-सारिच्छे ॥ जीवाजीव- विहाण कजाकज्ज-फल-विरयणा-सारं । साधूण समायारं भायारं के विज्ञायंति ॥ स-समय पर समचाणं सूरज जेण समय-सम्भावं सूतपदं स्यादं अण्णे रिसिणो अणुगुर्णेति ॥ अण्णेत्य सुट्टिया संजमम्मि निसुर्णेति के वि ठाणं अण्णे पति घण्णा समवाये सम्य-विजाणं ॥ संसार-भाव-मुणिणो मुषिणो भगे विवाह-पणती अमय-रस-मीसियं पिव वयणे चिय णवर चारैति ॥ णाया धम्म-कहानी कति भण्णे उवासग-दसाओ। अंतगढ-दसा भवरे मनुचर-दसा अनुगुर्णेति ॥ जाय-पुच्छे पुच्छ गणहारी खाइए तिहोब-गुरु फुड पण्डा-वागरण पदेति पण्डाइ-यागरणं ॥ बिधरियस-ति-सत्य-सत्य-अन्य-सत्थाई समय-सय-दिद्विवार्थ के वि कथा महिति ॥ जीवाणं पण्णव पण्णव पण्णवैति पण्णवचा सूरिब-पण्णति चिव गुणेति वह बंद-पण ॥ अण्णा व गणहर भासिवाई सामण्ण- केवलि-कवाई। पचेय-सर्वदेहिं विरहवाहँ गुर्णेति महरिसिणो ॥ करथइ पंचावयवं दसह च्चिय साहणं परूवेंति । पञ्चक्खणुमाण- पमाण- चउक्कयं च अण्णे वियारेति ॥ भव-जलहि-जाणवतं पेम्म महाराव णिवल- णिद्दल कम्म-टि-ब अपने धम्मं परिकर्हेति ॥ मोधवार-रविगो पर वाय- कुरंग-दय-केसरिणो णय-सय-सर- हरिले बजे अ वाइणो सत्य ॥ लोपालोग-पयाएं दूरंतर-सह-वधु पोयं केवलि-सुत-पिबई निमित्तमण्णे विचारंति ॥ गाणा-जी उपपत्ती सुचणमणि-रयण घाट-संजोये जागति जगिय जोणी जोगीगं पाहु लगे ॥ अहि-सय-पंजरा इव तव-सोसिय- चम्म मेत्त- पडिबद्धा । आबद्ध - किडिगिडि-रवा पेच्छइ य तवस्त्रिणो अण्णे ॥ इंडिय-वणाथ-सारं सम्यालंकार विडिय सोहं समय-प्यवाद-महुरं अपने कवितेति ॥ बहुत-मंत्र-विज्ञा-विद्याणया] सिद्ध-योग-जोइसिया। अच्छेति भणुगुर्णेता भवरे सित-साराई ॥ मण-वयण-काय-गुत्ता विरुद्ध-णीसास णिञ्चलच्छीया । जिण-वयणं ज्ञायंता अण्णे पडिमा गया सुणिणो ॥ अयि कहिंदि पडिमा गया, कहिंचि शिवम-द्विया, कर्हिचि बीराखण-ट्टिया, कहिंचि कुयासन -द्विया, कहिंचि गोदोह 80 संठिया, कहिंचि पउमासण-ट्ठियत्ति । भवि य ।
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इयपेच्छ सो राया सझाय-र तवस्त्रिणो धीरे णित्थिष्ण-भय-समुद्दे संदेण जिनिंद पोपुर्ण ॥
०३ ) ता च मझे सम्मान या पिन पुष्णिमार्पदो, रवणाने पिव को भोकंती
सुराणं पिव
23 पुरंदरे सत्तीए, तरूणं पिव कप्पपायवो सफलन्तणेणं, सम्वद्दा सव्व-गुणेहिं समालिंगिभ चउ-गाणी भगवं भूय-भविस्स- 88
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1 ) P सदंसणं for दंसणं, P णिही, अच्छ. 2 ) Pन पत्थ, Jसणाह, कीडपयंग. 3 ) P साहूणं, P आवसिंत, Jom. जे, P सव्वावयर हिया. 4 ) Jom. देसे, P कोट्टिमयलो, ́ यण for गण, JP चिंतियंतेण भणियं. J 5 ) संभमए for समय, P सहत्थरो ं, P न याणइ. 6 ) P पयट्टा, J चेय, Pom. जे. 7 ) Pom. य, थोवंतरं गओ 8 ) P के रिसो. 9 ) P महोयहि, P उय सग्ग. 11) P साहूण, J आयारे. 12 ) P सूयज्जर, P सूयगडं, सूअयडं P सूयगड. 13) ट्ठार्णगं P ठाणामं, P । पदंति अन्ने घणा 14 ) P विवाह, पि for पिव, Pनवरि. 15 ) P कति. 16 ) P जाणइ, त्तिलोय, P वागरण, P पण्हाए 17 ) P सत्यसत्थत्य for सत्थत्थ, P सत्य for अत्थ, P वि वयत्था, J अभिजेंति. 18 ) P पद्मत्तिश्चिय, पति साहारणं for साह, पचाणु पाठकणे. 22 ) निबंध, P वियाति. 24 ) जीवुप्पत्ती, जाणिति. 25 )
बागरण.
19) हि विवाई, P पत्ते महारसिनो. 20)
P वाइ
for वाय, P -नयरिले, P वाइणा. 23 ) P लोयालोय, P पज्जत,
P अट्ठिमय, P पच्छई. 26) P धणयच्छ for वयणत्थ, P निवडिया, P विइंतेति, J has a marginal note: च विरहं पा ( which means that च विरइंति is & पाठान्तर). 27 ) P जोईसा, P अच्छेति अणुगुणेंसा. 28 ) P विरुद्ध for निरुद्ध, P झापंता. 29) Pपडिमंठिया, P नियमं ठिया, P वीरासणं ठिया कहिं उक्कुडियासणं ठिया. 30 ) P पोमासणं ठिया, Pom. सि. 31 ) P सिज्झाय, विच्छिन्नतवसमुद्दे. 32 ) Pom. च, P चेव, P पुण्णिमाइंदो, P कोत्थुहो. 33 ) Pom. सम्बद्दा.
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