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कुवलयमाला
1 किं होज तूल-मउयं घडियं वा कास- कुसुम-पम्हहिं । किं वा मुणाल तंतू - णिम्मवियं देव-सत्तीए ॥ तं च तारिसं णियंसिऊण कय-उत्तरासंगो पडिहार- दाविय-मग्गो पयतो गंतु, 3 णिओइएण देव घरयस्स । ताच य
णिज्जियसेस मऊहा परिपेल्लिय-दूर- पाव-तम-पसरा । दिणयर-सहस्स-मइय व्व झत्ति कंती समुच्छलिया ॥
१७६) ताव य णत्र - वियसिय पारियाय- कुसुम-मंजरी - रेहिरो सुर-मंदार - कुसुम-गोच्छ वावडो कणय-कमल-विसहमाणे6 दीवर - भरिभो सन्वहा दसद्ध चण्ण-कुसुम-पडहस्थ-कणय- पडल- णिहाओ उवट्ठविओ परियणेण । एत्थंतरम्मि पविट्ठो 'नमो 6 जिणा' ति भणमाणो देवहरए पमप्यहो देवो पेच्छ व जिगरं च फेरि अि
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सेय भगवंतेपेण जिणवरे हरिस-वस-वियसमान-गयण-दुबलो पलणे 'नमो सच्च-जिणार्थ ति भणमाणो विद18 डिओ | ताव य दिव्व- सुरहि-जल- भरिए समप्पिए कणय-कलसे अहिसिंचिऊण, विलित्ते दिव्व-देवंगराएण, उप्पाडियं च 12 गोसीस-चंदण-गंध-गभिणं पवर-धूयं । आरोवियाणि य जं-जहावण्ण-सोहा-विष्णास-लायण्णाई जल-थलय कुसुमाई । तभो विरइय- विवि-पूर्व केरिस तं विषस देवदर दीसितं पयते । अधि य ।
वियसिय- कणय - कमल - सिरि-णिज्जिय- माणस - लच्छि-गेहयं । णव- कंदोह - कुसुम - कल्दार - विराचिय-कंत सोहयं ॥ व-मंदार गोच्छ-संताणय- कुसुम-पइण्ण-राययं । मंदिरयं जिणाण तं सोहइ तत्थ समत्त-पूययं ॥
तं च तारिसं पेच्छिऊण पहरिस-वस-समूससंत- रोमंच-कंचुइओ थोऊण समादत्तो भगवंते जिणवरिंदे । अवि य,
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अण्ण-वण-घडिए णिय-वण्ण- पमाण-माण-निम्माए । उपपत्ति-णास रहिए जिणवर बिंबे पलोएइ ॥
फलिए -मनि-निम्मलयरा के वि जिणा पुसराय-मणि घडिया के वि महानीलमया कल्याण-निमिया के वि ॥ मुत्तादल-तारवरा भवरे परयोमराय सच्छावा अबरे सामल- देहा मरगय-दल-निमिया के वि ॥
जय ससुरासुर- किंगर- मुणिवर-गंध-णमिव-चरण-या जय सयल निम-व-जि-संघ मोतु ॥ जइ देवो णेरइओ मणुओ वा कह वि होज तिरिओ हूं । सयल-जय- सोक्ख- मूलं सम्मन्तं मज्झ देजासु ॥ ६ १७७ ) एवं च थोकण णिवडिओ पाएसु । दिट्ठे च पोत्यय-रयणं पीठम्मि । तं च केरिसं । अवि य, वर-पोमराय गर्न फलि विणिम्मविय-परायं रुद्रं मी लिहिये पोत्यय-रवणं पलोएइ ॥
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च दण भति-भर-निटभर हियएण गहिये पोत्थवं सिविलियं च उम्बाडिय वाचि पयतो नवि य णमो सच्चसिद्धाणं।"
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अविरहिय जाण सण-वारस पत्त सिद्धि-वर मग्गो सासय-सिव-सुद-मूलो जिण मग्गो पायो जय ॥ संसार - गहिर- सावर- दुतारुसार वरण-कणं । तित्य-करणे- सीला सच्चे विजयंति तिव्ययरा ॥
पज्ज लिय- शाण- हुय वह कम्मिंधण- दाह-वियलिय-भवोद्दा । अपुणागम-ठाण- गया सिद्धा वि जयंति भगवंता ॥ णाणा-लद्धि-समिद्धे सुय - णाण - महोयहिस्स पारगए। आसण्ण- भव्व-सत्ते सच्चे गणहारिणो वंदे ॥ णाण- तव विरिय- दंसण चारित्तायार-पंच-वावारे । पज्जलियागम-दीवे आयरिए चेव पणमामि ॥ सु-सुप्त गुणन-धारण-अयणायक- हिच्छे उवयार करण-सीले वेदामि नई बा पंच-मयय-ति-गुति-गुत्ते विलुत्तमिच्छते। हामि अप्पमते ते साहू संजम पते ॥ इ धम्मार - सिद्धे गणहर-आयरिऍ तह उवज्झाए । साहुयणं णमिऊणं जिणवर-धम्मं पवक्खामि ॥ दु-विदो जिणवर धम्मो हित्य-धन्मो य समण-धम्मो व बारस-विहो गिही समणाणं दस-विहो होइ ॥ 33 पंचाणुव्वय-जुत्तो ति-गुणव्वय-भूसिओ सचउ- सिक्खो । एसो दुवालस-विहो गिहि-धम्मो मूल सम्मत्तो ॥
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देवहरयं पत्तो य । उग्घादियं च से दारं
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1) P कि होज दूलमईयं, मउअं किं वा विकास, P पडियं वा (emended घडियं वा ), तंतु P तंत. 2 ) P निसेयंसिऊण, P देवघरयं, P उक्खाडियं, om. से. 3 ) P देवहरयं. 4 ) P पडिपेलिय, P कंति. 5) P वियसियाP मंदर. 6 ) J पडलय-, P उवद्धविउ, P repeats नमो. 7 > P पेच्छर यरा के वि जिगा पोमरायमणिघडिया के वि महानील महाकयणरयणनिम्माया। for पेच्छइ य जिणहरं । etc. to कक्केयणणिम्मिया के वि, कयिणि 10 ) P अवरोवर, P मरगयचलनिमया 11 ) P "तिऊण for पेच्छिऊण. 12) P खीरोय for दिव्वसुरहि, Pom. समप्पिए. 13 ) P जहावण्णा, P लावण्णाई, P थल for थलय. 14 ) P विरइयं, Pom. तं, P पयत्ता- 15) P वयण for कणय, P राहयं for गेहयं. 16 ) P राइयं, P adds च before सोहइ. 17 ) व कंचुओ, 18 ) P गण for वर. 19 ) P जय देवो. 20 ) Pom. च after एवं, P पोत्ययं रयणं पीढंमि. 21) विणिम्मिय, दुअ for घुय, P लियं for लिहियं. 22 ) P om. गिब्भर, 3 om. पोत्थयं, P वाइउं. 24 ) P अविर हियर नाण, पायडो जियइ. 25 ) P गहियसायर, P तरुणकज्जेण, P वि जियंति 26 ) P पज्झलियज्झाणहुयवहा, P दाणतावियभवोहा, P अपुणागयट्ठाण, P भगवंतो. 27 ) P मुयणायणमुहोय, P सव्व for भव्व, Pom. सते. 29 > P सुत for सुय, P गणण, अज्झायण', P धारणसज्झावणेक्क. 30 ) Pom. मिच्छत्ते, P अप्पवमत्ते, पत्ता. 31) P सिद्धो, P आयरिय, P साहूणं. 33 ) P य चउ for सचउ, P गिहधम्मो.
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