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-६३५६]
कुवलयमाला
आलप्पाल-पसंगी दुटो बुद्राएँ जो कयग्यो य । बह-दुक्ख-सोय-पउरे मरि णरयम्मि सो जाह। कजत्थी जो सेवइ मित्तं कय-कजो उज्झए सढो कूरो। पिसुगो मइ-दुम्मइओ तिरिओ सो होइ मरिऊण ॥ अजव-मद्दव-जुत्तो अकोहणो दोस-वजिओ सज्झो । ण र साधु-गुणेसु ठिओ मरि सो माणुसो होइ॥ तव-संजम-दाण-रओ पयईए मद्दवो किवालू य । गुरु-विणय-रओ णिचं मओ वि देवेसु सो जाइ । जो चवलो सढ-भावो माया-कवडेहिँ वंचए सुवणं । ण य कस्सइ वीसत्थो सो पुरिसो महिलिया होइ ॥ संतुट्टा सुविणीया य अजवा जा थिरा हवइ णिचं । सच्चं जंपइ महिला पुरिसो सा होइ मरिऊण ॥ आसं वराह पसुं वा जो लछइ वद्धियं पि हु करेइ । सो सव्वाण विहीणो णपुंसओ होइ लोगम्मि ॥ मारेइ णिहय-मणो जीवे परलोयं णेय मण्णए किंपि । अइ-संकिलिट्ठ-कम्मो अप्पाऊ सो भवे पुरिलो ॥ मारेह जो ण जीवे दयावरो अभप-दाण-परितुद्यो । दीहाऊ सो पुरिसो गोयम भणिओ ण संदेहो। देइ ण णिययं संतं दिण्ण हारेइ वारए देंतं । एएहिँ कम्मएहिं भोगेहि विवजओ होइ । सयणासण-वत्थं वा पत्तं भक्खं च पाणयं वा वि । हियएण देइ तुट्टो गोदम भोगी गरो होह ॥ भगुणो य गविओ च्चिय जिंदद रागी तवस्सिणो धीरे । माणी विडंबओ जो सो जायइ दुहवो पुरिसो॥ गुरु-देवय साधूणं विणय-परो संत-दसणीओ य । ण य के पि भणइ कडुयं सो पुरिसो जायए सुभगो॥ तव-णाण-गुण-समिद्धं भवमण्णइ किर ण-याणए एसो। मरिऊण सो अउण्णो दुम्मेहो जायए पुरिसो॥ जो पढइ सुगइ चिंतइ अण्णं पाढेइ देइ उवएसं । सुद-गुरु-भत्ती-जुत्तो मरिउं सो होइ मेहावी ॥ जो जंत-दंड-कस-रज-खग्ग-कोंतेहिँ कुणइ वियणाओ। सो पावो णिक्करुगो जायइ बहु-वेयणो पुरिसो ॥ जो सत्ते वियणत्ते मोयावइ बंधणाओ मरणाओ । कारुण्ण-दिण्ण-हियओ थोवा अह वेयणा तस्स ॥ मारेह खाह पियह य किं वा पढिएण किं व धम्मेण । एयं चिय चिंतेंतो मरिऊण काहलो होइ । जो उण गुरुयण-सेवी धम्माधम्माई जाणिउं महइ । सुय-देवय-गुरु-भत्तो मरि सो पंडिओ होइ ॥ विज्जा विण्णाणं वा मिच्छा-विणएण गेण्हिउँ पुरिसो। अवमण्णइ आयरियं सा विजा णिप्फला तस्स ॥ बहु मण्णइ आयरियं विणय-समग्गो गुणेहिं संजुत्तो। इय जा गहिया विजा सा सहला होइ लोगम्मि ॥ देमि त्ति ण देइ पुणो आसं काऊण कुणइ विमुहं जो । तस्स कयं पि हु णासइ गोयम पुरिसस्स अहमस्स ॥ जं जं इटुं लोए तं तं साहूण देइ सव्वं तु । थोवं पि मुणइ सुकयं तस्स कयं णो पणस्सेज ।। जो हरइ तस्स हिजइ ण हरद जो तस्स संचओ होइ । जो जं करेइ पावं विवरीयं तस्स तं होइ॥ पसु-पक्खि-मणूसाणं बाले जो विप्पउंजइ सकाम । सो अणवञ्चो जायइ अह जाओ तो विवजेज ॥ जो होइ दया-परमो बहु-पुत्तो गोदमा भवे पुरिसो। असुयं जो भणइ सुयं सो बहिरो जायए पुरिसो ॥ अद्दिढ़ चिय दिई जो किर भासेज कह वि मूढप्पा । जनधो सो जायह गोदम एएण कम्मेण ॥ जाइ-मउम्मत्त-मणो जीवे विक्किणइ जो कयग्यो य । सो इंदभूइ मरिउ दासत्तं वच्चए पुरिसो॥ जो उण चाई विणओणओ य चारित्त-गुण-सयाइण्णो । सो जण-सय-सम्माओ महिडिओ होइ लोगम्मि । जो वाहेइ णिसंसो छाउब्वायं च दुक्खियं जीयं । सीयंत-गत्त-संधि गोदम सो पंगुलो होइ॥ महु-धाय-अग्गि-दाहोदहणं जो कुणइ कस्सइ जियस्स । बालाराम-विणासो कुट्ठी सो जायए पुरिसो॥ गो-महिस-पसु करहं अइभारारोवणेण पीडेइ । एएण गवरि पावेण गोदमा सो भवे खुज्जो ॥ उच्छिमसुंदरयं पूहं जो देह अण्ण-पाणं तु । साहूण जाणमाणो भुत्तं पिण जीरए तस्स ॥
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1) J बुद्धीय, P वहुसोगदुक्खपउरे, P जायइ ।।. 2) Pउन्मए, मयगुम्मदओ. 3) उजुय for अज्जव, P दीस for दोस, साधुगणेसु, P सुट्ट for साधु, P ट्ठिओ. 4) P भद्दओ for मद्दवो, ' जायइ for जाइ. 5) Pसुथणो . 6) सुविणीता.. om. य, अज्ज विजा, J अस्थिरा for जा थिरा, P सो for सा. 7) आसवसहं, वुद्धिों for वद्धिय, सम्वाण णिहीणो' लोअम्मि. 8) Pom. जीवे. 9) गोदम. 10) एतेहिं, P कमेहि. 11) भत्तं च पाणियं, J देइ दुट्ठो, Pom. गोदम, P सोगी for भोगी. 12) अगुणे विगधिओ, Pधीरो।, मोणी for माणी, दूहगो. 13) P साहूर्ण, १ सुहओ. 15) सुयगुरु. 16) दण for दंड. 17) J थोआ. 18) P मारेयह, P खाह पीयह किं, rom. चिय. 21) " सफला, लोयंमि. 22) Pत्ति न देमि, . गोतम. 23) Pदेइ दवं तु, Pपणासेज्जा. 25) P माणुसाणं, विप्पयुंजर विप्पिउंजइ, P विवजेजा. 26) Pगोयमा, असुतं, सुतं. 27) अदिद, किर for चिय, P गोयम, Pएतेण. 28) मयुम्मत्तमणो Pमणीमत्तमाणो, विक्खिणइ, इंदभूती. 29) Pउण चादी विणओ य, I विणओणतो, उण for जण, P सयसमहमओ, लोयंमि. 30) सीतंत, P संधी गोयम. 31 -थात, P को for जो, " कस्स वि.32) पसू करभ, गोयम एसो. 33) Pउचिट्ठम', पूर्ति, पुवं for पूई, P भत्त for अण्ण, पिन जिज्जए.
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