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________________ ३० उजायणसूरिविरइया सागयं तुह, आगच्छसु' त्ति । तो णाम-गोत्त-कित्तण-संभाविय-णाणाइसएण रोमंच-कंचुव्वहण-रेहिरंगेम विणय-पणएण । पणमियं ण सयल-संसार-सहाव-मुणिये महामुणिणो चलण-जुयलयं ति। भगवया वि सयल-भव-भय-हारिणा सिद्धिसुह-कारिणा लंभिओधम्मलाह-महारयणं ति। तेण वि दिव्व-पुरिसेण पसारिओ ससंभमं सुर-पायव-किसलय-कोमलो माणिक- ३ कडयाभरण-रेहिरो दाहिणो करयलो। तओ राय-सुएणावि पसारिय-भुय-करयलेण गहियं से ससंभमं करयलं, ईसि विणउत्तमंगेण कओ से पणामो । मयवइणा वि दरिय-मत्त-महावण-करि-वियड-गंडयल-गलिय-मय-जलोल्लणा-णिम्महत-बहल8 केसर-जडा-कडप्पेण उब्वेल्लमाण-दीह-गंगूलेणं पसंत-कण्ण-जुयलेण ईसि-मउलियच्छिणा अणुमण्णिो राय-तणओ। कुमारेण 8 वि हरिस-वियसमाणाए सूइज्जततर-सिणेहाए पुलइओ णिद्ध-धवलाए दिट्ठीए । उवविट्ठो य णाइदूरे मुणिणो चलण-जुवलयसंसिए चदमणि-सिलायले त्ति । सुहासणथो य भणिओ भगवया 'कुमार, तए चिंतिय, पुच्छामि एवं मुणिं जहा केणाई अवहरिओ, किं वा कारण, को वा एस तुरंगमो ति। एयं च तुह सव्वं चेय सवित्थरं साहेमो, अवहिएण होयब्वं' ति। । भणियं च सविणयं कुमारेण । 'भयवं, मइगरुओ आय पसाओ जै गुरुणा मह हियइच्छियं साहिजइ' ति मणिकण कर यलंगुली-णह-यण-किरण-जाला-संवलियंत-कयंजली ठिओ रायउत्तो । भगवं पि 19 अविलंबिओ अचवलो वियार-रहिओ अणुभडाडोवो । अह साहिउँ पयत्तो भव्वाण हियय-णिव्ववर्ण ॥ ६६६) संसारम्मि अणते जीवा तं णस्थि जण पावेति । णारय-तिरिय-णरामर-भवेसु सिद्धिं अपार्वता ॥ जस्स विमओए सुंदर जीयं ण धरेंति मोह-मूढ-मणा । चेय पुणो जीवा देसं दट्ट पिण चयति ॥ 18 कह-कह वि मूढ-हियएण वडिओ जो मणोरह-सएहिं । तं चिय जीवा पच्छा ते चिय खयर व छिदंति॥ जो जीविएण णिच् णियएण वि रक्खिओ ससत्तीए । तं चिय ते बिय मूढा खग्ग-पहारेहि दारेति ॥ जेण चिय कोमल-करयलेहि संवाहियाई अंगाई । सो चिय मूढो फालइ अन्वो करवत्त-जंतेहि ॥ भासा-विणडिय-तण्हालुएहि पिय-पुत्तओ ति जो गणिो । संसारासार-रहट्ट-मामिओ सो भवे सत्त । पीय थणय-च्छीरं जाणं मूढेण बाल-भावम्मि । विसमे भव-कतारे ताण चिय लोहियं पीयं ॥ जो चलण-पणामेहि भत्तीऍ थुओ गुरु ति काऊणं । णिय-पाय-प्पहरेहि चुण्णिो सो चिय वराओ॥ जस्स य मरणे रुग्वइ बाह-भरंतोत्थएहि णयणेहि । कीरइ मय-करणिज पुणो वि तस्सेय मंसेहिं ॥ भत्ति-बहु-माण-जुत्तेण पूइया जा जण जणणि ति। संजाय-मयण-मोहेण रमिया पुस महिल त्ति ॥ पुत्तो विय होइ पई पई वि सो पुत्तओ पुणो होइ । जाया वि होइ माया माया वि य होइ से जाया ॥ " होइ पिया पुण दासो मरि दासो वि से पुणो जणो । भाया वि होइ सत्तू सन् वि सहोयरो होड़। मिच्चो वि होइ सामी सामी मरिऊण हवइ से मिच्यो । संसारम्मि असारे एस गई होह जीवाण इय कुमार, किं वा भण्णउ ! 27 खर-पवणाइद्धं विसम पत्तं परिभमइ गिरि-णिउंजम्मि । इय प्राव-पवण-परिहट्टिमओ वि जीबो परिम्भमह॥ तेण कुमार, इम भावेयम्वं । णय कस्स वि को वि पिया ण य माया गेय पुत्त-दाराई । ण य मिस य सत्तु ण बंधवो सामि-मिचोम॥ 80 पिययाणुभाव-सरिसं सुहमसुहं जे कर्म पुस कर्म । त बेदंति अहण्णा जीवा एएण मोहेण ॥ बति तस्थ वि पुणो तेर्सि चिय कारणेण मूढ-मणा । भव-सय-सहस्स-भोज पावं पावाए बुद्धीए ॥ महवा । जह पालुयाए बाला पुलिणे कीलंति भलिय-क्य-घरया । अलिग-वियप्पिय-माया-पिय-पुत्त-परंपरा-मूबा ॥ 18 कलाई करेंति ते चिय भुंजति पुणो घराधा जति । बाल व जाण बाला जीवा संसार-पुलिणम्मि ॥ TYP कंचउब्वहण, P विणयप्पण. 2) जुवलयं, न सय for भय. 3) धम्मलामिओ for लंभिभो, पम्मकाम. 4) P कडयाहरण, पसारिउभय. 5)P विणिमिउत्त, महवयणा, Pom. गंड. 6) जहाजढप्पेण, दीहरलंगूलेणं पसमंत,, अणुमओ, P कुमारेणा. 7) हरी वियसमाण सूह', पुलोइओ, om. धवलाए, 'दिट्ठाए । उयविदिट्ठो, मुणिणा, जुयलसं. 8) has a marginal note: समीवे-पा. on the word संसिप, P सिलायलए त्ति, P भयवया. 9)Pom. ति, एयंता तुरंगमाहरणापेरंबलंत कयंजली for एयं च तुह सव्वं etc. to संवलियंतकयंजली. 10) चेए for चेय. 11/Pरायपुत्तो, adds something like भगवं पि in later hand. 12) अवलंबिओ, P साहियं, P निन्दहणं. 130: पाबंति, . अपावंता. 14) Pजायं for जीयं. 15) Pom.two lines: तं चिय जीवा to रक्खिओ ससत्तीए. 16) बिय जीवा मूढा. 17) Pom. three lines from य कोमल to गणिओ सं. 20) Pचलयण, पहारेहिं. 21) थपण वयणेण, 22) P जगणजणिणि, P मिहल for महिल. 23) सो for विय, P होई, P से for सो, विय से पुणो जाया. 24) पुण दोसो. 25) सो भवे for हवद से, .om. संसारम्मि to जीवाणं. 27) पक्षणाइंद, वसमं, परिहिडिओ. २३) इमं संभावें. 39) सत्त. 300. वेयंती अन्ने जीवा. 31)P बंधंति. 320 बाले, अणियकयरप, पिcिtor पियः ३3) P भंजंति, घरि घरि जंति, बालोब. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001869
Book TitleKuvalayamala Katha Sankshep
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdyotansuri, Ratnaprabhvijay
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1959
Total Pages394
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size14 MB
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