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उज्जोयणसूरिविरद्दया
जद होइ मरुत्थली सुँ तरहा-वस-सूसमाण कंठस्स । पहियस्स सीयल-जलं होइ सरं पंथ-देसम्म ॥ तह संसार - मरुत्थलि - मज्झे तण्हाभिभूय जीवस्स । संतोस-सीयल-जलं सम्मत्तं होइ सर-सरिसं ॥ जह दुकाले काले असण-विहीणस्स कस्सइ णरस्स छायस्स होइ सहसा परमण्णं किं पि पुण्णेहिं ॥ तह दूसमाए काले सुहेण हीणस्स एस जीवस्स । दुहियस्स होइ सहसा जिण-वयणं अमय-णीसंदं ॥ जह णाम कोइ पुरिसो सिसिरे पवणेण सीय-वियणतो । संको इयंगमंगो जलमाणं पेच्छए जलणं ॥
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२८३ ) इमं च परि जाणिदइए, किं काय फलयं व गेण्ड्सु इमं लग्गसु अवलंबणे व्व णिवडती। चिंतामणि व गेण्ड अहवा उवसप्प कप्परक्तं वा 24 तमो पिए, केरिसं च निण-वर्ण सम्य-धम्माणं मण्णसु जह लोहान सुवर्ण नाणघण घणाण रयणाई
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चेय
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तद व एसजीयो कम्म- महासिखिर- पचण-विषणत्तो दुख-विमोक्खं सहसा पावद्द जरुणं व जिण-वर्ण ॥ जह एत्थ कोइ पुरिसो दूराह- दारिद्द-सोय-भर- दुहिओ । हेलाए चिय पावद्द पुरओ चिंतामणि रयणं ॥ तह णारयादि-दारिद्द - दूसिओ दुक्खियो इमो जीवो। चिंतामणि व पावद्द जिण-वयण कोइ तत्थेय ॥ यह कोई हीरमाणो तरह-तरंगेण गिरि-इ- कह कह वि जीय-सेसो पावद्द तद-विद्रव-पालवं ॥ वह राग-दोस-गिरि-पवाह-दीरंत दुक्खो जीवो पावद कोइ सउण्णो जिण व तरुवरालं ॥ जह कोंत-सति-सम्वतसर-वर- खाप्यहार-विसमम्मि पुरिसस्स होइ सबरे निवारण ताण संणाहो ॥ जिण-वर्ण संणादो निवारण सम्ब- दुक्खाणं ॥ अंधो अच्छा णरो समुग्ामो जाब जो सूरो ॥ करतो दंसण-सोक्खं मोनुं सूरं व जिण-वर्ण ॥
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तह दुक्ख-साथ-रे संसार- रणगणम्मि जीवरस जड़ दूसह -तम-भरिए बालोम्मि कोइ भुवणम्मि अण्णाण महातम संकुलम अंचरस तह य जीवस्स जद्द स्थल-जलि-हुव-जाला मालाउलम्मि गुवि विषण्णं होइ सरे सहसा पुरिसरस भीररस ॥ तह चैव महामोहाणलेण संतावियस्स जीवस्स । सब्वंगणेव्वुइ-करं जिण-वयणं अमय-सर-सरिसं ॥ जह दूर-क-हिणे कह वि पमाण निवडमाणस्स जीवस्स छोइ सरणं तड-तस्वर-मूळ-पाव ॥ नवलंबो होइ जियस्स वर मूलं व सम्मतं ॥ सरण-रहियस्स सरने किंचि व णो दीन-विमणस्स ॥ जीवरस गत्थि सरणं मोतुं जिग-सासणं एवं ॥ । नविव ।
सलिलं व पियसु एवं ओयर पंथम्म व पणट्ठा ॥ णिय-जीविर्य व मण्णसु अह जीवासो मरुययरं ॥ अविव ।
रयमाण काम-रपणे सहेच धम्माण जिणधम्मो ॥
जह गंदणं वणाणं दुमाण सिरिचंदणं मुणीण जिणो । पुरिसाण चक्कवट्टी तहेय धम्माण जिणधम्मो ॥ नागाणं णाईदो चंदो णक्खत तारयाणं च । असुराणं असुरिंदो तब धम्माण जिणधम्मो ॥ देवानं देबिंदो जहव गरिंदाण गरवरो सारो जह मपवई मयागं सारो धम्माण जिणधम्मो ॥ पावणो गया सारो सीरोयही समुदाणं होइ गिरीण व मेरू सारो घम्माण जिधम्मो ॥ जवण्णा सेनो सुरही गंधाण होइ वरवरभो फरियानं मिड-फरिसो धम्माण वि एस जिणधम्मो ॥ अण्णं च दइए, एस स जिणवर-धम्मो केरिसो । भवि य ।
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वह दूर-श्व- पडणे पमाव दोसेहिं विदमाणस्स इव जद सयले भुवणे सम्ब भए पि होइ पुरिसस्स तह र तिरिय-र-देव- जम्म-सय-संकुलम्म संसारे
जद होइ जल जलणस्स पेरियं हथिणो य जह सीहो तह पायस्स वि एसो जिणधम्मो होइ पडिवो ॥ जद्द जलगो कट्टा मयते मच्छाण होइ णिण्णासो जह मववई पसूर्ण एवं पावाण जिणधम्मो ॥
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1) सूसमाणस्स, a writes कंठस्स on the margin and ठ is just a fat zero. 2 ) P मरुत्थली, P संतोसवसीय लयजलं. 3) P वि for करसइ. 4 ) P सुहण, P सहस्स for सहसा 5 ) P को वि पुरिसो, P संक्रोतियंगमंगो. 6) P जंम 7 ) P inter. कोइ & एत्थ हेलाय, P चिंतामणी. 8 ) P णरयाइदारिद्दभूमिओ दुक्खिओ जिओ दीणो ।, P कोति तत्थिय ॥. 9 ) J सरळ for तरल, P जह for कह, विअड-पालंब, P पालब्वं ॥ 10 ) P तह को हरायदोस, P -गतिः, P हीरं 'दुत्थिओ, P सउणो, P तरुयरालंब. 11) P नह for जह, कोंति P खग्गहारविसमंति, P समरे for सवरे 14 इंसेण सोक्खं, P व्व for व. 15) P विउलंमि for गुविलम्मि, विच्छिण्णं, P सहसा ण भीयस्स. 16 ) P चेय, P -णेम्बुइयरं, J रस for सर. 17) P दूरकंटा4, P जह for तड, P सालंब for पालंबो, P has an additional verse here, and it runs thus : तह दूरणरयवडणे पसमाय दोसेहिं णिवडमाणस्स । जीवस्स होइ (?) सरणं जह तरुवरमूलसालंब ॥. 18 ) P चढणे, देसेहिं. 19 ) Pइ for इय, Pणे for णो. 22 ) 3 adds मूलं व before गेण्हसु, J व्व for व, P पिबसु, JP उयर for ओयर, J यणट्ठा for पणट्ठा. 23) P चिंतामणि ब्व, उअसप्प, P कप्पं रुक्खं व, अहवा for अह, P जीवाउगुरुययरं. 25 ) P सुअ गाण, P तहहो for तहेय, P जिणवयणं ॥ 26 ) P जह चंद, P तद्देव, P जिणधमो ॥ 27 ) णायाणं, P गोविंदो for णाएंदो, P तहेव. 28 ) P गरिंदाणराणवरयरओ, P मयवती. 30 ) P जह विवाणं से तो सुरही, P वरवरओ, P मिऊ, 31) J om. स, 1 जिगधंमो, Pom. केरि सो. 32 ) 3 om. य, जहा, P leaves & gap of two letters and has एस for होइ. 33 ) P मयवती, धम्माण for पावाण.
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