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________________ 6 १२५ ) इमं च णिसामिऊण गुरुणा धम्मणंदणेण भणियं । 8 1 'जे पिययम-गुरु-विरह जलन- पलटिय-ताब- तबियंगा । कत्तो वा वाणं मोनुं आगे जिनिंदाणं ॥ जे दूसह-गुरु-दारिद्द विदुषा दृडिय-सेख-वण-विहवा को वाणं वाणं मोनुं आगे जिनिंदा ॥ दोगञ्च-पंक-संका-कलंक-मल-कलुस - दूमियप्पाणं । कत्तो ताणं ताणं मोत्तुं आणं जिनिंदाणं ॥ सम्ब-जण दिया बंधु-जणोहसण- दुक्ख तबियाणं । कतो वाणं ताणं मोतुं आगे जिनिंदा ॥ जे जम्म-जरा-मरणो- दुक्ख-राय-भीसणे जए जीवा कत्तो लागे ताणं मोतुं आणं जिजिंदा ॥ जे कण-ताण-वाद-गुरु-दुक्ख-साथरोगाढा कतो वाणं ताणं मोतुं भाणं जिजिंदाणं ॥ संसारम्मि असारे दुह-सय-संबाद बाहिया जे य । मोत्तुं ताणं ताणं कत्तो वयणं जिनिंदाणं ॥ 9 तो एवं सभ्य-जन-जीव-संघायरस सम्ब- दुक्ख-दुक्लियस्स लोके बिच इमे च वयणं आराहिऊण पुणो । ६४ 15 उजोयणसूरिविरहया सासव-सिव-सुद-सो भइरा मोक् पि पाविहिसि ॥' जय गजराण मण वाहिणो णेय सम्बन्दुकलाई ia एवं भणिये णिसामिन भवियं कथंजलिउडेगं मायाइये 'भगवं जइ एवं ता देसु मे जिनिंद-वयणं, जह अरिहो मि' 19 भगवया विधम्मगेण पलोइउण णाणाइसपुर्ण उपसंव-कलाओ चि पन्थाविनो जहा- विहाणेण गंगाइयो सि ॥ ॐ ॥ 24 27 तेलो केवल पायवा पिव जिणाणं आण पोचून सरणं ( १२६) भणियं च पुणो वि गुरुणा धम्मणंदणं । 'लोहोकरेइ मेलोड़ो पिय-मि-नासो भणिनो लोदो कम-विणासो लोहो सव्यं विनासे ॥ 1 वि य लोह-महा-गह गहिलो पुरिसो अंधो वियण पेच्छ सर्म व बिसमे था, बहिरो विषण सुनेह हियं अणहिये था, उम्मत्तो वि असंबद्धं पलवइ, बालो इव अण्णं पुच्छिभो अगं साहेइ, सलहो विय जलंतं पि जलणं पविस, झो 18 जलणिहिम्मि वियरइति । [8 १२५ " जो तुज्झ पट्टि भाए वामे जो वासवस्स उवचिट्ठो । मंस-विवज्जिय-देहो उच्चो सुक्को व ताल-दुमो ॥ अहि-मय-पंजरो इव उरंत मेरा-चम्म-पडिबड़ो दीसंत-सुलीभो वगु-दीदर चचल-गीवालो । ॥ सह-चम्म-बयो मरु-कूप-सरिच्छ गहिर-गयण हुआ। अच्छ देवालो इव कम-सज्जो मंस-खंडस ॥ लोड़ो रूपेण णरवर पतो इमो हुई होला। एण लोह-मूडेण जे कथं से जिसमे ॥ इय असमंजस घडणा-समण- परिहार पयड-दोसस्स लोहस्स तेग मुणिगो येवं पि ण देति भवयासं ॥ लोह-परायत्त मणो दव्यं णासेइ घायए मित्तं । णिवडइ य दुक्ख गहणे परिथव एसो जहा पुरिसो ॥" 8 भणियेच राहणा पुरंदरदले 'भगवे बहु-पुरि-संकुलाए परिसाए - वाणिमो को बि एस पुरियो, किंवा इमे कर्म' 21 ति । भणियं च भगवया । Jain Education International 3 15 १२७) सिला णाम णयरी । जा पदम या पत्विगुत-ययावुच्च्छत-जस-भारं धवलद्दर सिहर-संविडिव एवं समुच्चदर ॥ 30 जहिं च यरिहिं एक बिण दीसह मइलु कुबेसो व । एक्कु बि दीसह सुंदर वत्थ-णियस्थो व । बेण्णि ण भत्थि, जो कायरो 80 ताभिभूओ व । दोणि वि अस्थि, सूरउ देयणओ व । तिष्णि णेव लब्भंति, खलो मुक्खु ईसालुओ वि । तिष्णि चोवलमेति विष पीसत्यवति । जहिं च जयरिहिं फरिदाबको सजग-जग अनुहरह, गंभीरतणेण 33 भणवयारत्तणेण व । सज्जण-दुज्जण-समो वि पायारु अखण्ड वंक-वलिय-गमणो व । जहिं च वसिमु दीव-समुद्दजइसभो, 33 असंखेोपमाण-बिश्वरो वति । भवि य । कह सा ण वणिजा वित्थिण्णा कणय घडिय-पायारा । पढम-जिण-समवसरणेण सोहिया धम्म चकंका ॥ 1 ) Pinter. भणियं and गुरुणा धम्मनंदणेण 3 ) Prepeats गुरु 5 ) 3 बंधुजणसयणदुक्ख 6 ) P मरणाण नाह दुक्ख, JP भीसणो, Pom. जए. 7 ) Pदहणंकण, वयणं for आणं. 8 ) बोहिया 9 ) P तिलोक्केकपाय 10 ) P वि य नत्थि ति ।, Pom. वयणं. 11 ) P सासयं. 12 ) P adds इचणं after जइ, त्ति for मि. 13 ) P adds जहाविओ after पव्वाविओ. 16 ) P लोभगहिंओ य पुरिलो. 17 ) P उम्मत्तओ, P साद्दइ सलसो, P पिव for पि, P ऊसो for झसो. 19 ) P थोवं, P' उवयाणं for अवयासं. 20 ) Pom. य, P दुक्खग्गहण 22 > Pom. ति. 23 ) P वामो, P विसज्जियदेहो वच्चो सुक्को व्व ताढदुमो 24 ) P धवल for चवल 25 ) चम्मधमणो, Pमास for मंस. 26 ) P एतेन. 27 ) P जंबुद्दीवे, P मज्झिमे खंडे उत्तरा नाम 29 ) P जो for जा, P संपिंडियन्व तेरियं समु 30 ) P एकु न दीसह एकु दीसह मयलकुचेलो सुंदर, एको वि दीसह सुंदर, P व्व for व. (31) तामिओ तण्हाविभूओ, P सूरो देउणउ वि, P नोवलंभंति, P मुक्खो ईसालुओ व त्ति 32 ) P चोवलंभंति सज्जणो वियट्टो बीसत्थो, चि for च, ए फरिह, बंडो 33 ) P अणोवयार, P om. व, P पायारो अब्वण्णओ, P चि for च, P -जयसजो 34 ) P परिवमाण, वित्थारो 35 ) P सो for सा, P समवसरणोव For Private & Personal Use Only 18 24 इमम्मि पेय लोए जंबूदीवे भार वाले वेष-दाहिण-मझिम-खंडे उत्तराव णाम परं । तत्थ तन 27 www.jainelibrary.org.
SR No.001869
Book TitleKuvalayamala Katha Sankshep
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdyotansuri, Ratnaprabhvijay
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1959
Total Pages394
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size14 MB
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