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________________ ६-२३२ ] कुवलयमाला १४१ २३१ ) अह चिंतिउं पयत्तो रित्थु संसार वास दुक्खस्स । गय-चारित्तावरणो दिक्खं अह गेण्डए मणसा ॥ कय-पंच- मुट्ठि-लोओ सुमणो परिहरिय-सेस सावजो । गय-पावो गिल्लेवो जाओ सलिलम्मि लउओ भव ॥ 3 एवं च तस्स इमम्मि नवसरे अहा संगिहियाए देवयाए किं कर्म अविव 1 धवलं विमलं सुहयं पसरिय-दसिया मऊह - फुरमाणं । बहु-पाव-रमोहरणं स्यहरणं अप्पियं तस्स ॥ मुह-पोत्तिया य बीया पत्ताईया हूँ सत्त भण्गे वि । इय णव उवहि-सणाहो जाओ पचेय-बुद्धो सो ॥ B साव य पभाया रयणी । पढियं मंगल- पाढए । अवि य, अरुण-कर- शिवर-भरिये गयणवलं णासमान तारा कूपति सारसाई साय-सउणाण सुव्यए सदो पसर कुसुमामोलो वियर दिसामु पाटलाच इय एरिसे पभाए णरवर दे पुणकुण एवं सेच तारिर्स बेदिया पहिये जिसामि भगवे रायरेसी बिहानि का 21 80 83 ओजग्गद् उज्जोओ बियल तिमिरं दस-दिसासु ॥ बिरहोलुमा सरीरं पडियं चाय-बपि ॥ उदाइ कलवल-रको स्वैति सम्बन्ध कुकुडवा ॥ गिड़ा-मोई अह वारिजण परलोग बाबारे ॥ 12 विव गिरिवर - गुहाओ, दिट्ठो य परियणेण । केरिसो । अवि य, कय-केस- लुंचणो सो पत्तय-रय-हरण- रेहिर-करग्गो । च तं च तारिसं पेच्छिऊणं वासहर- पालीए धाहावियं । कहं । अवि य । 15 हा हा माए भावह धावह एसो म्ह सामिओ राया । अजं त्रिय वासहरे अह किं पि विडंबणं पत्तो ॥ I एवं सोण चादारवं णिसामिण पहाइमो अंतेड रिया-जगो संभम-वस-खमाण-पण-गेटर- रणरणासद-मुलो पाइलो वर - बिलासिणि-जणो । तभो ताहिं भणियं । 18 "जिव दय सुत्य सामिव पसिय तु किं व लवक लम्हे जेग से मुंचसितान विवर्ण कार्ड ॥ विलासिणि-कर-संसगावडिया जिसे कय तुझ केसा भवज्जम चिया देण ॥ जे कप्पूर-पूर-चंद्रण-मयणाहि समुग्गएक कलियम्मि । वासहरम्मि करंका कत्थ तए पाविया णाह ॥ दरिवारि-दारण-सई तुह स्वर्ग णाद रेहह करगे उण्णामय-दसियालं एवं पुण पिंड को ' तो एवं पयमाणस्स अतरिया-जणस्स मदिष्ण-पडिलावो गंतुं पवतो तो मुक कंठं धाहावियं तार्दि 'अव चाह घाद बाद एसो लम्हाण सामिको सहसा केण विहीर पुरमो अदिष्ण-संलाब-दिमणाणं ॥ 24 मंच हा-हा-वं णिसामिण संपता मंतिगो तेहिं य दिड़ो से भगवं महामुणिरुवो वंदिकण व भणिये तेहिं 'भगवे 24 को एस बुतो' सि । एवं च भण्णमाणो विणिमानो पेय जयरीओो । तमो तह थिय मग्गाग्गो सेस-परियणो वि संपत्तो उज्जाणवणं । तत्थ य तस थावर - विरहिए पएसे णिसण्णो भगवं रायरिसी । तभो पिसण्णा मंतिणो अंतेउरिया जणो य । 27 लम्हे विदुये वि जमा तस्स पुत्ता दष्यफलिह भुयफलिहा भायरो जिम्मा पिडणो सवासं तत्रो उवविद्वाण व भगवं 27 रायरिसी साहि पयतो अनि य 1 1 1 वास भवणस्त्र गिगाओ सी किसोरजो Jain Education International त व रजं राया सीहो व्व क्खितो ॥ र बहुसो पंच बहुसो पुण सेविये च दोगांचं जह देह विसिद्वाणं इमणि च ज ण भायर अह बंध-बाय-वह मार-परिणओ टु धम्म-वावारो ६ २३२ ) णार तिरिय-नरामर-ठ- गहू- संसार-सावरं भीमं भ्रममाणरण बहुसो अणोरपारं सपा-का ॥ णिव धम्म-कम्म यसो वय-हार्णि पावए जीवो ॥ जइ अनुकंपा परमो ता र को ण पावे ॥ ता बच्चे णरए सादसु को रंभि तरह ॥ सो णत्थि कोइ जीवो जयम्मि सयलम्मि जो ण संसारे । पत्तो देवत्त-पयं किमी य असुहम्मि उववण्णो ॥ For Private & Personal Use Only 1 1) P अहा चिंतिउं पयत्ता, दिक्खा अह. 2 ) P जाओ सरयंमि जलउ व्व. 3 ) J अवसरे जहासणिहि. 5) य बितिआ पत्तातीआई, Pपत्ताईया वि, P पमाणो for सगाहो, P पत्तेयबुद्धो 6 ) Jom य्. 7 ) P नयणयलं तासमाण for गयण' etc., P उज्जोवो. 8 ) P जुयलं. 10 ) P मोहं अवयारिऊन, परलोअ 11 P रायसिरी, विहरिऊण, om. णिग्गओ, P किसोरो 14 ) 3 बासहरयवालीए, Jom. अवि य. 15 ) Jom. one धावह, आ कई for अह किं. 16) F adds च after एवं, J धाहरवं P थाहावरवं, यणो for जणो, खणमाण- 17 ) P वारविलासिणीयणो 18 ) P सुयय, पसीअ, P अम्हे । जे जेणत्थेक्के मुंचसि अत्ताण. 19 Jom. जे, P विसासिणि, P संग्गि for संसग्ग. 21 ) P दरियाविदारण. 22 ) P अंतिउरिया, P कंठं हावियं ताहि । अवि धावह थाह पावह. 23 ) J धावह माए एसोम्ह सामिओ 24 ) P सो for से. 25 ) P चेव नयराओ P तहे व for तह चिय. 26) रहिए for विरहिए, P तओ निसन्नो. 27 P वि दुवे जणा दप्प दप्पप्फलिहो भुयप्फलिहा, १ सगासं, Pom. य. 28) J om. arfa 4. 30 P उण for पुण, P दोहगां for दोग्गचं, P inter. कम्म (कंम) & धम्म, रायहाणि for खयहार्गि. 31 ) P विसिडागं, ग्यारह for आयर, अणुअंपा 32 ) P अह P घाय for मार. 8 12 15 18 21 30 33 www.jainelibrary.org.
SR No.001869
Book TitleKuvalayamala Katha Sankshep
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdyotansuri, Ratnaprabhvijay
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1959
Total Pages394
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size14 MB
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