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________________ 1 6 9 पंच इंद्रियाणं विसर मा कामसु द्द सुरू य असु मा दुइ समिईपंच परिगड़ने ॥ ति । इ पंच- महन्वय-जुत्तोति गुत्ति-गुत्तो विदंड- विरय-मणो । साहू खवेइ कम्मं अणेय भव-संचियं जं तु ॥ पुणो, जण जरा ण म ण वाहिणो णेय सब्ब दुक्खाई नासयमकारिमं चि वर सुदं जाइ से सिद्धिं ॥ या वयाण पुणो भैया दो होति जिणवर-मएण अवय-महव्यवाई गद्दियो मुणिणो य सो भेदो ॥ एए मुणिणो कहिया जावज्जीवं हवंति सब्बे वि । गिहिलो उण परिमाणं अणुब्वए ते वि वुचंति ॥ अण्णं च । कुणइ दिसा परिमाणं अणुदियहं कुणइ देस परिमाणं । नेणु विरभो सो लब्भइ सव्येसु अत्थेसु ॥ तयं भणवं उपभोगं असणो परिहरेता सेसेसु होइ विरओ पावद्वासु सच्चे ॥ सामाइये चउथे एवं कालंतरं महं जाव समणो ध्व होमि विरभो सावजाणं तु जोगाणं ॥ पोसह उपवासो विय पच्चे अमि- चउदसीय अण्णवरे उपवासो होइ तहिं विरहें सावन-प्रोगाणं ॥ घर-भोग जान वाहण सायन- जियाण दुपवमादीण परिमाण-परिच्छेदो पिरई उपभोग- परिभोगे ॥ जाणवित खाणं पाणं च वत्थ पत्तं वा साहूण जा ण दिलं ताथ भुजामि विरमो हूं ॥ तिष्णि व गुणव्यपाई पठरो सिक्खावया अण्णाई पंच व अणुब्वाई मिहिधम्मो बारस-विहो उ ॥ च । मरणंतरिम पवज्जइ छट्ठम-तव-विसेस सूसंतो । समणो व सावओो वा मरणं संलेहणा-पुन्वं ॥ 1 ३४६ ) एवं च तियसिंद- सुंदरी-चंद्र- रहस -पणमंत पारियाय-मंजरी -कुसुम-रथ-रंजिय-चलणारविंदेश साहिए जिणि18 देण भणियं गणहर-देवेणं 'भगवं, इमाणं पुण बारसण्डं वयाणं संवेग-सद्धा-गहियाणं गिहिणा के अइयारा रक्खणीय' सि । 18 भगवया भणियं । 12 16 21 24 27 उजोषण सूरिविरहया [६३४५ मरिण जाइ र आरंभ-परिग्गहेहिं जो जुतो । तस्स ममते पावं ममं ति अप्प ब्व संकुणइ ॥ पूर्वच सयल विमल केवललोय-होयाडोण परुविए भणिदं गोषम-गुणिणा हे 'भगवं इर्म पुण परिग्गह- वेरमण- मद्दव्यय-रयणं कई सुरखिये इवह त्ति | भगवया भणियं । 30 २२२ एकेके पंच जहा भइयारा होंति सव्व-वय-सीले । तह भणिमो सब्धे श्चिय संखेवत्थं णिसामेह ॥ बंध-बद्दच्छवि-दो अभारारोवणं पडथे तु पाणण्ण-गरोधो वि व अइयारा होंति पदमरस ॥ मिच्छोदेस करणं रहसम्भवखाण कुड-लेहो व णासावहार करणं अलि मंतस्स भेदं च ॥ ते-पजण आहि-गहणं विरुद्ध-रनं वा उमाहिय-मार्ग चिय पढिरुवं तेगिया होति ॥ परप्याहो इतर परिम्हे गमण होइ पर महिला कीर अर्णग-कीडा तिष्यो वा काम-महिलासो ॥ खेत- हिरणे घण्णे दासी दासेसु कुप्प-भंडेसु । होइ पमाणाइकम अइयारो होइ सो वस्सं । खेत्तादिकम-सीमा- वइक्कमो तद्द हिरण्ण-अइचारो। खेत्तस्स वुद्धि-सहअंतरं व पंचैव य दिसाए ॥ सव्वाणयणं पेस-पभोगो य सह-पाडो य । रूवाणुवाय-पोग्गल-पक्स्वेवो होइ देसस्स || कंद कुकुर मोहरिए देव होइ असमिक्या उवभोगो वि य अधिमो अमदं मया ॥ मण-वण-काय-जोगे दुष्पणिहाणे अणादरो पेय व सुमर तिय-कालं सामाइऍ होंति अइयारा ॥ उच्छग्गो भायाणं संथारो वा भजोइए कुणइ । ण य आदरो ण भरह पोसध-धम्मस्स अइयारा ॥ Jain Education International " 3 For Private & Personal Use Only 48 15 21 1) P जोइ for जाइ, adds य before ममत्ते, पाव, ममहि अपव्य संकुण ॥. 2 ) P लोइया लोयालोए J (लोआ) सोमण for लोवालोएण, गोतम, गोममुनि 4 मुद्दे सुरज्ज्जा आहे व समिती परिम्यद्देगे, om. इय 6 ) P मच्छू, P ण य for णेय, P चिय नवरं अह जीइमं तं सिद्धी. 7) r अणुव्वय. 8) उण मरियाणं, तु for वि, P विमुञ्चति 9 ) J तेणत्थं for तेणुङ्कं विरतो सो P परिओसो. 10 ) P अणत्थदंडं, P परिहरितो, विरतो P विरतो. 11 ) P repeats एयं महो P मह for महं [ =अहं ], P सन्त्रण, विरतो. 12) J पोसध, अट्ठमी चउदसीय P अट्टम्म चउदसी. P छोति, JP विरती 13 ) दुपतमातीण, P परिच्छेओ, विरती 14 ) तत्थ for वत्थ, P विनं for दिष्णं, P विरतो 15) P बारसविहाओ ॥. 16) संजतो for सावओ. 17 ) एतं for एवं Pom. वंद्र, P परियाय, J कुसुमरयंजि. 18) 3 adds च after भणियं, P भणियं for भगवं, P गहिताण, JP अतिथिारा 20 ) Padds एकेके पंच पंच जहा अतियारा. होति रक्खणीय त्ति | भगवया भणियं before एकेके, P चिय, P निसामेदा. 21) P बंधं वहं च छेओ, P निरोदा वि, अतियारा. 22 ) P मिच्छोवएस, P रइस्सभक्खाण कूडलोहो य, P भेयं. 23 ) पर्यु गयाहित, P -आहित, होइ for होति. 24) P परिविवाहो इत्तर, उत्तर for इत्तर. 25 ) P खेत्त हिरसे सुवन्ने धणधन्नदासिदासे कुप्प, पमाणातिक्रम अतिआरो, P होइ सव्वरसं26 ) खेत्तातिकम्म, वतिक्कमो P वइक्कमे अश्यारो P अतिचारी, सतिअंतरं P . स्सइअंतर. 27) सदो दब्वाण परं पेससट्टा दयावदातसाद गुपात स्नायुपाय, होति. असमिको उपभोगा, जहियो अगस्थ अतिआरो 29 ) जोए गयादरी अगावरे चेन सुमरति 30 ) उवसग्गो for उच्छो, अजोय 3 उ चेr P for अनोर, आरो for आदरो भई भरेर पो अचारो P 28) कंद, P P 24 87 80 www.jainelibrary.org.
SR No.001869
Book TitleKuvalayamala Katha Sankshep
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdyotansuri, Ratnaprabhvijay
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1959
Total Pages394
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size14 MB
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