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CHORITERISTRISIT विधानुमान CRETOMORRHONEY
ॐ ह्रीं स्वस्तये श्री मत्पवित्र तर मग्नीन्द्र स्थापयामि स्वाहा। इस मंत्र को जप कर अग्नि स्थापना करे
मंत्रस्यै तस्यै जाप्य द्रन्हि संस्थापये त्ततः कुंड सं धुक्षटो त्पश्चात् मंत्रेण पिंगलादिना
॥१४॥ फिर निम्न मंत्र से कुंड को झपके पहले मंत्र को जप कर के अग्निदेव के स्थापना करे।
ॐ पिंगल दह दह पच पच सर्व आज्ञापयति स्याहा । पिंगलादि मंत्र: फिर निम्नलिखित मंत्र को पढ़कर अग्निकुंड में एक समिधाहवन करने से अग्नि सन्निहित होता
ॐ वैश्वनर जाति बेदस इहाव रोहिताश्व सर्वकर्माणि साधयामि स्वाहा
एतेन जाति वेदाधि देवते अग्नि कुंड संस्थेग्नौ
एकां समिधंजुहुयात्तत्राग्नि भयति सं निहितंः ॥१५॥ यह अग्नि देव का मंत्र है अग्नि देव होम कुंड की अग्नि में स्थान ग्रहण करे। एक समिधा लकडी धीमे गीली करके अग्नि कुंड में आदरपूर्वक रखने से अग्नि सन्निहित होती है।
ॐ ह्रीं को सुवर्ण वर्ण सर्व लक्षण संपूर्ण स्वााद्य वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे इन्द्र एहि एहि सवोषट् (इत्याहालन)
ॐ ह्रीं क्रों सुवर्ण वर्ण सर्व लक्षण संपूर्ण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे इन्द्र अत्र तिष्ठ तिष्ट ठः ठः स्थापनं ।।
ॐ हीं कों सुवर्ण वर्ण सर्व लक्षण संपूर्ण स्वायुद्य वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे इन्द्र अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधायनं ।
ॐ हीं को सुवर्ण वर्ण सर्व लक्षण संपूर्ण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे इन्द्र जल गंधादिन् गृह गृह स्वाहा।।
ॐ हींकों सुवर्ण वर्ण सर्व लक्षण संपूर्ण स्वायुद्य वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हेइन्द्र स्वस्थानं गच्छ गच्छ ज ज ज ज विसर्जनं ।
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