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(५६)
(ख) बौद्ध - दृष्टिकोण
बौद्ध ग्रन्थों में विदेह की चर्चा इस रूप में मिलती है १ - विदेह देश ३०० योजन विस्तार वाला था और मिथिला का विस्तार सात योजन था । इस विदेह देश में १६००० भाण्डार, १६००० नर्तकियाँ थीं । विदेह से चम्पा सड़क थी, जिसकी लम्बाई ६० योजन थी । विदेह देश के और कोशल नाम के देश थे । '
२ – “ज्यागरफी आव अर्ली बुद्धिज्म' में विदेह की चर्चा निम्नलिखित रूप में मिलती है
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२
" मिथिला विदेहों की राजवानी थी। पौराणिक कथाओं में उसे महाराज जनक का देश कहा गया है (ग) वैदिक दृष्टिकोण
इसकी राजधानी
१६००० ग्राम,
तक एक सीधी पात्र में काशी
"वेदों के ब्राह्मण-खण्ड से प्रतीत होता है कि, विदेह लोग बड़े हो सुसंस्कृत और सभ्य थे । यह भूखण्ड संहिताओं के काल में भी 'विदेह' नाम से ही विख्यात था । यजुर्वेद संहिता में एक स्थान पर उल्लेख आया है कि, विदेह की गाएँ प्राचीन काल में बड़ी विख्यात थीं ।" इसी प्रकार का उल्लेख महाभारत में भी आया है । "
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१ - ब्राह्मण-ग्रन्थों से प्रकट होता है कि, विदेह-माथव द्वारा बसाये जाने के कारण इसका नाम विदेह पड़ा। शतपथ ब्राह्मण में आता है :
(१) गन्धार जातक (४०६) बंगला - अनुवाद खंड ३, पृष्ठ २०८, गन्धार जातक (४०६ ) हिन्दी - अनुवाद खंड ४, पृष्ठ २६,
'डिक्शनरी आव पाली प्रापर नेम्स', भाग २, पृष्ठ ६३५, ८७६
(२) 'ज्याग रैफी आव अर्ली बुद्धिज्म', पृष्ठ ३०
(३) कृष्ण यजुर्वेद ( कीथ का अनुवाद) खंड १, पृष्ठ १३८ ।
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(४) 'ट्राइब्स इन ऐंसेंट इंडिया', पृष्ठ २३५ ।
(५) महाभारत, ( निर्णयसागर प्रेस में मुद्रित ), शांतिपर्व अध्याय ३३३,
श्लोक २० ।
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