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अन्तर्गत तीन परकोटे थे, इसका उल्लेख 'जातकट्ठ कथा' के 'एक पण्ण जातक' में निम्नलिखित रूप में मिलता है :
"वेसालिनगरं गावुतगावुतन्तरे तीहि पकारेहि परिक्खितं, तीसु ठानेसु गोपुरट्टालकोटकयुत्तं ।"
-वैशाली नगर में दो-दो मील पर (गावुत गव्यूति) एक-एक परकोटा बना था। और, उसमें तीन स्थानों पर अट्टालिकाओं सहित प्रवेशद्वार बने हुए थे। ___इसी प्रकार का उल्लेख लोमहंस-जातक में भी है :."...वेसालियं तिण्णं पाकारानं अन्तरे....."२ ।
२-अजातशत्रु को वैदेहीपुत्र कहा जाता है । इससे प्रकट है कि बिम्बिसार (श्रेणिक) ने लिच्छिवि-राजकुमारी से विवाह करके लिच्छिवियों से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किया था।
३-विदेह का एक राजा कराल जनक बड़ा कामी था और एक कन्या 'पर आक्रमए करने के कारण प्रजा ने उसे मार डाला। कराल शायद विदेह का अन्तिम राजा था; सम्भवतः उसकी हत्या के बाद ही वहाँ की राजसत्ता का अन्त हो गया, और संघ-राज्य स्थापित हो गया। सातवीं-छठीं-शताब्दी ई० पू० में विदेह के पड़ोस में वैशाली में भी संघ राज्य था; वहाँ लिच्छिवि लोग रहते थे। विदेहों और लिच्छिवियों के पृथक संघों को मिलाकर फिर इकट्ठा एक ही संघ अयवा गए बन गया था, जिसका नाम वृजि-(या वज्जि) गरण था ।...समूचे वृजि-संघ की राजधानी भी वेसाली (वैशाली) ही थी। उसके चारों तरफ तिहरा परकोटा था, जिसमें स्थान-स्थान पर बड़े-बड़े दरवाजे और गोपुर (पहरा देने की मीनार ) बने हुए थे। (१) जातशट्ठकथा, पृष्ठ ३६६ । (२) जातकठ्ठकथा पृष्ठ २८३ । (३) 'ज्यागरफी आव अर्ली बुद्धिज्म,' पृष्ठ १३ । । (४) भारतीय इतिहास की रूपरेखा, भाग १, पृष्ठ ३१०-३१३ ।
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