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(१३१) चार गति का अन्त करने वाला धर्मचक्रवर्ती तीन लोक का नायक तीर्थंकर होगा ।
उसके बाद उन स्वप्न पाठकों न पृथक-पृथक चउदह स्वप्नों का फल कहा :- १-चार दाँतवाले हाथी को देखने से वह जीव चार प्रकार के धर्म को कहने वाला होगा।
२-वृषभ को देखने से इस भरतक्षेत्र में बोधि-बीज का वपन करेगा।
३-सिंह को देखने से कामदेव आदि उन्मत हाथियों से भग्न होते भव्य-जीवरूप वन का रक्षण करेगा।
४-लक्ष्मी को देखने से वार्षिक-दान देकर तीर्थंकर-ऐश्वर्य को भोगेगा।
५-माला देखने से तीन भुवन के मस्तक पर धारण करने योग्य होगा।
६-चन्द्र को देखने से भव्य जीव रूप चन्द्रविकासी कमलों को विकसित करने वाला होगा।
७-सूर्य को देखने से महा तेजस्वी होगा।
८-ध्वज को देखने से धर्मरूपी ध्वज को सारे संसार में लहराने वाला होगा।
-कलश को देखने से धर्मरूपी प्रासाद के शिखर पर उनका आसन होगा।
१०-पद्मसरोवर को देखने से देवनिर्मित सुवर्ण कमल पर उनका विहार होगा।
११-समुद्र को देखने से केवल-ज्ञानरूपी रत्न का धारक होगा। १२-विमान को देखने से वैमानिक-देवों से पूजित होगा।
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