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के प्रदेशी राजा को भगवान के आगमन की बात मालूम होते ही, वह अधिकारी वर्ग एवं सैन्यबल के साथ भगवान के सम्मुख गया और अत्यन्त आदर 'पूर्वक उनका सम्मान एवं वंदन किया ।'
केकय-राज्य जैन-गंथों में श्वेताम्बी को केकय की राजधानी बताया गया है ( वृहस्कल्पसूत्र सभाष्य और सटीक, विभाग, ३, पृष्ठ ६१३; प्रज्ञापनासूत्र मलयगिरि की टीका सहित पत्र ५५-२, सूत्रकृतांग सटीक प्रथम भाग पत्र १२२, प्रवचन सारोद्धार पत्र ४४६ (१-२) । यह केकय देश आर्य-क्षेत्र में बताया गया है। आर्य-क्षेत्र में जैन लोग २५।। राष्ट्र मानते हैं। उनमें केकय की गणना २५॥-वें राष्ट्र के रूप में की गयी है-अर्थात् केवल आधा राज्य माना गया है। .
पाणिनि में केकय-जनपद झेलम, शाहपुर और गुजरात प्रदेश का नाम बताया गया है। उसी में खिउड़ा की नमक की पहाड़ी है। वहाँ के निवासी (क्षत्रिय गोत्रापत्य) केकय कहलाते थे (पाणिनिकालीन भारतवर्ष, पृष्ठ ६७ )...'वार्णाव' की सीध में सिन्धु के पूरब की ओर केकय जनपद (७।३।२) था, जिसमें सैंधव ( सेंधा नमक ) का पहाड़ था, जो आधुनिक झेलम, गुजरात और शाहपुर जिलों का केन्द्रिय भाग है । (पाणिनिकालीन भारतवर्ष, पृष्ठ ५१) इससे स्पष्ट है कि, केकय देश वस्तुतः पंजाब में था। इससे संकेत इस दिशा में मिलता है कि, श्वेताम्बी जो आधा केकय देश था, वह वस्तुतः मूल केकय का-जो उत्तरापथ में पड़ता था-उपनिवेश था ।
हमारी पुष्टि इस बात से भी होती है कि, श्वेताम्बी का जो राजा बताया गया है, उसका नाम जैन-गंथों में प्रदेशी (रायपसेणी, पयेसीकहा) और बौद्ध-ग्रंथों में पायासी, ( दीर्घनिकाय, भाग २, पृष्ठ २३६ ) लिखा है। यह 'प्रदेशी' शब्द ही इस बात का द्योतन करता है कि वह वहाँ का निवासी नहीं था-बाहर का रहने वाला था। बौद्ध-ग्रंथों में आता है कि, पसेन्दी ने पायासी को श्वेताम्बी के निकट का भूभाग दे दिया था (डिक्शनरी आव १-त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र, पर्व १० सर्ग ३, श्लोक २८६ पत्र २९-१ ।
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