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(२०१) दोपहर को भगवान् नंगला' गाँव गये और गाँव के बाहर वासुदेव के मंदिर में ध्यान में स्थिर हो गये। वहाँ कुछ लड़के खेल रहे थे। गोशाला ने आँख निकाल कर उन सब को डरा दिया। लड़के गिरते-पड़ते वहाँ से भागे । सूचना पाकर गाँव के वयस्कों ने आकर गोशाला को खूब पीटा ।
नंगला से विहार करके भगवान् आवर्त पधारे । यहाँ वे बलदेव के मंदिर में ध्यान में स्थिर हो गये। आवर्त से भगवान चोराय-सन्निवेश गये और वहाँ भी एकान्त में ध्यान में निमग्न हो गये । यहाँ गोशाला जब गोचरी के लिए जा रहा था, तो लोगों ने उसे गुप्तचर समझ कर पकड़ लिया और खूब पीटा। ____ चोराय-सन्निवेश से भगवान् कलंबुका-सन्निवेश गये। इसके निकट के (शैलप) पर्वत-प्रदेश के स्वामी मेघ और कालहस्ती नामक दो भाई रहते थे। कालहस्ती चोरों का पीछा करता हुआ जा रहा था कि रास्ते में उसे भगवान् महावीर और गोशाला मिले । कालहस्ती ने उन दोनों से पूछा-"तुम कौन हो ?" पर, भगवान् ने उसका कुछ भी उत्तर नहीं दिया और कुतूहलवश गोशाला भी कुछ नहीं बोला। कालहस्ती ने दोनों को पकड़ कर पीटा और मेघ के पास भिजवा दिया। मेघ ने भगवान् महावीर को गृहस्थाश्रम में एक बार देखा था। उसने भगवान् को पहचान लिया और उन्हें मुक्त करके अपने भाई की अज्ञानता के लिए क्षमा-याचना करने लगा। ___भगवान् के मन में यह विचार उठा कि अभी मुझे बहुत-से कर्म क्षय करने हैं। इस परिचित प्रदेश में रहने से उन कर्मों को क्षय करने में विलंब हो रहा है। अतः ऐसे अनार्य प्रदेश में जाना चाहिए, जहाँ मेरा कोई भी परिचित न हो और मैं अपने कर्मों को शीघ्र नष्ट कर सकूँ।
१-आवश्यकचूणि, पूर्वाद्ध, पत्र २८६ । यह कोशल देश में था। बौद्ध-साहित्य
में इच्छानंगल नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ वेद-शास्त्र के बड़े-बड़े पंडित रहते थे। (देखिये वीर-विहार मीमांसा, हिन्दी, पृष्ठ २६ )
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