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(२०३) आर्य-देश में आकर भगवान् ने पाँचवाँ चातुर्मास भद्दिया' नगरी में किया । इस चातुर्मास में भी भगवान् ने चातुर्मासिक तप और विविध आसनों द्वारा ध्यान किया। चातुर्मास समाप्त होते ही भगवान् ने भद्दिया नगर के बाहर पारना करके कदली समागम की ओर विहार किया। १--अंगदेश का एक नगर था । भागलपुर से ८ मील दक्षिण में स्थित भद
रिया गाँव प्राचीन भदिया है । (वीर-विहार-मीमांसा हिन्दी, पृष्ठ २६)
छठाँ चातुर्मास
. कदली-समागाम से भगवान् महावीर जम्बूसंड' गये और वहाँ स तम्बाय-सन्निवेश२ गये । यहाँ गाँव से बाहर भगवान् ध्यान में स्थिर हो गये। इस गाँव में पार्श्वनाथ संतानीय नन्दिसेण नाम के बहुश्रुत-साधु थे। गच्छ की चिन्ता का भार सौंप करके वे जिनकल्पी आचार पालते थे। और, ध्यान में रहते थे। गोशाला गाँव में गया और उनके शिष्यों से झगड़ा करके भगवान् के पास आ गया। नन्दिसेण साधु उस रात को चौराहे पर खड़े हो कर ध्यान कर रहे थे, तब आरक्षक के पुत्र ने उनको चोर समझकर भाले से मार डाला। उसी समय उनको अवधिज्ञान हुआ और मर कर वे देवलोक गये। गोशाला को इस बात की सूचना मिली तो वह उपाश्रय में गया। वहाँ १-जम्बूसंड:-वैशाली से कुशीनारा वाले मार्ग पर अम्बगाँव और भोग। नगर के बीच में वैशाली से चौड़ा पड़ाव था।
(देखिये वीर-विहार-मीमांसा हिन्दी, पृष्ठ २६ ) २-आवश्यकचूरिण, पूर्वार्द्ध-पत्र २६१
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