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(३४६) “से भिक्खू वा २ जाव समाणे से जं पुण जाणिज्जा असणं वा समवाएसु वा पिंडनियरेसु वा इंदमहेसु वा खंधमहेसु वा एवं रुदमहेसु वा मुगुंदमहेसु वा भूयमहेसु वा जक्खमहेसु वा नागमहेसु वा थूभमहेमु वा चेइयमहेसु वा रुक्खमहेसु वा गिरिमहेसु वा दरिमहेसु वा अगडमहेसु वा तलागमहेसु या दहमहेसु वा नइमहेसु वा सरमहेसु वा सागरमहेसु वा आगरमहेसु बा अन्नयरेसु वा तहप्पगारेसु विरूवरूवेसु महामहेसु वट्टयाणेसु बहवे समण माहण अतिहि किवणवणीमगे एगाओ उक्खाओ परिएसिज्जमाणे पेहाए दोहिं जाव संनिहिसंनिचयाओ वा परिएसिज्जमाणे पेहाए तहप्पगारं असणं वा ४ अपुरिसंतकडं जाव नो पडिग्गाहिज्जा ॥"
अर्थात् साधु अथवा साध्वी जब भिक्षाटन के लिए निकले, तो उनको निम्नलिखित परिस्थियों में भिक्षा स्वीकार न करनी चाहिए:
१ जब सामुदायिक भोजन हो, २ मृत भोजन हो, ३ इन्द्र ४ स्कन्द, ५ रुद्र, ६ मुकुन्द, ७ भूत, ८ यक्ष, या ९ नाग का उत्सव हो अथवा १० स्तूप, ११ चैत्य, १२ वृक्ष, १३ गिरि, १४ दरी, १५ कूप, १६ तालाब, १७ द्रह, १८ नदी, १६ सरोवर, २० सागर या २१ आकर (खान) का उत्सव हो अथवा इन प्रकारों के अन्य ऐसे उत्सव हों जब कि बहुत से श्रमण, ब्राह्मण, अति. कृपण तथा भिखमंगों को भोजन दिया जाता हो। ___ 'नायाधम्म कहा' (१-८ पृष्ठ १००) में निम्नलिखित देवी-देवता गिनाये गये हैं :
"इंदारण य खंदारण य रुद्दसिववेसमरण नागारणं भूयाण य जक्खारण अज्जकोटिकिरियाणं"
१ इन्द्र, २ स्कन्द, ३ रुद्र, ४ शिव, ५ वेसमाण, ६ नाग, ७ भूत, ८यक्ष, ६ अज्जा, १० कोटकिरिया।
'भगवती सूत्र' (शतक ३, उद्देशा १, सूत्र १३४, पत्र १६२) में निम्नलिखित देवी देवताओं के उल्लेख हैं :
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