Book Title: Tirthankar Mahavira Part 1
Author(s): Vijayendrasuri
Publisher: Kashinath Sarak Mumbai

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Page 432
________________ (३६९) वीर केवलोत्पत्ति से ३० वर्ष बाद; निर्वाण-स्थान-वैभारगिरि (राजगृह) । अकम्पित--- पिता का नाम-वसु; माता का नाम- नन्दा; गोत्र-हारीत जन्म-नक्षत्र-मृगशिरस; जन्मस्थान-मिथिला; गृहस्थ-जीवन-४६ वर्ष; दीक्षा-स्थान-मध्यम पावा; शिष्य-संख्या-३००; अकेवलिकाल-१२ वर्ष, केवलि-पर्याय १४ वर्ष; सर्वायु-७२ वर्ष, निर्वाण काल-वीर-केवलोत्पत्ति से ३० वर्ष बाद; निर्वाण स्थान-वैभारगिरि (राजगृह) अचलभ्राता-पिता का नाम देव, माता का नाम जयन्ती, गोत्र-गौतम; जन्म-नक्षत्र-उत्तराषाढ़ा, जन्मस्थान-कोसल (अयोध्या); गृहस्थ-जीवन-४८ वर्ष; दीक्षा-स्थान-मध्यम पावा; शिष्य-संख्या-३००; अकेवलिकाल ६ वर्ष, केवलिपर्याय-२१ वर्ष; सर्वायु-७८ वर्ष; निर्वाण-काल-वीरकेवलोत्पत्ति से २६ वर्ष बाद; निर्वाण-स्थान-वैमारगिरि (राजगृह) .. मेतार्य-पिता का नाम दत्त; माता का नाम वरुणादेवी, गोत्र कौंडिन्य; जन्म-नक्षत्र-अश्विनी; जन्मस्थान-तुंगिअ सन्निवेश (कौशाम्बी); गृहस्थ-जीवन-३६ वर्ष, दीक्षा-स्थान-मध्यम पावा, शिष्य-संख्या-३००; अकेवलिकाल-१० वर्ष; केवलिपर्याय-१६ वर्ष; सर्वायु-६२ वर्ष; निर्वाणकाल-वीर-केवलोत्पत्ति से २६ वर्ष बाद, निर्वाण-स्थान-वैभारगिरि (राजगृह) प्रभास-पिता का नाम बल, माता का नाम अतिभद्रा, गोत्र-कौंडिन्य; जन्म-नक्षत्र-पुष्य; जन्मस्थान-राजगृह; गृहस्थ-जीवन-१६ वर्ष; दीक्षास्थान-मध्यम पावा; शिष्य-संख्या-३००; अकेवलिकाल-८ वर्ष; केवलिपर्याय-१६ वर्ष; सर्वायु-४० वर्ष; निर्वाण-काल-वीर केवलोत्पत्ति से २४ वर्ष बाद; निर्वाण-स्थान-वैभारगिरि (राजगृह) । - नोट-उपर्युक्त ग्यारहों गणधरों की शिष्य-संख्या उस समय की है, जब उन्होंने भगवान् के समक्ष जा कर दीक्षा ली थी। - -लेखक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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