________________
(३४५) बौद्ध-ग्रन्थों में वर्णित ६ तीर्थकर जैन-ग्रंथों के समान ही बौद्ध-ग्रंथों में भी तात्कालीन समाज और धर्म का चित्रण मिलता है । बौद्धग्रंथों में बुद्ध के समकालीन ६ तीर्थंकरों का उल्लेख आता है और स्थान-स्थान पर उनके धार्मिक विश्वासों पर प्रकाश डाला गया है। वे तीर्थंकर निम्नलिखित थे:--
(१) पूर्णकाश्यप (अक्रियावादी) (२) मक्खलि गोशाल (दैववादी) (३) अजितकेश कम्बलि (जड़वादी, उच्छेदवादी) (४) प्रक्रुद्ध कात्यायन (अकृततावाद) (५) निगंठनाथपुत्र (चातुर्याम संवर)' (६) संजय बेलट्ठिपुत्रका (अनिश्चिततावाद)२
देवी-देवता भगवान महावीर के काल में जिन देवी देवताओं की पूजा प्रचलित थी, इस पर जैन ग्रन्थों द्वारा अच्छा प्रकाश पड़ता है। आचाराङ्ग द्वितीय श्रुतस्कन्ध, अध्याय १, उद्देशा २ (पत्र २६८) में साधू के भिक्षाटन के प्रसङ्ग में कुछ पर्वो और देवी-देवताओं की पूजा का उल्लेख मिलता हे :१-महावीर स्वामी पांच महाव्रत का उपदेश देते थे। यह चार की संख्या
भ्रामक है। २--दीघनिकाय (हिन्दी अनुवाद) सामञफलसुत्त पृष्ठ १६-२२
( पृष्ठ ३४३ की पादटिप्पणि का शेषांश ) २४- वही ३; ४१४
२५- वही १; ११३, १२१ २६- वही १; १२३
२७-- वही ३; ४१४ २८- वही ४; ६०
२६-- वही २; ११८ ३०- वही २, ३, ११८
३१-- बही ३, २५३ ३२--- वही २; ३३२
३४- वही २; २०७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org