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(१४५) वसुपुज्ज मल्लि नेमी पासो वीरो कुमारपव्वइया । रज्जं काउं सेसा मल्ली नेमी अपरिणीया ।। ३४॥
व्याख्या- 'वसु' इत्यादि--वासुपूज्यो मल्लिस्वामि नेमिजिनः पार्थो वीरश्चैते पञ्च कुमारा-अव्यूढ राज्यभाराः प्रव्रजिता-दीक्षां गृहीतवन्तः, शेषा एकोनविशंति भेयाद्या राज्यं परिपाल्य व्रतं भेजुः, तथा मल्लिनेमी चेतौ द्वौ अपरिणीती- अविवाहितौ प्रव्रजितौ, अन्वे द्वाविंशतिजिनाः कृतपाणिग्रहणा: प्राब्राजिषुरिति गाथार्थः ।
भगवान् महावीर के विवाह सम्बन्धी शंका का समाधान आवश्यकनियुक्ति के उस प्रसंग से भी हो जाता है, जिसमें भगवान महावीर के जीवनकाल की प्रमुख घटनाएँ गिनायी गयी है। गाथा है
सुमिणमवहार भिग्गह जम्मणमभिसेय वुड्ढी सरणं च । भेसण विवाह वच्चे दाणे संबोह निक्खमणे ॥ २७७ ॥
-आवश्यकनियुक्ति, पृष्ठ ८१ । इसकी संस्कृत-छाया इस प्रकार हैस्वप्नोऽपहारोऽभिग्रहो जननमभिषेको वृद्धिः स्मरणं च । भीषणं विवाहोऽपत्यं दानं संबोधो निष्क्रमणम् ॥ इस पर मलयगिरि की टीका (पत्र २५२-२ ) इस प्रकार है...विवाह विधिर्वाच्यः...
भगवान् महावीर के अविवाहित होने की शंका जिन लोगों के हृदय में है, वे अपनी शंका का समर्थन निम्नलिखित गाथाओं में प्रयुक्त 'कुमार' शब्द से करते हैं :
मल्ली अरिट्ठनेमी पासो वीरो य वासुपुज्जो ॥ ५७ ।। ए ए कुमारसीहा गेहाओ निग्गया जिणवरिन्दा ।। सेसा वि हु रायाणो पुहई भोत्तूण निक्खन्ता ।।५८ ।।
-पउमचरिय, वीसइमो उद्देसो, पत्र ६८-२।
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