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हस्तिग्राम
१ - अस्थिक ग्राम और हत्थिगाम भिन्न-भिन्न नहीं हैं । दोनों एक ही स्थल का द्योतन करते हैं । उसके लिए हम यहाँ कुछ प्रमारण लिख रहे हैं:
( अ ) यही हत्थिगाम सम्भवतः अस्थिक ग्राम है । बौद्ध ग्रन्थों में वरिणत 'हत्थिगाम' और जैन साहित्य में वरित 'अस्थिकग्राम' में थोड़ा सा उच्चारण भेद है । परन्तु दोनों साहित्यों में इसे विदेह के अन्तर्गत माना है । और वैशाली के निकट होना बताया है ।
- 'वीर - बिहार - मीमांसा', (हिन्दी) पृष्ठ ४
(आ) बहुत-से आलेखों में हस्तिपद का उल्लेख कुछ ब्राह्मण परिवारों की मूलभूमि के रूप में मिलता है । यह कहाँ था, यह नहीं कहा जा सकता । परन्तु इससे वैशाली (उत्तर विहार में स्थित मुजफ्फरपुर जिले के अन्तर्गत बाढ़) के निकट वरिणत हस्तिग्राम का ध्यान हो आता है ।
-' इंडियन हिस्टारिकल क्वाटर्ली', भाग २०, अंक ३, पृष्ठ २४१ ।
(इ) बौद्धग्रन्थों के 'हस्तिगाम' और जैन वाङमय के 'अस्थिकगाम' एक ही हैं । वस्तुतः उच्चारण-भेद से ही 'अस्थिक' का 'हत्थि' हो गया है । भाषा - विज्ञान की दृष्टि से यह पूर्णतया प्रमाणित है । संस्कृत 'अस्थि' का पहले 'अट्ठी' होता है फिर 'हड्डी' हो जाता है । 'अ' के स्थान पर 'ह' होना आरम्भ में कई स्थानों पर देखा जाता है । 'ओष्ठ' का 'होठ' हो जाता है । 'अमीर का ' हमीर' हो जाता है ।
ब्रह्मनाल, काशी ता. १-१०-४६
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- विश्वनाथ प्रसाद मिश्र .
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