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(१४१) वहाँ आया । इन्द्र ने महावीर से व्याकरण-सम्बन्धी प्रश्न पूछे । भगवान् महावीर ने अविलम्ब उनका जवाब दे दिया। पंडित दंग रह गया। पण्डित ने उत्तर सुनकर सोचा कि इस विद्यार्थी ने तो मेरी भी शंकाएँ निर्मूल कर दी। तब इन्द्र ने पण्डित से कहा-"पण्डित ! यह बालक कोई साधारण छात्र नहीं है । यह सकल शास्त्र पारंगत भगवान् महावीर है ।" इन्द्र के इस वचन को सुनकर पण्डित चकित रह गया। भगवान् महावीर के मुख से निकले वचन को सुन करके, ब्राह्मण ने इस नये व्याकरण को 'ऐन्द्र-व्याकरण' ' बताया।
भगवान् महावीर का विवाह जब भगवान महावीर यौवन को प्राप्त हुए तो उनके विवाह के प्रस्ताव आने लगे । उनके माता-पिता के मन में जो इच्छा थी, उसके पूरे होने के दिन आये। इसी समय वसन्तपुर नगर के महासामन्त समरवीर १--त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र पर्व १० सर्ग २ श्लोक १२२ । २-(अ) आषोडशाद्भवेद्बालो यावत्क्षीरानवर्त्तकः । मध्यमः सप्तति यावत् परतो वृद्ध उच्यते ॥
-स्थानाङ्ग सूत्र वृत्ति, पत्र १२८-२ ब आषोडशाद् भवेद् बालस्ततस्तरुण उच्यते । वृद्धः स्यात् सप्ततेरूद्धवंम् ...............॥
-अभिधान राजेन्द्र, भाग ४, पृष्ठ १६५७ क कौमारं पञ्चमाब्दान्तं पौगण्डं दशमावधि । कैशोरमापञ्चदशाद्यौवनं तु ततः परम् ॥
-शब्दार्थ चिन्तामणि, भाग ४, पृष्ठ ४३ ३-कौटिलीय अर्थशास्त्र में सामन्त शब्द पड़ोसी राज्य के राजा के लिए प्रयक्त
हुआ है।...सामन्तों में कुछ प्रमुख और उत्तम स्थानीय होते थे। उनकी पदवी प्रधान-सामन्त थी।
-वासुदेव शरणकृत 'हर्ष चरित' परिशिष्ट दूसरा, पृष्ठ २१७-१८ (२) सामन्त का अर्थ 'वैजयन्ती-कोष' में 'ए नेबरिंग किंग' लिखा है। (पृष्ठ ८४७)
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