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(१२९) आता है, तब वह तीस महास्वप्नों में से एक ' महास्वप्न देखती है।
इसमें प्रतिवासुदेव की माता को कितने स्वप्न आते हैं, इसका उल्लेख नहीं किया गया है । प्रतिवासुदेव की माता को तीन स्वप्न आते हैं, ऐसा बहुत स्थानों पर उल्लेख पाया जाता है । कहीं पर ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि उसे एक स्वप्न आता है ।
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श्री समवायाङ्ग सूत्र के ५४ - वें समवाय में ५४ महापुरुषों का उल्लेख हुए लिखा है कि
करते
“भर हेरवसु णं वासेसु एगमेगाए उस्सप्पिणीए ओसप्पिणीए चवन्नं चउवन्नं उत्तमपुरिसा उप्पज्जिंसु वा उप्पजंति वा उप्पज्जिस्संति चा, तं जहा चडवीसं तित्थकरा बारस चक्कवट्टी नव बलदेवा नव वासुदेवा....... (सूत्र ५४ ) समवायांग सूत्र सटीक, पत्र ६८-२
अर्थात् भरत और ऐरवत क्षेत्रों में प्रत्येक उत्सप्पिणी और अवसप्पिणी में चउपन महापुरुष उत्पन्न होते हैं- २४ तीर्थंकर, १२ चक्रवर्ती, बलदेव और & वासुदेव । इन चउपन महापुरुषों में प्रतिवासुदेव का उल्लेख
१-................एकं मालिकप्रसूः || ५६||
- श्रीकाललोक प्रकाश, सर्ग ३०, पृष्ठ १६६
२ - ( अ ) प्रतिकेशवमाता तु त्रीन् स्वप्नानवलोकयेत् ।
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श्रीकाललोक प्रकाश, सर्ग ३०, पृष्ठ १६६
(ब) प्रतिवासुदेवे गर्भावतीर्णे तन्माता कियतः स्वप्नातु पश्यतीत्यत्र त्रीन् स्वप्नानु पश्यतीति ज्ञायते ... ।
- हीरप्रश्न, प्रकाश ४, पृष्ठ २३६ स्वमुखे निशि ।
३ - अन्यदा कैकसी स्वप्ने विशन्तं कुंभिकुम्भस्थली भेदप्रसक्तं सिंहमैक्षत ॥ १ ॥
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- श्री त्रिषष्टिशलाका-पुरुष चरित, सर्ग - ७ पर्व १
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