________________
(८७)
परिनिब्बान सुत्त में उन स्थानों के नाम आये हैं, जहाँ बुद्ध अपनी अन्तिम यात्रा में ठहरे थे । उनका क्रम इस प्रकार है :
“अम्बलत्थिका, नालन्दा, पाटलीग्राम, (जहाँ बुद्ध ने गङ्गा पार की ), कोटिगाम, नादिका, वेसाली, भण्डगाम, हत्थिगाम, अम्बगाम, जम्बुगाम, भोगनगर, पावा । फिर ककुत्थ नदी - जिसके उस पार आम तथा साल के बाग थे । ये बाग मल्लों के थे ।"
बुद्ध की इस अन्तिम यात्रा से स्पष्ट है कि, कुण्डपुर ( क्षत्रियकुण्ड ) अथवा ब्रातिक वज्जी (विदेह ) देश के अंतर्गत था । 'महापरिनिब्बान-सुत्त' के चीनी - संस्करण में इस नातिक की स्थिति और भी स्पष्ट है । उस में लिखा है कि, यह वैशाली से ७ 'ली' की दूरि पर था । ( १ )
कनिंघम ने अपने ग्रंथ 'ऐंशेंट ज्यागरैफी आव इंडिया' में लिखा है कि, एक ली = 4 मील । ( २ ) अतः कहना चाहिए कि वैशाली और कुण्डग्राम के बीच की दूरि १३ मील थी । ( ३ )
१ - 'साइनो - इंडियन स्टडीज', वाल्यूम १ । भाग ४, पृष्ठ १६५ । जुलाई १९४५, 'कम्परेटिव स्टडीज इन द' परिनिब्बान सुत्त ऐंड इटस् चाईनीज वर्जन, फाच - लिखित ।
२ - 'ऐंशेंट ज्याँगरैफी आव इंडिया', पृष्ठ ६५८
३ - इस नादिक अथवा नातिक ग्राम का उल्लेख ६ वीं शताब्दी तक मिलता है। सुवर्ण दीप के राजा बालपुत्र ने दूत भेजकर देवपाल से नालंदा में निर्मित अपने विहार के लिए पाँच गाँव देने का आग्रह किया । अनुरोध को स्वीकार कर के देवपाल ने जो पाँच गाँव दिये थे, उनमें नाटिका और हस्तिग्राम भी थे । 'मेमायर्स आव द' आर्कालाजिकल सर्वे आव इंडिया' संख्या ६६ ‘नालंदा एण्ड इट्स इपीग्राफिक मिटीरियल में हीरानन्द शास्त्री ने इन गाँवों की पहचान गंगा के दक्षिण में की है । पर यह उनकी भूल है । ये गाँव गंगा के उत्तर में स्थित थे ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org