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(१२२) -परिवर्तन को 'असम्भव' कहना ऐसे विचारवालों की भूल है।
कुछ आश्चर्य ऐसे आश्चर्यों की कहानी कुछ कम नहीं है। 'तुजक-जहाँगीरी' में एक बैल का उल्लेख है, जो दूध देता था। उसी प्रकार का एक विवरण दिल्ली से . प्रकाशित 'हिन्दुस्तान' (७-१०-५९) में निकला है कि झाँसी में एक बछिया
'बिला-ब्याए दूध देती है। . महावग्ग (पृष्ठ ९२) में 'उभतोव्यंजनक' शब्द का उल्लेख आया हैजिसका अर्थ है, पुरुष और स्त्री दोनों लिंगों वाला व्यक्ति ! इन सबको आश्चर्य नहीं तो क्या कहें !
( ३ )
स्वप्न-दर्शन देवानन्दा ब्राह्मणी की कुक्षि में बयासी अहोरात्र रहने के बाद जब हरिणेगमेषि देव ने तिरासीवें दिन की मध्यरात्रि में (आसो वदि तेरस की मध्यरात्री को ) भगवान् महावीर को त्रिशला क्षत्रियाणी की कुक्षि में स्थापन किया, उसके बाद पश्चिम याम में त्रिशला क्षत्रियाणी ने चौदह महास्वप्न देखे । उनके नाम इस प्रकार हैं :- १, सिंह, २ हाथी, ३ वृषभ, ४ श्री देवी (लक्ष्मी देवी), ५ पुष्पों की दो माला, ६ चन्द्र, ७ सूर्य, ८ ध्वजा, ६ कलश, १० पद्म-सरोवर, ११ क्षीर-समुद्र, १२ देव-विमान, १३ रत्नों की राशि और १४ निधूम अग्नि । ___इन चौदह उत्तम स्वप्नों को देखकर वह जाग्रत हुई और राजा सिद्धार्थ के पास जाकर उन्होंने स्वप्नों की बात कही । राजा इससे बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा " हे देवानुप्रिये ! तुमने बड़े उदार एवं कल्याणकारी
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