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(८६) के निकट की बहुआर नदी लम्बाई में ८-६ मील मात्र है। उसकी गण्डकी से क्या तुलना की जा सकती है जो १६२ मील लम्बी है। ___ एक लेखक ने लिखा है कि, गिद्धौर-नरेश अपने को राजा नन्दिवर्द्धन (महावीर स्वामी के सांसारिक बड़े भाई) का वंशज बताते हैं । यह भी तथ्यों के पूर्णतः विपरीत स्थापना है । गिद्धौर के वर्तमान नरेश की वंशपरम्परा के सम्बन्ध में उल्लेख आया है :__ “यहाँ एक बहुत पुराने घराने के राजपूत जमींदार रहते हैं। इनके पूर्वज पहले बुन्देलखंड के महोबा राज्य के स्वामी थे। इनको दिल्ली के अन्तिम हिन्दू-राजा पृथ्वीराज ने हराया था। मुसलमानों से खदेड़े जाने पर ये लोग मिर्जापुर आये । यहाँ से वीर विक्रमशाह ने आकर मुगेर जिले में अपना राज्य कायम किया। शुरू में इन लोगों ने खैरा पहाड़ी के पास अपना किला बनवाया, जहाँ अब भी उसके चिह्न मौजूद हैं।"3
श्री चिन्तामणि विनायक वैद्य ने अपने 'हिन्दू भारत का उत्कर्ष' नामक ग्रन्थ में भी इसी प्रकार का उल्लेख किया है।'
इन प्रमाणों से स्पष्ट है कि, वर्तमान गिद्धौर-नरेश के पूर्वज बुन्देलखंड के चन्देल थे। वे चन्द्रवंशी थे। उनका गोत्र चन्द्रात्रेय था। उनकी राजधानी परषंडा नहीं, पटसंडा थी, और भगवान् के सम्बन्ध में जो शास्त्रीय प्रमाण मिलते हैं, उनसे स्पष्ट है कि उनके पूर्वज कोशल-देशवासी थे, उनकी पहले की राजधानी अयोध्या थी और उनका गोत्र काश्यप था । कल्पसूत्र में आता है:
१-मानचित्र ७२ L-१ । २-क्षत्रियकुंड, पृष्ठ ९ । ३-मुंगेर-जिला-दर्पण, पृष्ठ ४५-४६ ४-हिदूभारत का उत्कर्ष, पृष्ठ ६३ । ५-क्षत्रियकुण्ड, पृष्ठ ९ । ६-मानचित्र ७२।एल। १
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