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(८४) 'वैशाली' नाम की नगरी थी, ठीक उसी प्रकार 'वैशाली' के नाम से वह जनपद भी विख्यात था। और, उस देश के निवासी 'वैशालिक' कहे जाते थे। __ वह जनपद अथवा देश भी वैशाली कहा जाता था, हमारे इस मत के समर्थन में कितने ही प्रमाण उपलब्ध है।
(१) अम्बपाली गणिका लिच्छिवियों से सभिक्षुसंघ बुद्ध को दिये गये अपने निमंत्रण को अपने लिए करवाने के लिए प्रार्थित होकर उनके उत्तर में कहती है___सचेपि मे अय्यपुत्ता वेसालिं साहारं दस्सथ एवंमहन्तं भत्तं न दस्सामी'ति'
'आर्य पुत्रो ! यदि वैशाली जनपद भी दो, तो भी इस महान भात (भोजन) को न दूंगी।"
-दीघनिकाय, महापरिनिब्बान-सुत्त, पृष्ठ १२८
(महाबोधि-ग्रन्थमाला, पुष्प ४, १६३६ ई०) (२) इसी प्रकार प्रसिद्ध चीनी-यात्री युवान् च्वाङ् अपने यात्रा-वर्णन में लिखता है :
"वैशाली-देश की परिधि ५००० ली से भी अधिक है (')
(३) महावस्तु भाग १, पृष्ठ २५४ में "वैशालकानां लिच्छिवीनां वचनेन" का प्रयोग हुआ है, जिससे स्पष्ट है कि, 'वैशाली' देश का नाम भी था।
(३) पाजिटर ने लिखा है :
"राजा विशाल ने विशाला अथवा वैशाली नगरी को बसाया और राजधानी बनायी।...वह राज्य भी वैशाली ही कहा जाता था और राजा वैशालिक राजा कहे जाते थे। यह 'वैशालिक' शब्द उस कुल में उत्पन्न सभी के लिए प्रयुक्त होता था। (२)'
१-'बुद्धिस्ट रेकार्ड आव वेस्टर्न इंडिया' खण्ड २, पृष्ठ ६६ । २-'ऐंशेंट इंडियन हिस्टारिकल ट्रेडीशन', पृष्ठ ६७ ।
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