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अब हम 'वेसालिय' शब्द पर विचार करेंगे । क्योंकि, कुछ लोग 'वेसालिय' शब्द के कारण भगवान् का जन्म-स्थान वैशाली. नगर मानते हैं। 'वैशालिक' शब्द पर प्राचीन टीकाकारों ने भी विचार किया है
(१) विशाला जननी यस्य विशालं कुलमेव वा
विशालं प्रवचनं चास्य तेन वैशालिको जिनः ।।
-सूत्रकृतांङ्ग शीलांकाचार्य की टीका, अ० २, उद्दे० ३, पत्र ७८-१। जिसकी माता विशाला हैं, जिन्होंने विशाल राजा के कुल में जन्म लिया है, जिसके वचन विशाल है, वह वैशालिक कहलाते हैं।
(२) वेसालिअसावए'त्ति-विशाला-महावीर-जननी तस्या, अपत्य मिति वैशालिको भगवान, तस्य वचनं शृणोति तद्रसिकत्वादिति वैशालिक श्रावकः
-भगवतीसूत्र, अभयदेव सूरि-कृत टीका
भाग १, शतक २, उद्देश १, पृष्ठ २४६
-भगवतीसूत्र, दानशेखर गणिकृत-टीका, पृष्ठ ४४ -विशाला (त्रिशला) महावीर स्वामी की माता थीं। इससे (विशाला के पुत्र होने के कारए) वे 'वैशालिक' नाम से प्रसिद्ध हुए। उनके रसपूर्ण वचन को जो सुनता है, वह वैशालिक-श्रावक है। (३) विशालकुलोद्भवत्वाद् वैशालिकः
– सूत्रकृताङ्ग-शीलङ्काचार्य की टीका, पृष्ठ ७८-१ -विशाल कुल में उत्पन्न होने से भगवान् महावीर का नाम वैशालिक पड़ा।
यहाँ 'कुल' से तात्पर्य जनपद से है ( अमरकोष, निर्णय सागर प्रेस, पृष्ठ २५० ) अतः 'विशालकुलोद्भवत्वाद्' का अर्थ हुआ
विशालदेशोद्भवत्वाद् वैशालिकः ___-विशाल देश में उत्पन्न होने से भगवान् का नाम वैशालिक पड़ा।
इन प्रमाणों से स्पष्ट है कि, भगवान का नाम 'वैशालिक' होने से यह . सिद्ध नहीं होता कि, उनका जन्म विशाला नगरी में हुआ था। जिस प्रकार
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