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(८१) -----आचार्य गुणभद्र (विक्रमी ह-वीं शताब्दी)-रचित 'उत्तर पुराण' पृष्ठ ४६०, ोय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित । (ङ)............................................
विदेहविषये कुण्ड सञ्ज्ञायां पुरि भूपतिः ॥७॥ नाथो नाथकुलस्यैकः सिद्धार्थाख्यस्त्रिसिद्धिभाक् । तस्य पुण्यानुभावेन प्रियासीत् प्रियकारिणी ।।८॥
-उपर्युक्त, पृष्ठ ४८२ .. भगवान् के जन्मस्थान के सम्बन्ध में शंका करते हुए कुछ लोग कहते हैं कि, दिगम्बर-ग्रंथों में 'कुण्डपुर' शब्द आता है, 'क्षत्रियकुण्ड' नहीं। पर, वस्तुतः तथ्य यह है कि, श्वेताम्बर-ग्रंथों में भी मुख्य रूप से कुण्डपुर ही नाम आता है। उस ग्राम का मुख्य नाम कुण्डपुर ही था-क्षत्रियकुण्ड और ब्राह्मणकुण्ड तो उसके दो विभाग थे। श्वेताम्बर-ग्रंथों में कुण्डपुर कितने स्थानों पर आया है, उसकी तालिका हम नीचे दे रहे हैं।
'आवश्यक नियुक्ति -पृष्ठ ६५, श्लोक १८० । पृष्ठ ८३, श्लोक ३०४ । पृष्ठ ८६, श्लोक ३२४, ३३३ । पृष्ठ ८७, श्लोक ३३६ ।
कल्पसूत्र सूत्र ६६, १०० (दो बार), १०१, ११५ ।
आवश्यक सूत्र (हारिभद्रीय टीका) पत्र १६०१२, १८०।१, १८०।१, १८३।१, १८३।१, १८३।२, १८४११, २१६।२ ।
महावीर-चरियं-नेमिचन्द्र-कृत, पत्र २६।२ श्लोक ७, ३३।१ श्लोक ६६, ३५।२ श्लोक २७, ३६।१ श्लोक ४३ ।
• महावीर-चरियं-गुणचन्द्रगणि-कृत, पत्र ११५।२, १२४।१, १३५।१.. १४२११, १४२।२।
पउमचरियं-विमलसूरि-कृत, उद्देसा २, श्लोक २१ । वराङ्ग-चरितम्-जटासिंह नन्दि-विरचित, पृष्ठ २७२, श्लोक ८५ ।
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