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(ङ) लिच्छिवि-वंश की शक्तिशाली राजधानी वैशाली ( विहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित वसाढ़) नगर प्रारम्भिक दिनों में बौद्ध धर्म का एक दुर्ग था । '
इस वज्जीसंघ में बहुत से इतिहासकार ८ कुल मानते हैं । मिश्रबंधुओं ने उन कुलों के नाम इस प्रकार गिनाये हैं: -- विदेह, लिच्छिवि, ज्ञात्रिक, वज्जी, उग्र, भोग, ऐक्ष्वाकु और कौरव । *
पर, तथ्य यह है कि, आर्यों के केवल ६ ही कुल थे । प्रज्ञापनासूत्र सटीक में उनका उल्लेख इस प्रकार आया है
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कुलारिया छव्विा पं., तं. -- उग्गा, भोगा, राइन्ना, इक्खागा, खाया, कौरव्वा सेत्तं कुलारिया । ( ४ )
इसी प्रकार का उल्लेख स्थाङ्गसूत्र में भी मिलता हैछव्विधा कुलारिता मणुस्सा पं., तं. -- उग्गा, भोगा, राइन्ना, इक्खागा 'णाता, कोरव्वा ( ५ ) ( सूत्र ४९७)
-- आर्यों के ६ कुल थे । वे इस प्रकार थे – उग्र, भोग, राजन्य, ऐक्ष्वाकु ज्ञात (लिच्छिवि, वैशालिक ) तथा कौरव |
इतिहासकारों द्वारा ८ कुल गिनाने का कारण यह है कि, सुमंगल - विलासिनी (६) में एक स्थान पर ' अट्ठकुलका ' (७) शब्द आता है ।
(१) '२५०० इयर्स आव बुद्धिज्म', पृष्ठ ३२० ।
(२) 'द' ऐंशेंट ज्यागरैफी आव इण्डिया' कनिंघम रचित, पृष्ठ ५१२-५१६ | 'ट्राइब्स इन ऍशेंट इंडिया' ला रचित, पृष्ठ ३११ (३) बुद्धपूर्व का भारतीय इतिहास, पृष्ठ ३७१ । (४) प्रज्ञापना सूत्र ( सटीक ) पत्र ५६| १ |
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(५) स्थानाङ्ग सूत्र ( सटीक ) पत्र ३५८ ।१ ।
(६) सुमङ्गल विलासिनी, भाग २, पृष्ठ ५१६ ।
(७) 'डिक्शनरी आव पाली प्रापर नेम्स', भाग २, पृष्ठ ८१३ ।
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