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(७१) वैशाली की दूरी १३५ ली (२७ मील) लिखी है।' आजकल मुजफ्फरपुर जिले में स्थित बसाढ़ गाँव पटना से २७ मील और हाजीपुर से २० मील उत्तर है । इससे दो मील की दूरी पर स्थित बखरा के पास अशोक-स्तम्भ है। सबसे पहले सेंट मार्टिन और जनरल कनिंघम ने इस स्तम्भ का निरीक्षण किया था। और, इन्हीं लोगों ने बसाढ़ के ध्वंसावशेषों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया।
१९०३-४ में डा० ब्लाख की देख-रेख में खोदायी का काम हआ। बाद में १६१३-१४ में डाक्टर स्पूनर ने यहाँ खोदायी शुरू की। विशालगढ़ की खुदाई में बहुत सी मुहरें तथा ऐसे पदार्थ मिले, जिससे वैशाली की स्थिति पूर्ण रूप से सुदृढ़ हो गयी । और, अब तो यहाँ बुद्ध की अस्थियाँ मिल जाने से, उसके बारे में किञ्चित् मात्र शंका नहीं की जा सकती । इस अस्थि की चर्चा चीनी यात्री युवान च्वाङ् ने भी की है। उसके यात्रा-वर्णन के आधार पर पुरातत्ववेत्ता वर्षों से उसे ढूंढ़ निकालने के प्रयास में थे।
यह स्थान अब तक राजा 'विशाल के गढ़' के नाम से प्रसिद्ध है। यह आयताकार है और ईंटों से भरा है। इसकी परिधि लगभग एक मील है । डाक्टर ब्लाख के अनुसार यह गढ़ उत्तर की ओर ७५७ फुट, दक्षिण की ओर ७८० फुट, पूर्व की ओर १६५५ फुट और पश्चिम की ओर १६५० फुट लम्बा है । पास के खेतों की अपेक्षा खंडहरों की ऊँचाईं लगभग ८ फुट है। दक्षिण को छोड़ कर इसके तीन ओर खाई है। इस समय यह खाई १२५ फुट चौड़ी है; परन्तु कनिंघम ने इसकी चौड़ाई २०० फुट लिखी है । इससे सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इस किले के तीन ओर खाई थी। वर्षा और जाड़ों में किले का रास्ता दक्षिए पावं की ओर से रहा होगा।
गढ़ के निकट लगभग ३०० गज़ दक्षिण-पश्चिम में एक स्तूप है। यह ।। (१) 'ऐशेण्ट ज्यागरफी आव इंडिया'-कनिंघम-रचित पृष्ठ ६५४ । (२) 'इलस्ट्रेटेड वीक्ली आव इंडिया', १३ जुलाई १९५८, पृष्ठ ४६-४७,
'एक्स कैवेशंस ऐट वैशाली', ए० एस० अल्टेकर-लिखित ।
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