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(६२) (ख) वैदिक-दृष्टिकोण १--रामायण में आता है:
इक्ष्वाकोऽस्तु नरव्याघ्रपुत्रः परमधार्मिकः । अलम्बुषायामुत्पन्नो विशाल इति विश्रुतः ।।
तेन चासीदिह स्थाने विशालेति पुरीकृता' । -अर्थात् इक्ष्वाकु की रानी अलम्बुषा के पुत्र विशाल ने विशाला नगरी बसायी।
जिस समय विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को लेकर जनकपुर जा रहे थे, उन्हें रास्ते में वैशाली पड़ी थी। उन्होंने राम-लक्ष्मण को वैशाली के उन्नत शिखर और भव्य भवन दिखलाये थे और एक रात्रि वहीं व्यतीत की थी। रामायण में उल्लेख है कि उस समय वहाँ सुमति नाम का राजा राज्य करता था । इस प्रकार सुमति अयोध्या के राजा दशरथ का समकालीन था। विष्णु-पुराण में सुमति विशाल की दसवीं पीढ़ी में बताया गया है ।
२-श्रीमद्भागवत-पुराण में भी विशाल द्वारा वैशाली बसाये जाने का उल्लेख है:--
"विशालो वंशकृद् राजा वैशाली निर्ममे पुरीम।" ३-विष्णुपुराण में भी विशाल द्वारा इस नगर के बसाये जाने का उल्लेख है।
. ४–पाणिनी ने अपने अष्टाध्यायी-व्याकरण में भी वैशाली के शासक वृजियोंका उल्लेख किया है-देखो-'मद्रवृज्यो कन्' (सूत्र ४-२-१३१) . ५-इन प्रमाणोंसे वैशाली की प्राचीनता सिद्ध है। इस वैशाली गण(१) श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण, आदि काण्ड, सर्ग ४७, श्लोक-११-१२ (२) श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण, भाग १, टी० एम० कृष्णाचार्य-सम्पादित ___ बालकाण्ड, सर्ग ४७ श्लोक १७, १८, १६ (३) 'हिस्ट्री ऑव तिरहुत', पृष्ठ २१ (श्यामनारायण-रचित) (४) श्रीमद्भागवत पुराण, स्कन्ध ६, अ० २, श्लोक ३३ (५) विष्णुपुराण ( विल्सन-अनूदित), खंड ३, पृष्ठ २४६
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