Book Title: Sutrakrutanga Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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- सूत्रकृताङ्गसूत्रे ____ अन्वयार्थ:--(अप्पेगे) अप्येके केचन पुरुपाः (व जुंजइ) वचो युजति वाचं भाषन्ते तद्यथा (नगिणा) नग्ना एते जिनकल्पिकादयः तथा (पिंडोलगा) विण्डोलकाः परपिण्डपार्थकाः (अहमा) अधमा:-मलमलिनदेहाः (सुंडा) मुण्डाः लुंचित शिरसः (कंडूविणटुंगा) कंडुविनष्टांगा: कण्डूकृतक्षतैः विकृतशरीराः (उज्जल्ला) उज्जल्लाः उद्गतः जल्ला मलं शुष्कमस्वेदो वा येषां ते उज्जलाः कठिनमलयुक्तशरीरका यथा तथा (असमाहिया) असमाहिताः अशोभना वीमत्सा वा इत्थं कथयन्तीति ॥१०॥ ____टीका-'अप्पेगे' अप्येके एके अनार्यतुल्याः पुरुषाः साधूनधिकृत्य 'वइझुंजई' वचो युञ्जन्ति वाचमुदीरयन्ति, कीदृशीं वाचमुदीरयन्ति, तत्राह-'नगिणा' पिण्डोलगाः' पर पिंडके इच्छुक हैं 'अहमा-अधम:' अधम हैं 'मुंडामुण्डाः' मुण्डित हैं 'कंदविणटुंगा-कंदूविनाष्टांगाः' कंदूरोगसे इनके अङ्ग नष्ट होगये हैं 'उज्जल्ला-उज्जल्लाः' ये शुष्क पसीने युक्त और 'अस. माहिया-असमाहिता' अशोभन अर्थात् बीभत्स हैं ऐसा कहते हैं ॥१०॥ ____ अन्वयार्थ-साधु को देखकर कोई कोई कहते हैं, ये नग्न हैं (जिनका ल्पिक आदि) पराये पिण्ड की प्रार्थना करने वाले हैं, अधम हैं मलीन शरीरवाले हैं, मुडित हैं, खुजली के कारण इनका शरीर क्षत विक्षत हो रही है, मैल जमाहुओ है, ये पसीने से तर हो रहे हैं या इनका शरीर कठिन मल से युक्त है, ये कैसे अशोभन या बीभत्स दिखाई देते हैं ? ॥१०॥
टोकार्थ-अनार्यों के सदृश कोई कोई पुरुष साधुओं के सम्बन्ध में इस पिन २ . 'अहमा-अधमाः' मधम छ मुंडा- मुण्डा.' भुलित छे. 'कविणटुंगा-कंडूविनष्टांगाः' ४'डू गथी तमना A1 नष्ट ७ गया छे. 'उज्जल्ला-उजल्लाः' मा सशु परसेाथी युक्त भने 'असमाहिया-असमाहिताः' मलिन अर्थात् मालास छ माई डे छ ॥१०॥
સુવાર્થ-જિનકલ્પિક આદિ સાધુઓને જોઈને કોઈ કોઈ માણસો એવું કહે है-'म न छ, ५२राया पिंडने (मारने) माटे प्रार्थना ४२ना। छ, અધમ છે, મવીન શરીરવાળા મુંડિત છે, ખુજલીને કારણે તેમનું શરીર ક્ષત વિક્ષત થઈ ગયું છે, તેમના શરીર પર મેલને થર જામી ગયે છે, તેમનું શરીર પરસેવાથી તરબળ છે, અથવા તેમનું શરીર કઠણ મેલથી યુક્ત છે. તેઓ કેવાં ડેળ અને બીભત્સ દેખાય છે૧
ટીકાઈ– અનાર્યોના જેવા રવભાવવાળા લેકે સાધુઓને અનુલક્ષીને આ