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खुश खबर लिजिये.
सूत्रश्री भगवतीजी, प्रज्ञापनाजी, जीवाभिगमजी, समवायांगजी, अनुयोगद्वारजी, दशषैकालिकनी आदि से उद्धरीत किये 'हुवे बालावबोध हिन्दी भाषा में यह द्वितीयावृत्ति अच्छा सुधारा "और खुलासा के साथ बढोये कागद, अच्छा टैप, सुन्दर कपडेकि एक ही.
जल्द में यह ग्रन्थ एक द्रव्यानुयोगका खजाना रूप तैयार करवाया गया है. किंमत मात्र रु. १ ।।
जल्दी किजिये खलास हो जानेपर मीलना असंभव है.
शीघ्रबोध भाग १ - २-३-४-५ वां
जिस्की संक्षिप्त विषयानुक्रमणिका.
संख्या.
विषय.
प्रथम भाग.
१ धर्मज्ञ होनेके १५ गुण
१
२ मार्गानुसारीके ३५ बोल २
:
व्यवहार सम्यक्त्वके ६७
बोल
पृष्ट संख्या.
विषय.
पृष्ट
४ पैतीस बोलोंका थोकडा ११.
५ लघु दंडक बालावबोध २२ : ६ चौवीस दंडक के प्रश्नोत्तर ३८ ७ महादंडक ९८ बोल ८ विरहद्वार
३९
७
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