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श्रद्धा का लहराता समन्दर
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साधना करूँ। व्याख्यान आदि तो वर्षों तक देता ही रहा हूँ क्योंकि
गुरुदेव सिद्ध जपयोगी थे अब मेरा बहुत लम्बा समय नहीं। दो तीन वर्ष ही तो निकालने हैं, इतने समय में जितनी अधिक साधना हो जाए, उतना अच्छा है।
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-वीरेन्द्र डांगी (उदयपुर) दो-तीन वर्ष की बात सुनकर मेरी आँखों में आँसू आ गए, मैंने पुनः निवेदन किया कि भगवन् ये फरमाया आपने! गुरुदेवश्री ने संतों का जीवन एक आदर्श जीवन होता है। उनके पवित्र ODS कहा, अच्छा-अच्छा कोई बात नहीं, तुम घबराओ मत और सान्निध्य को पाकर अपवित्र भी पवित्र हो जाता है। उनके दर्शन SODE आश्वासन देकर अपने लेखन के कार्य में व्यस्त हो गए।
कर जीवन धन्य हो उठता है और उनकी सेवा कर हृदय पवित्र हो D RD गुरुदेवश्री को यह अनुभव हो गया था कि मेरा कितना समय
जाता है। उनका स्मरण मात्र ही जीवन का कायाकल्प कर देता है। अवशेष है किन्तु आचार्यश्री देवेन्द्रमुनिजी म. को और भक्तजनों को
परम श्रद्धेय गुरुदेव उपाध्यायश्री पुष्कर मुनि जी म. से प्रत्यक्षीकरण कष्ट न हो इसलिए वे जानते हुए भी मौन हो जाते थे और अब मैं
का मुझे उदयपुर में सौभाग्य मिला। प्रथम दर्शन ने ही मेरे मन को सोचता हूँ कि गुरुदेवश्री ने जो फरमाया था, वही सत्य निकला।
प्रभावित किया। मुझे लगा कि गुरुदेवश्री तो मेरे चिरपरिचित हैं,000 तीन वर्ष से कम ही समय गुरुदेवश्री विराजे। धन्य हैं मेरे
। उनके मधुर व्यवहार ने मेरे को चुम्बक की तरह खींच लिया। पहले गुरुदेव, जिनका जीवन साधनामय, आराधनामय रहा जिन्होंने
तो मैं सोचता रहा कि गुरुदेवश्री बहुत बड़े संत हैं, मेरे से बोलना अपने जीवन को अप्रमत्त रहकर सदा निखारा ऐसे महामहिम
भी पसन्द नहीं करेंगे, पर जब मैं उनके निकट संपर्क में पहुँचा तो गुरुदेव को पाकर धन्य-धन्य हो उठा। गुरुदेवश्री के चरणों में मेरी
मैंने उसके विपरीत उन्हें पाया। उन्होंने स्नेह और सद्भावना के श्रद्धार्चना।
साथ मेरे से वार्तालाप किया और मुझे प्रेरणा दी कि, तू जाप कर, DOESD. जाप करने से तुझे मानसिक शांति का अनुभव होगा। गुरुदेवश्री ने
मुझे जाप करने के लिए प्रेरणा दी और मैंने जाप भी किया किन्तु महान उपकारी तेजस्वी सन्त
पूर्ण जाप नहीं कर सका पर जितना भी जाप किया, मुझे अपार dea
आल्हाद की अनुभूति हुई। -श्याम जी बर्डिया, (उदयपुर)
गुरुदेवश्री सिद्ध जपयोगी थे, किसी व्यक्ति के चेहरे को देखकर अगरबत्ती जब जलती है तो चारों ओर मधुर सुवास फैल ही वे उसके अन्तर् में रही हुई व्याधि तथा जीवन की समस्याओं 220 जाती है और अंत तक अगरबत्ती सुवास देती है। श्रद्धेय को समझ जाते थे और उनका दयालु हृदय एकदम द्रवित हो उठता उपाध्यायश्री पुष्कर मुनि जी म. अपने जीवन के प्रारंभ से अंत तक था। गुरुदेवश्री के निकट संपर्क में आकर मेरी श्रद्धा उनके प्रति अपनी आत्म-साधना और समाज अभ्युदय के कार्यों में संलग्न रहे । दिनों-दिन बढ़ती चली गई। मेग पर
दिनों-दिन बढ़ती चली गई। मेरा परम सौभाग्य रहा कि आचार्यश्री उनकी सुवास सर्वत्र परिव्याप्त है, उन्होंने स्वयं भी साधना की और देवेन्द्र मनिजी म के चार समारोह पर और गमटेवश्री के संधारे अपने पावन प्रवचनों से जनमंगल के हजारों कार्य किए किन्तु के समय सेवा करने का अवसर मिला, उस अलौकिक महापुरुष के उनका जीवन कमल की तरह निर्लिप्त था, कहीं पर भी आसक्ति
साक्षात्कार से मेरे मन और आत्मा में परम शक्ति-संतोष प्राप्त हुआ उनके जीवन में नहीं थी।
है और उस महागुरु के प्रति गहरी श्रद्धा उभर कर आ रही है, वह जीवन ही क्या है जो संसार को प्रेम प्रदान न करे, सुमन गुरुदेवों की स्मृति को चिरस्थायी रखने के उद्देश्य से स्मृति ग्रन्थ का 3RDOS खिलने पर सौरभ फैलती है, वैसे ही जीवन से स्नेह और समायोजन सुन्दर ही नहीं अति सुन्दर है। उस महागुरु को मेरे सद्भावना की सुगन्ध प्रसारित होती है। वे सफल, गंभीर विचारक अनेकों भाव प्रणाम और उनका मंगलमय जीवन सदा मेरे स्मृति
और एकता के प्रबल पक्षधर थे। वे जन-जन के अंदर प्रेम का पटल पर चमकता रहे और मैं अपने जीवन को उनके दिव्य संचार करना चाहते थे, शांति की पावन गंगा बहाना चाहते थे, आलोक से मंडित कर सकूँ, यही उनके श्रीचरणों में श्रद्धासुमन! उनकी वात्सल्य गंगा में जिसने भी अवगाहन किया वह सदा सर्वदा समभाव का उपासक बन गया। मैं आज देख रहा हूँ कि भारत में चारों ओर अराजकता है।
दिव्य और भव्य जीवन था उनका कुटिल राजनीतिज्ञों ने समाज और परिवार को बिखेरने का प्रयास किया है, ऐसे समय में संतगण ही स्नेह और सद्भावना का संचार
-खुमानसिंह कागरेचा, (सिंघाड़ा) कर सकते हैं। वे स्वयं अमर हैं और उनका ऋण सदा समाज पर भारतीय संस्कृति में जीवन के बाह्य और आन्तरिक दोनों पक्षों DSDO रहेगा, मैं उस महान उपकारी तेजस्वी संत के चरणों में श्रद्धाशील पर चिन्तन है, इस संस्कृति की यह अपूर्व विशेषता रही है कि हृदय से श्रद्धा भावना समर्पित करता हूँ।
उसने दोनों पक्षों के सामंजस्य पर बल दिया है, जीवन के दोनों ही
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