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उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि स्मृति-ग्रन्थ ।
206
८८१ ८८२
३८
सेन और विषेण सेनक और सुमंगल सेडुक सोना सती
समराइच्च कहा श्रेणिक चरित्र मुनिपति चरित्र
४०
८८५
१०८
सोम
धर्मरल प्रकरण टीका
३६
८८७ ८८८ ८८९
२४ १०९ १०० १००
८९०
२३
५४ ६४ १०२
८९१ ८९२ ८९३ ८९४ ८९५ ८९६ ८९७ ८९८ ८९९ ९००
विक्रम चरित्र हरिषेण-बृहत्कथाकोष हरिषेण बृहत्कथाकोष हरिषेण बृहत्कथाकोष विक्रम चरित्र त्रिषष्टि. पर्व ६ उपदेशमाला त्रिषष्टि, परिशिष्ट पर्व, जम्बुचरियं मुनिपति चरित्र त्रिषष्टि. पर्व कुवलयमाला कहा
१०५
सोमचन्द्र और प्रचण्डा सोमदत्त सोमशर्मा मुनि सोमशर्मा मुनि सोमशर्मा सौभाग्यसुन्दरी स्कन्धक आचार्य स्कन्धक मुनि स्वर्णकार स्वर्णकार और श्रेणिक स्वयंभू वासुदेव स्वयंभू विप्र स्मिता राजकुमारी हरिताली हरिनन्दी हरिबल मच्छी (अहिंसा) हरिश्चन्द्र (सत्यवादी) हरिषेण-चक्रवर्ती हरिसेन-सुमतिचन्द्र हल्ल-बिहल्ल हंस-केशव हंसराज बच्छराज हुण्डिक चोर हेमवती रानी क्षुल्लक कुमार मुनि क्षुल्लक मुनि क्षुल्लक श्रमण त्रिपुष्ट वासुदेव ज्ञानचन्द्र-विज्ञानचन्द्र
विक्रम चरित्र धर्मरल प्रकरण टीका वर्द्धमान देशना
९०१
१०४
त्रिषष्टि, पर्व ७
९०२ ९०३ ९०४ ९०५ ९०६ ९०७ ९०८ ९०९
श्रेणिक चरित्र वर्द्धमान देशना
९१०
जैन कथारत्नकोष भाग ६ आचारांग-नियुक्ति चूर्णी आचारांग-नियुक्ति चूर्णी आख्यानक मणिकोष उपदेशपद, धर्मोपदेशमाला, ऋषिमण्डल प्रकरण धर्मोपदेशमाला विवरण त्रिषष्टि. पर्व ४ सर्ग, १
९११ ९१२ ९१३ ९१४
६४ १०४
९२
जिस प्रकार नदी की धारा विभिन्न क्षेत्रों का स्पर्श करती हुई अन्त में समुद्र में मिल जाती है, उसी प्रकार जैन कथा साहित्य की धारा, श्रृगार-हास्य आदि विभिन्न रसों का आस्वाद कराती हुई अन्त में निर्वेद रस-समुद्र में परिणत हो जाती है।
-उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि
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