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। इतिहास की अमर बेल
आपने अध्यात्मयोगी उपाध्यायप्रवर श्री पुष्कर मुनिजी म. को । १० फरवरी १९६६ को मेवाड़ की राजधानी उदयपुर के बगडून्दा गुरु बनाया और स्वाध्याय संघ की संप्रेरिका सिद्धान्ताचार्य श्री | गाँव में हुआ। आपके पिताश्री का नाम श्रीमान् गोपीलाल जी छाजेड़ चन्दनबाला जी म. के पास वि. सं. २०४२ ज्येष्ठ शुक्ला तीज | और माता जी का नाम श्रीमती अमृताबाई छाजेड़ है! दिनांक २२ मई १९८५ को दीक्षा धारण की। आपकी दीक्षा का
आपने उपाध्यायश्री पुष्कर मुनि जी म. को गुरु बनाकर विदुषी समारोह समदड़ी (मारवाड़) में हुआ।
महासती श्री चारित्र प्रभाजी म. के सान्निध्य में संवत् २०४१ आपने जैन सिद्धान्त विशारद की परीक्षा श्री पाथर्डी बोर्ड से मगसर सुदी १० दिनांक २ दिसम्बर १९८४ को चांदनी चौक उत्तीर्ण की। आप अध्ययनशीला हैं। आगे अध्ययन चल रहा है। दिल्ली में दीक्षा ग्रहण की। आपका मारवाड़-मेवाड़ प्रदेश में विचरण हुआ है।
आपने संस्कृत का व्यावहारिक शिक्षण लिया तथा हिन्दी में साध्वी निरुपमा जी म.
“साहित्यरत्न" की उपाधि परीक्षा पास की। संस्कृत, प्राकृत का आपका जन्म राजस्थान के अजमेर जिले के गाँव जामोला में
भी अध्ययन किया। राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, संवत् २०२२ माघ शुक्ला पूर्णिमा को हुआ। आपके पिताश्री का
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश में अपनी गुरुणी जी के साथ विचरण नाम श्रीमान् नौरतनमल जी बोहरा और माताजी का नाम श्रीमती
किया है। सोहनबाई बोहरा है। आपने उपाध्यायश्री पुष्कर मुनिजी म. को गुरु आप “आचारांग वृत्ति का समीक्षात्मक अध्ययन' विषय पर बनाकर महासती श्री दिव्यप्रभाजी म. के पास संवत् २०४३ । शोध कार्य करने में संलग्न हैं। अश्विन शुक्ला चतुर्दशी दिनांक १६ अक्टूबर, १९६८ को मारवाड़
महासती श्री राजमती जी म. के पाली नगर में उपाध्याय पू. गुरुदेवश्री पुष्कर मुनिजी म. के मुखारबिन्द से दीक्षा ग्रहण की।
आपका जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिले के अजीत ग्राम में आपका व्यावहारिक शिक्षण मैट्रिक पर्यन्त हुआ। जैन सिद्धान्त ।
हुआ। के बोलचाल और थोकड़ों का आपने अध्ययन किया है। आपकी आपके पूज्य पिताश्री का नाम मिश्रीमल जी तलेसरा और छोटी बहिन अनुपमा जी ने भी दीक्षा ली है। दोनों बहिनें दीक्षा
मातेश्वरी का नाम हरखुबाई है। आपने परम आराध्य पूज्य गुरुदेव लेकर संयम की साधना कर रही हैं।
उपाध्यायश्री पुष्कर मुनिजी म. के उपदेश को श्रवण कर त्याग आपका विचरण राजस्थान में हुआ एवं हो रहा है।
वैराग्य के मार्ग पर बढ़ने का निश्चय किया और विदुषी महासती
श्री सत्य प्रभाजी म. का शिष्यत्व स्वीकार किया और गुरुदेवश्री के महासती श्री धर्मशीला जी म.
मुखारविन्द से २५ मार्च १९९१ चैत्र शुक्ला ५ को खण्डप राजस्थान प्रान्त के जालोर जिले के गाँव घाणा में आपका (बाड़मेर) में दीक्षा ग्रहण की। जन्म संवत् २०१९ भाद्रपद शुक्ला ६ को हुआ। आपके पिताजी का
आप सेवामूर्ति हैं। स्तोक साहित्य का अच्छा अभ्यास है। मुख्य नाम श्रीमान् भंवरलाल जी विनायकिया और माताजी का नाम
रूप से आपका विहार राजस्थान और गुजरात रहा है। श्रीमती सुन्दरबाई है। आपने उपाध्यायश्री पुष्कर मुनिजी म. को गुरु बनाया और
महासती श्री आभाश्री जी म. मधुर व्याख्यानी श्री चन्दन प्रभाजी म. के पास संवत् २०४९ । आपका जन्म पंजाब के अमृतसर नगर में कार्तिक शुक्ला मार्गशीर्ष शुक्ला ६ दिनांक २८ दिसम्बर १९८४ को बाड़मेर जिले पूर्णिमा दि. २०.११.१९७६ को हुआ। आपके पिताश्री का नाम के गाँव समदड़ी में दीक्षा ग्रहण की।
विरेन्द्रपाल शर्मा तथा मातेश्वरी का नाम गीता रानी है। आपने हिन्दी, संस्कृत आदि भाषाओं का और जैन सिद्धान्त
। आपने श्री गणेश मुनिजी शास्त्री को अपना गुरु बनाया तथा विशारद तक का अध्ययन किया। पाथर्डी बोर्ड से उक्त परीक्षा
परम विदुषी महासतीश्री चारित्र प्रभाजी को गुरुणी। वैशाख सुदी उत्तीर्ण की। आप सेवाभावी हैं।
छट दिनांक १९.५.१९९१ को आपने ढोल (जि. उदयपुर) में दीक्षा आपने राजस्थान में विचरण किया है, अभी समदड़ी में सेवा । ग्रहण की। में विराजित हैं।
आपको अनेकों थोकड़े कंठस्थ हैं। मैट्रिक तक व्यावहारिक श्री राजश्री जी म. एम. ए.
अध्ययन किया है। आपका जन्म संवत् २०२३ फाल्गुन शुक्ला पंचमी, दिनांक आपका विहार क्षेत्र राजस्थान रहा है।
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