Book Title: Pushkarmuni Smruti Granth
Author(s): Devendramuni, Dineshmuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 814
________________ ४०००००००००3०000000000 0000-Poo 600Rasooson9000 9:00-00-008 निधि। 12:00 उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि स्मृति-ग्रन्थ श्री विजयकुमार जी जैन (मोतियों वाले) : दिल्ली। सौ. विमलाबाई है। आपके पाँच पुत्र हुए-अशोक जी, सुभाष जी, प्रकाश जी, विजय जी और नितिन जी। श्री विजयकुमार जी जैन एक लब्ध प्रतिष्ठित स्थानकवासी जैन समाज के प्रमुख व्यक्ति हैं। आप पहले अमृतसर (पंजाब) में रहते अशोक जी की धर्मपत्नी का नाम आशादेवी है और उनके दो थे और ५० वर्षों से दिल्ली में मोतियों का व्यवसाय करते हैं। सुपुत्र हैं-अभिजित और अतुल। आपके पूज्य पिताश्री का नाम लाला बनारसीदास जी और सुभाष जी की धर्मपत्नी का नाम लता है। इनके दो पुत्र हैंमातेश्वरी का नाम लाजवन्तीदेवी था। आपकी धर्मपत्नी का नाम नितेश और धीरज। अखण्ड सौ. शान्तिदेवी है। श्रीमती महिमावन्ती और श्रीमती । मिता माहमावन्ती आर श्रीमती प्रकाश जी की धर्मपत्नी का नाम उज्ज्वला है। उनकी फलवन्ती ये दो आपकी बहिनें हैं। आपके चार सुपुत्र हैं- के नाम प्रांजल और प्रतीक्षा हैं। प्रकाश जी बहुत ही तेजस्वी वीरेन्द्रकुमार, वीरकमलराय जैन, विनोदकुमार और विपिनकुमार। थे, लघुवय में ही स्वर्गवास हो गया। श्री वीरेन्द्रकुमार जी जैन की धर्मपत्नी का नाम विनीता जैन विजय जी की धर्मपत्नी का नाम सुमतिदेवी है। उनके एक है। उनके तीन सुपुत्रियाँ हैं-सौ. अनामिका, सौ. दीपाली और कु. कुणाल है और दो पुत्रियाँ हैं-प्रियंका और पराजकता। नितिन जी की धर्मपत्नी का नाम मीनूदेवी और पुत्री का नाम - श्री वीरकमलराय जैन की धर्मपत्नी का नाम प्रेमदेवी है, पुत्र । चेलना है। दीपक और पुत्री नीलू जैन है। मोहनलाल जी सा. वर्षों तक अ. भा. स्था. जैन कॉन्फ्रेंस के श्री विनोदकुमार जी की धर्मपत्नी का नाम ज्योति जैन है।। उपाध्यक्ष भी रहे और अनेक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। पन्नालाला उनके पुत्र का नाम पीयूष तथा पुत्री का नाम नेहा और निधि है। लूंकड़ चेरिटी ट्रस्ट के आप मैनेजिंग ट्रस्टी हैं जिसकी ओर से श्री विपिनकुमार जी की धर्मपत्नी का नाम नीनादेवी है, पुत्र । महाराष्ट्र के पूना जिले में अनाथ, निराधार व निराश्रित अनाथालय का नाम प्रशान्त और पुत्री का नाम दिप्सी है। चलाये जाते हैं। अनाथालय में ४०-५० बच्चे हैं और ३० प्राइमरी और माध्यमिक पाठशालाएँ चलाई जाती हैं, जहाँ निःशुल्क बच्चे श्री विजयकुमार जी जैन विविध संस्थाओं से संबंधित रहे हैं। पढ़ते हैं। २,000 बच्चों को धार्मिक/नैतिक शिक्षा दी जाती है। वे वीरनगर जैन सभा के प्रधान हैं तथा सोहनलाल जैन विद्या जैन विद्या प्रसारक मण्डल, चिंचवड़ में १,५00 बच्चे संस्कार प्राप्त प्रसारण समिति वाराणसी, सुन्दरलाल जैन हॉस्पिटल, महावीर कर रहे हैं। आपकी ओर से पांजरा पोल और गोशालाएँ भी चलती फाउण्डेशन, भारत जैन महामण्डल बम्बई, जैन श्रमणोपासक हैं। महाराष्ट्र शासन ने आपको “दलित मित्र" का पुरस्कार प्रदान हाईस्कूल, महावीर जैन संघ, ग्लास बोर्ड ऐसोसिएशन, जैन समाज, किया है और पूना नगरपालिका की ओर से भी आपको पुरस्कार जैन महासभा उत्तरी भारत के उपाध्यक्ष हैं। भगवान महावीर मिला है। इस प्रकार आपने अनाथाश्रम, महिला उद्योग, कुष्ट हस्पताल, जैन महासभा, जैन सहायता सभा, आचार्य आनंद ऋषि रोगियों के लिए और मन्दबुद्धि छात्रों के लिए भी पाठशालाएँ जी म. शिक्षा समिति, जैन कॉन्फ्रेंस, वीरायतन, महावीर सीनियर स्थापित की हैं। आपसे समाज को बहुत कुछ आशा है। आप परम मॉडल स्कूल आदि विविध संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। श्रद्धेय उपाध्यायश्री के प्रति और आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी म. के गुरुदेव श्री पुष्कर मुनि जी म. के प्रति आपकी अपार आस्था प्रति निष्ठावान हैं। प्रस्तुत ग्रंथ हेतु आपका योगदान प्राप्त हुआ, रही है। प्रस्तुत ग्रंथ हेतु आपका अनुदान प्राप्त हुआ, तदर्थ हार्दिक तदर्थ साधुवाद। आपका व्यवसाय "नव महाराष्ट्र ऑयल चाकण आभार। मिल्स" है। श्री मोहनलाल जी लूंकड़ : पूना । श्री सुवालाल जी बाफणा : धुलिया महाराष्ट्र की पावन पुण्य धरा वीरों की और संतों की धरा भारत के तत्त्वदर्शी चिन्तकों ने जीवन पर गहराई से चिन्तन रही है। वहाँ पर शिवाजी जैसे नरवीर पैदा हुए वहाँ की धरती पर } करते हुए कहा कि एक क्षण भी जीओ, किन्तु प्रकाश करते हुए DOO अनेक राष्ट्र-नेता पैदा हुए तो संत तुकाराम, संत नामदेव आदि संत जीओ, विकार और वासनाओं का धुंआ छोड़ते हुए जीना तो भी पैदा हुए हैं। महाराष्ट्र की उर्वरा भूमि में श्रेष्ठी प्रवर श्री जीवन नहीं है। कौआ भी चिरकाल तक मृत व्यक्ति का माँस खाकर मोहनलाल जी लूंकड़ का भी जन्म हुआ। आपके पूज्य पिताश्री का | जीवित रहता है, उस जीवन का कोई महत्त्व नहीं। जीवन वह है नाम पन्नालाल जी लूंकड़ तथा माताश्री का नाम गंगूबाई था। आपके जिसमें तेज है, ज्योति है और कार्य करने की अपूर्व क्षमता है। श्री 0000000 दो भाई और थे-श्री सूरजमल जी और श्री रतनचन्द जी, दोनों ही सुवालाल जी बाफणा इसी प्रकार के एक तेजस्वी व्यक्तित्व के धनी भाइयों का स्वर्गवास हो गया। मोहनलाल जी की धर्मपत्नी का नाम व्यक्ति हैं। आपके मन में जोश है, वाणी में ओज है और कार्य :00.00A0A DOE COAS 0.0 86DARD.00000000000000 SC 00:00

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