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Pea । इतिहास की अमर बेल
४८५ । संवत् २०२८ मार्गशीर्ष शुक्ला ६ दिनांक २४ नवम्बर १९७१
श्री सुदर्शनप्रभा जी म. को महाराष्ट्र के ठाणा जिले के ग्राम केलवारोड़ में दीक्षा
महाराष्ट्र प्रान्त के धुलिया नगर में आपका जन्म विक्रम संवत् अंगीकार की।
२०१२ ज्येष्ठ शुक्ला ११ दिनांक १८ जून १९५६ को हुआ। आपने राष्ट्रभाषा वर्धा से कोविद, पाथर्डी से संस्कृत विशारद
आपके पिताश्री का नाम श्रीमान् पूनमचन्द जी मोतीलाल जी लोढ़ा और हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से साहित्यरल की सर्वोच्च ।
है और माताजी का नाम सौ. चम्पाबाई है, जो वर्तमान में साध्वी उपाधि प्राप्त की।
श्री दर्शनप्रभा जी म. है। आपकी दो पुस्तकें प्रकाशित हुई है, प्रार्थना पुष्प और गीतों की
आपने उपाध्याय श्री पुष्कर मुनिजी म. को गुरु बनाया और शहनाई।
परम् विदुषी मधुरव्याख्यानी श्री कौशल्याकुमारी जी म. के पास आपने राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में विचरण वैशाख शुक्ला ९, संवत् २०३३ दिनांक २२ अप्रेल १९७७ को किया है।
नन्दुरबार (धुलिया) में दीक्षा ग्रहण की। डॉ. साध्वी दिव्यप्रभा जी म.
आपने व्यावहारिक शिक्षण बी. कॉम. प्रथम वर्ष तक किया।
श्रमणी विद्यापीठ घाटकोपर (बम्बई) का ५ वर्ष का पाठ्यक्रम पूर्ण आपका जन्म संवत् २०१४ मार्गशीष शुक्ला १० दिनांक ३०
किया। पाथर्डी बोर्ड से जैन सिद्धान्त शास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण की। नवम्बर १९५७ को मेवाड़ की राजधानी उदयपुर में हुआ। आपके
आपकी निम्न पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं-१-मंगल के मोती, २-सत्यं पिताश्री का नाम श्रीमान् कन्हैयालाल जी सियार और माताजी की
शिवं सुन्दरं, ३-दीक्षा एवं तप के गीत, ४-विनय वंदन। आपने नाम श्रीमती चौथबाई सियार है। आपने उपाध्याय श्री पुष्कर
गुजरात और महाराष्ट्र में विचरण किया है। मुनिजी म. को गुरु बनाकर परम् विदुषी महासती श्री कुसुमवती जी म. के पास संवत् २०३० कार्तिक शुक्ला १३ दिनांक ८
श्री किरणप्रभा जी म. नवम्बर १९७३ को अजमेर में दीक्षा ग्रहण की।
आपका जन्म महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के गांव जयसिंगपुर आपने संस्कृत विषय लेकर शास्त्री तथा एम. ए. की उपाधि में संवत् २०१५ फाल्गुन शुक्ला पूर्णिमा को हुआ। आपके पिताश्री प्राप्त की तथा हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से साहित्यरत्न परीक्षा का नाम श्रीमान् ख्यालीराम जी बरडिया और माताजी का नाम उत्तीर्ण की। आपने दिल्ली संस्थान में दर्शनाचार्य का प्रथम खण्ड श्रीमती सीताबाई बरड़िया है। पास किया और उपमिति भव प्रपंच कथा पर शोध प्रबन्ध लिखकर
आपने उपाध्याय श्री पुष्कर मुनिजी म. को गुरु बनाया और seas पी. एच. डी. की उपाधि प्राप्त की।
परम् विदुषी साध्वीरल महासती श्री पुष्पवती जी म. की सेवा में oed आपकी दो शिष्याएं हैं-साध्वी अनुपमा जी और साध्वी संवत् २०३३ माघ शुक्ला १३ दिनांक २ फरवरी १९७६ को 600 निरुपमा जी। ये दोनों सांसारिक रिश्ते में बहिनें हैं। आपकी प्रवचन उदयपुर में दीक्षा धारण की। कला सुन्दर है।
आपने जैन सिद्धान्तशास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण की और आगमों आपने राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और और थोकड़ों का अध्ययन किया। आपका गायन मधुर है। जम्मू काश्मीर में विचरण कर धर्म जागरण किया है। आपने
आप मधुर स्वभावी और सेवाभावी सती हैं। आपने राजस्थान, महासती श्री कुसुमवती जी के अभिनन्दन ग्रन्थ का सम्पादन
गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में विचरण किया है। किया है।
डॉ. श्री दर्शनप्रभा जी म. श्री दर्शनप्रभा जी म.
आपका जन्म भारत की राजधानी दिल्ली में संवत् २०१० महाराष्ट्र प्रान्त के जलगांव जिले के गाँव कासमपुरा में आपका
आश्विन शुक्ला १३ दिनांक २३ अक्टूबर १९५३ को हुआ। आपके जन्म हुआ। आपके पिताश्री का नाम श्रीमान् सुपडुलाल जी सा.
पिताश्री का नाम श्रीमान रतनलाल जी सा. लोढ़ा और माताजी का सुराणा है। आपने उपाध्याय पू. श्री पुष्कर मुनि जी. म. को अपना
नाम श्रीमती कमला बाई लोढ़ा है। गुरुदेव बनाया और पू. महासती श्री कौशल्याकुंवर जी म. के पास सं. २०३२ बैशाख सुदी १० दिनांक २२ अप्रेल, १९७७ को आपने उपाध्याय श्री पुष्कर मुनिजी म. को गुरु मानकर श्री धुलिया जिले के गांव नंदूरबार में दीक्षा धारण की। आपको शास्त्रों चारित्रप्रभा जी म. के पास राजस्थान के अजमेर जिले के नगर तथा थोकड़ों का अच्छा ज्ञान है। आपने महाराष्ट्र में विचरण किया । ब्यावर में संवत् २०३२ फाल्गुन कृष्णा ५ दिनांक २० फरवरी, और कर रही है, आपके जीवन में तपःसाधना ओत प्रोत है। १९७६ को दीक्षा ग्रहण की।
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