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| इतिहास की अमर बेल
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पूज्य उपाध्यायश्री पुष्कर मुनिजी का शिष्य परिवार (श्रमण) ।
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पं. रत्न श्री हीरा मुनि जी म.
नाटक, मुक्तक, क्षणिकाएँ, गीत आदि साहित्य की विविध विधाओं
में लगभग ७५ ग्रन्थों का प्रणयन और आलेखन किया है। आपका जन्म संवत् १९२० में राजस्थान के उदयपुर जिले के ग्राम "वास" में हुआ। आपके पिताश्री का नाम श्रीमान् पर्वतसिंह
आपने उदयपुर में “अमर जैन साहित्य संस्थान" की स्थापना जी और माताजी का नाम श्रीमती चुन्नीबाई था। आपने महास्थविर
की है, आपके दो शिष्य हैं, मधुरवक्ता कवि श्री जिनेन्द्र मुनिजी म. श्री ताराचंद जी म. को अपना गुरुदेव और परम विदुषी साध्वी
"काव्यतीर्थ" और तरुण तपस्वी श्री प्रवीण मुनिजी म.। रल महासती श्री शीलकुंवर जी म. को अपनी गुरुणी बनाया था। आपने राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, आपने उदयपर जिले के मादडा ग्राम में महास्थविर श्री ताराचंद जी । उत्तरप्रदेश आदि क्षेत्रों में विचरण किया। साहित्य के क्षेत्र में आपका म. के पास दीक्षा ग्रहण की।
महत्वपूर्ण योगदान है। जब आपने दीक्षा ग्रहण की उस समय अक्षर परिज्ञान भी नहीं कवि श्री जिनेन्द्र मुनि जी म. "काव्यतीर्थ" था किन्तु उपाध्याय पूज्य गुरुदेव श्री पुष्कर मुनि जी म. की असीम
आपका जन्म संवत् २००७ भाद्र पद कृष्णा ८ को उदयपुर कृपा से आपने ज्ञान के क्षेत्र में प्रगति की और जीवन पराग,
जिले के पड़ावली ग्राम में हुआ। आपके पिताश्री का नाम श्रीमान मेघचर्या, जैन, जीवन, भगवान महावीर आदि अनेक पुस्तकें लिखी
रत्ताराम जी प्रजापत और माता जी का नाम श्रीमती सरसीबाई है। हैं। इन पुस्तकों की भाषा सरल है, पाठकों के लिए उपयोगी है।
आपने प्रसिद्ध साहित्यकार श्री गणेशमुनि जी म. “शास्त्री" को सेवा की प्रारम्भ से ही आपकी रुचि थी। महास्थविर श्रीअपना गुरु बनाया और परम विदुषी महासती श्री शीलकुंवर जी ताराचंद जी म. की आपने खूब सेवा की। जप साधना आदि के प्रति म. को गुरुणी बनाया। संवत् २०२० आश्विन शुक्ला दसमी भी आपका सहज रुझान रहा, गुरु कृपा से एक व्यक्ति जिसने बड़ी दिनांक १८ सितम्बर १९६३ को आपने राजस्थान के गढ़जालोर में उम्र में दीक्षा ग्रहण की और बाद में अ. आ. प्रारंभ की यह तो । प्रसिद्ध साहित्यकार श्री गणेश मुनि जी म. “शास्त्री" के पास दीक्षा कितनी बड़ी प्रगति की यह आपके जीवन से कोई सीख सकता है। धारण की।
आपने राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, आपने हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत, गुजराती आदि भाषाओं का दिल्ली आदि प्रान्तों में विचरण किया।
अध्ययन किया तथा संस्कृत में काव्यतीर्थ और शास्त्री परीक्षा
उत्तीर्ण की। हिन्दी में विशारद परीक्षा पास की। विश्रुत साहित्यकार श्री गणेश मुनिजी म. "शास्त्री'
आप गीत, कविता, निबन्ध, कहानी, चरित्र आदि विविध आपका जन्म मेवाड़ प्रान्त के उदयपुर जिले के ग्राम करणपुर
साहित्यिक विधाओं में निपुण हैं। अभिनव अभिधा में कई कृतियां में हुआ। विक्रम संवत् १९८८ फाल्गुन शुक्ला १४ आपकी
प्रकाशित हुई है। जन्मतिथि है। आपके पिताश्री का नाम श्रीमान् लालचंद जी पोरवाड़ और माताजी का नाम श्रीमती तीजकुंवर बाई है जो वर्तमान में
आपने राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तरप्रदेश में
विचरण किया है। सेवामूर्ति महासती श्री प्रेमकुंवर जी म. हैं। आपने उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. को गुरु और महासती श्री प्रभावती जी म. को ।
श्री रमेश मुनिजी म. "शास्त्री" अपनी गुरुणी बनाया। आपने मध्यप्रदेश के धार नगर में सं.
राजस्थान के नागौर जिले के अन्तर्गत बडू ग्राम में आपका २००३ आश्विन शुक्ला दशमी को उपाध्याय श्री पुष्कर मुनिजी म.
जन्म दिनांक २४ जनवरी, १९५१ को हुआ। आपके पूज्य पिताश्री के पास दीक्षा धारण की।
का नाम श्रीमान् पूनमचंद जी सा. डोसी तथा पूज्या माता जी का ___आपने हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत, गुजराती आदि भाषाओं का नाम श्रीमती धापकुंवर बाई है जो वर्तमान में महासती श्री गहन अध्ययन किया एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग की सर्वोत्तम प्रकाशवती जी हैं। आपने उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. को परीक्षा साहित्य रत्न उत्तीर्ण की। इसी तरह संस्कृत में "शास्त्री" की अपना गुरुदेव और प्रतिभा मूर्ति महासती श्री प्रभावती जी म. को परीक्षा समुत्तीर्ण की है।
अपनी गुरुणी बनाया। आप प्रतिभा संपन्न कवि, प्रबुद्ध चिन्तक, सुलेखक, प्रियवक्ता, आपने सन् १९६५ में १४ वर्ष की वय में राजस्थान के सहज-सरल स्वभावी संत रत्न हैं। आपने धर्म, दर्शन, विज्ञान एवं बाड़मेर जिले के गाँव गढ़सिवाना में उपाध्याय प्रवर श्री पुष्कर अध्यात्म से संबंधित अनेक ग्रन्थ लिखें हैं। कहानी, उपन्यास, मुनिजी म. के पास आहती दीक्षा धारण की।
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