________________
Homro-26905:00600:RUHOURes500000
Pac OSHOVADID
१६० A
उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि स्मृति-ग्रन्थ
[कुछ अतिमहत्त्वपूर्ण श्रद्धांजलियाँ किसी कारणवश मुद्रित होने से रह गईं। इस भूल का हमें खेद है। विलम्ब से ही सही, अब उनको यहाँ संयोजित किया जा रहा है। सम्मान्य मुनिजन क्षमा करेंगे।]
anpooDad RROR9.00000
रहा है। वे सद्गुणों के पुँज और पुरुषार्थ के प्रबल प्रतिनिधि रहे हैं, आत्मा-विज्ञानी सन्त थे ।
संतों की समृद्ध परम्परा में परम श्रद्धेय उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि -श्री रवीन्द्र मुनि जी जी म. सा. का नाम बहुत ही गौरव के साथ लिया जा सकता है।
उनका व्यक्तित्व बहुरंगी और बहुआयामी था। पूना संत सम्मेलन में हमने सर्वप्रथम उपाध्यायश्री के दर्शन दिल्ली में किये थे। प्रथम
उनके दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनके अपार वात्सल्य को दर्शन में ही उनके विराट् व्यक्तित्व का मन पर गहरा प्रभाव पड़ा।
पाकर हृदय आनन्द से झूम उठा। मैंने उनके विराट् व्यक्तित्व में उनकी हंसमुख मुद्रा और सहजता मन की गहराइयों में पैठ गई।
मालवकेसरी श्री सौभाग्य मुनि जी म. का व्यक्तित्व देखा। जिस जो वर्षों बाद आज भी ज्यों की त्यों छविमान है। उपाध्यायश्री के
प्रकार मालवकेसरी जी म. सदा सर्वदा आत्म-मस्ती में झूमते थे वैसे मुखारविंद से ही दिल्ली में श्रद्धेय श्री राजेन्द्र मुनि जी की दीक्षा
ही उपाध्यायश्री भी सदा ही आत्म-साधना में तल्लीन रहते थे। हुई। उसके बाद तो कई बार उपाध्यायश्री के चरणों में बैठने का अवसर मिला। उन मधुर क्षणों की याद जीवन में आज भी
मैंने उपाध्यायश्री के चेहरे पर कभी भी उदासीनता नहीं देखी,
उनका चेहरा कमल की तरह खिला रहता था, वार्तालाप में सहज तरोताजा है।
अपनत्व था, गंभीर से गंभीर विषय को सरल रूप में प्रस्तुत करने हमारे पूज्य गुरुदेव परम सेवाभावी श्री प्रेमसुख जी म. का
में वे दक्ष थे, उनका चिन्तन और मनन बहुत ही गहरा था, आदेश मिलने पर में आचार्यश्री के चादर महोत्सव समारोह पर अध्ययन के साथ उनमें अनभति की तरलता थी। उपाध्यायश्री का उदयपुर पहुँचा। चादर समारोह वास्तव में एक ऐतिहासिक समारोह
विचरण क्षेत्र भी बहुत ही विशाल रहा, वे तमिलनाडु, कर्नाटक, था। सैकड़ों संत सतियों का समागम, हजारों श्रद्धालुओं का Jआन्ध्र, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, सौराष्ट्र, राजस्थान, आगमन। उपाध्यायश्री का स्वास्थ्य यकायक गड़बड़ा गया। वे गंभीर । हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि विशाल क्षेत्रों में विचरे और रूप में अस्वस्थ हो गये। परन्तु फिर भी उनकी वाणी में वही गूंज । जहाँ भी पधारे उन्होंने अपने पवित्र चरित्र की छाप छोड़ी। आज वे थी। चेहरे पर वही तेज और मुस्कराहट थी, जीवन के अंतिम । हमारे बीच नहीं हैं किन्तु हमारी आस्था उनके प्रति समर्पित है और समय में भी वे जीवन के प्रति, शरीर के प्रति अत्यन्त अनासक्त
सदा समर्पित रहेगी। सहज थे। आगमों में पादपोपगम संथारा का वर्णन सुना है, जिसमें वृक्ष से कटी हुई शाखा की भाँति साधक निश्चल और स्थिर हो जाता है। उपाध्यायश्री के संथारा के समय उसी स्थिति में उन्हें
मेरे महागुरु देखकर मन में एक भाव जगा कि यह परम साधक जीवन में सदा ही प्रथम व उच्च स्थान पर रहा है। जीवन की अन्तिम बेला में भी
-पं. श्री नरेश मुनि जी कितना सजग, कितना स्व-लीन और बाह्य विभावों से मुक्त
सन् १९७६ की बात है, मुझे बहिन महासती श्री दर्शन प्रभा अन्तश्चैतन्य है। सचमुच उन्होंने भेद विज्ञान को जीवन में साकार
जी म. ने प्रेरणा की कि तुमने अभी तक पूज्य गुरुदेव उपाध्यायश्री कर लिया था। आत्मा और देह की भिन्नता का परिज्ञान ही उनकी
पुष्कर मुनि जी म. के दर्शन नहीं किए हैं। यदि तुमने एक बार समता और सहजता का प्रतिफल था कि इस असीम वेदना की
दर्शन किये तो तुम्हें सहज ही गुरुदेवश्री की गरिमा का पता. लग अनुभूति में भी वे आत्मानुभूति में रम रहे थे। महान् तपोधन और
जाएगा। और महासती श्री चारित्र प्रभा जी की भी यही प्रेरणा रही। आत्म-विज्ञानी सन्त के चरणों में मेरी कोटि-कोटि वन्दना !
मैं दोनों का पत्र लेकर चल पड़ा उस समय गुरुदेव बागलकोट विराज रहे थे, गुरुदेव के दर्शन हेतु दूर-दूर अंचलों से श्रद्धालुगण
आ रहे थे। उनके चमत्कारिक मंगल पाठ को सुनने के लिए भक्तों पुरुषार्थ के प्रेरक सूत्र
की भीड़ लगी हुई थी, मैं भी उसी समय वहाँ पहुँच गया, दर्शन
किये। प्रथम दर्शन में ही मेरा हृदय गुरु-चरणों में नत हो गया, -श्री प्रकाश मुनि “निर्भय"
जैसा बहिन म. ने और महासती श्री चारित्र प्रभा जी म. ने मुझे भारतीय संत परम्परा का आध्यात्मिक जागरण और सामाजिक
कहा था उससे अधिक मैंने गुरुदेवश्री में आकर्षण और स्नेह पाया। क्रांति के इतिहास में जो योगदान रहा है वह बहुत ही अपूर्व है। उन्होंने मुझे बहुत ही प्यार से अपने पास बिठाया और क्या संत सदा ही क्रान्तिदर्शी रहे हैं। उनका व्यक्तित्व और कृतित्व अनूठा । ज्ञान ध्यान आता है इस संबंध में जानकारी ली और नया ज्ञान सानुकान्त
पासवरपरन्तरता
FRANCIDEN