________________
CE
15696.0.00 Patolo
020
श्रद्धा का लहराता समन्दर
२०७
कजली के दर्द भरे गीत, धानी चूनर की हँसी, मेंहदी की मनभावनी गंध, सारे जैसे उनके वचन-विथा में पिरोये हुए थे......... फिर एक बार पुष्कर मुनि ने कहा था, "जो जितना बुद्धिमान होगा, वह उतना ही श्रद्धालु और विश्वासू होगा". उनके ये शब्द रस के संवाद बन गये.. साँसों में जिस तरह छंद गूंजते रहे..... एक बात सही है कि जिन्दगी तूफान के पत्तों की तरह होती है
वह किसको क्या दे-ले सकती है...... लेकिन ऐसे तूफान में ठहराव आ जाता है जब पुष्कर मुनि जैसे तपस्वी का आगमन होता है..... ठीक ही कहा था मेरे मन ने तब कि आयु की यमुना पर पुष्कर मुनि का जीवन ताजमहल के भाँति था नितांत सुंदर, रमणीय, और सहज.... मैं उन्हें शत शत वंदन करता हूँ कि आप फिर आयें और हमें जीवन की नयी सीख दें।
aCS.
गुरु पुष्कर दीन-दयाला
SODI
-नवरतनमल सूरिया
गुरु पुष्कर दीन दयाला, जीवन था भव्य निराला।
दिव्य साधना से जिनके, अन्तर में भया उजाला । गुरु पुष्कर...
कभी न उलझे मोह माया में, भौतिकता से दूर रहे, लघु वय में ही सन्त बने, और तप संयम में सुर रहे।
रायचुर चातुर्मास में, पद उपाध्याय सम्भाला ।। गुरु पुष्कर...
कोई न खाली हाथ लौटता, द्वार आपके जो आता, सामायिक माला नियम के, कुछ मोती वह पा जाता।
कई दुखी व्यसनी थे उनको व्यसन मुक्त कर डाला। गुरु पुष्कर...
कहीं मिटायी फूट कहीं पर जीवों के बलिदान रुके, कहीं किया निर्भय लोगों को, कहीं विरोधी आन झुके।
कहीं जुड़ी विद्वान परिषद, कहीं धार्मिक शाला ।। गुरु पुष्कर...
SODED
जैन धर्म प्रभावना हेतु, कथा भाग तैयार किये, तारक ग्रन्थालय की हुई स्थापना कई ऐसे उपकार हुए।
जैन साहित्य का मान बढ़ा, जन जन ने पढ़ डाला। गुरु पुष्कर...
अन्त समय उदयपुर शहर में नव इतिहास बनाया था, दो सौ साधु साध्वी के बीच में संथारा सिंझाया था।
तारक गुरु की ज्ञान बढ़ी, नवरतन जपता माला॥ गुरु पुष्कर...
JASKALUNG
KAR
vatepal