Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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चौथा स्थिति पद - ज्योतिषी देवों की स्थिति
४३
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! सूर्य विमानवासी देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! सूर्य विमानवासी देवों की स्थिति जघन्य पल्योपम का चौथा भाग और उत्कृष्ट एक हजार वर्ष अधिक एक पल्योपम की कही गई है।
सूरविमाणे अपज्जत्तदेवाणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेण वि अंतोमुहत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! अपर्याप्तक सूर्य विमानवासी देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! अपर्याप्तक सूर्य विमानवासी देवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की कही गई है।
सूरविमाणे पजत्तदेवाणं पुच्छा?
गोयमा! जहण्पोणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं पलिओवमं वाससहस्समब्भहियं अंतोमुहुत्तूणं।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्तक सूर्य विमानवासी देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! पर्याप्तक सूर्य विमानवासी देवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम का चौथा भाग और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम एक हजार वर्ष अधिक एक पल्योपम की कही गई है।
सूरविमाणे णं भंते! देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? .
गोयमा! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पंचहिं वाससएहिमब्भहियं।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! सूर्य विमानवासी देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
उत्तर - हे गौतम! सूर्य विमानवासी देवियों की स्थिति जघन्य पल्योपम का चौथा भाग और उत्कृष्ट पांच सौ वर्ष अधिक अर्द्ध पल्योपम की कही गई है।
सूरविमाणे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेण वि अंतोमुहत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! अपर्याप्तक सूर्य विमानवासी देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! अपर्याप्तक सूर्य विमानवासी देवियों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की कही गई है।
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