Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
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सोहम्मे कप्पे अपरिग्गहियाणं पज्जत्तियाणं देवाणं पुच्छा?
गोयमा! जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं पण्णासं पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई॥२४१॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! सौधर्म कल्प में पर्याप्तक अपरिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! सौधर्म कल्प में पर्याप्तक अपरिगृहीता देवियों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचास पल्योपम की कही गई है।
ईसाणे णं भंते! कप्पे देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? ... गोयमा! जहण्णेणं साइरेगं पलिओवमं, उक्कोसेणं साइरेगाइं दो सागरोवमाइं।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! ईशान कल्प (दूसरे देवलोक) में देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! ईशान कल्प (दूसरे देवलोक) में देवों की स्थिति जघन्य एक पल्योपम से कुछ अधिक की और उत्कृष्ट कुछ अधिक दो सागरोपम की कही गई है।
ईसाणे कप्पे अपज्जत्तयाणं देवाणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेण वि अंतोमुहत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। ,
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! ईशान कल्प में अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! ईशान कल्प में अपर्याप्तक देवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की कही गई है।
ईसाणे कप्पे पज्जत्तयाणं देवाणं पुच्छा?
गोयमा! जहण्णेणं साइरेगं पलिओवमं अंतोमुहत्तूणं, उक्कोसेणं साइरेगाइं दो सागरोवमाइं अंतोमुहत्तूणाई।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! ईशान कल्प में पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही . गई है?
उत्तर - हे गौतम ! ईशान कल्प में पर्याप्तक देवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम से कुछ अधिक की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम कुछ अधिक दो सागरोपम की कही गई है।
ईसाणे णं भंते! कप्पे देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता?
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