Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! इन शीतयोनिक जीवों, उष्ण योनिक जीवों, शीतोष्ण योनिक जीवों और अयोनिक जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं?
उत्तर - हे गौतम ! सबसे थोड़े जीव शीतोष्ण योनिक हैं, उनसे उष्णयोनिक जीव असंख्यात गुणा, उनसे अयोनिक जीव अनन्त गुणा और उनसे भी शीतयोनिक जीव अनंत गुणा हैं।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में तीनों योनियों वाले और अयोनिक जीवों का अल्पबहुत्व बताया गया है - सबसे थोड़े शीतोष्ण रूप उभय योनि वाले जीव हैं क्योंकि भवनपति, गर्भज तिर्यंचपंचेन्द्रिय, गर्भज मनुष्य, वाणव्यंतर और ज्योतिषी देवों के शीतोष्ण योनि हैं। उनसे उष्णयोनि वाले जीव संख्यात गुणा हैं क्योंकि सूक्ष्म और बादर दोनों प्रकार तेजस्कायिकों, बहुत से नैरयिकों और कितने ही पृथ्वी, पानी, वायु
और प्रत्येक वनस्पति के जीव उष्ण योनि वाले होते हैं। उनसे अयोनिक-योनि रहित जीव अनन्तगुणा हैं क्योंकि सिद्ध भगवान् अनन्त हैं। उनसे शीतयोनि वाले जीव अनंत गुणा हैं क्योंकि सभी अनंतकायिक (निगोद-सूक्ष्म और साधारण) शीतयोनि वाले होते हैं और वे सिद्धों से अनन्त गुणा हैं। ..
सचित्त आदि तीन योनियाँ कइविहा णं भंते! जोणी पण्णत्ता? गोयमा! तिविहा जोणी पण्णत्ता। तंजहा - सचित्ता, अचित्ता, मीसिया॥३४६॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! योनि कितने प्रकार की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! योनि तीन प्रकार की कही गयी है। वह इस प्रकार हैं - १. सचित्त योनि २. अचित्त योनि और ३. सचित्ताचित्त योनि (मिश्र योनि)।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में दूसरी प्रकार से योनि के भेद बताये गये हैं - तीन प्रकार की योनि कही गई है -
१. सचित्त योनि - जीव प्रदेशों से सम्बद्ध योनि सचित्त योनि कहलाती हैं। २. अचित्त योनि - जो योनि सर्वथा जीव रहित हो वह अचित्त योनि है और
३. सचित्ताचित्त योनि (मिश्र योनि) - जो योनि अंशतः जीव प्रदेश सहित और अंशतः जीव प्रदेश रहित हो यानी सचित्त और अचित्त उभय रूप हो वह सचित्ताचित्त योनि (मिश्रयोनि) कहलाती है।
नैरयिक आदि में सचित्त आदि तीन योनियाँ णेरइयाणं भंते! किं सचित्ता जोणी, अचित्ता जोणी, मीसिया जोणी? गोयमा! णो सचित्ता जोणी, अचित्ता जोणी. णो मीसिया जोणी।
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