Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
उत्तर - हे गौतम! जीव सत्य भाषा भी बोलते हैं, मृषा भाषा भी बोलते हैं, सत्यामृषा भाषा भी बोलते हैं और असत्यामृषा भाषा भी बोलते हैं ? ___णेरइया णं भंते! किं सच्चं भासं भासंति जाव असच्चामोसं भासं भासंति?
गोयमा! णेरइया णं सच्चं वि भासं भासंति जाव असच्चामोसं वि भासं भासंति। एवं असुरकुमारा जाव थणियकुमारा। बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिया य णो सच्चं०, णो मोसं०, णो सच्चामोसं भासं भासंति, असच्चामोसं भासं भासंति। .
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! क्या नैरयिक सत्य भाषा बोलते हैं, मृषा भाषा बोलते हैं, सत्यामृषा भाषा बोलते हैं अथवा असत्यामृषा भाषा बोलते हैं ? ___उत्तर - हे गौतम! नैरयिक सत्य भाषा भी बोलते हैं, मृषा भाषा भी बोलते हैं, सत्यामृषा भाषा भी बोलते हैं और असत्यामृषा भाषा भी बोलते हैं।
इसी प्रकार असुरकुमारों से लेकर यावत् स्तनितकुमारों तक समझ लेना चाहिए।
बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय और चउरिन्द्रिय जीव न तो सत्य भाषा बोलते हैं न मृषा भाषा बोलते हैं न ही सत्यामृषा भाषा बोलते हैं किन्तु वे असत्यामृषा भाषा बोलते हैं। ___पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिया णं भंते! किं सच्चं भासं भासंति जाव असच्चामोसं भासं भासंति?
गोयमा! पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिया णो सच्चं भासं भासंति, णो मोसं भासं भासंति, णो सच्चामोसं भासं भासंति, एगं असच्चामोसं भासं भासंति, णण्णत्थ सिक्खापुव्वगं उत्तरगुणलद्धिं वा पडुच्च सच्चं वि भासं भासंति, मोसं वि भासं भासंति, सच्चामोसं वि भासं भासंति, असच्चामोसं वि भासं भासंति। मणुस्सा जाव वेमाणिया एए जहा जीवा तहा भाणियव्वा॥ ३९४॥
कठिन शब्दार्थ - सिक्खापुव्वगं - शिक्षा पूर्वक, उत्तरगुणलद्धिं - उत्तर गुण लब्धि।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! क्या पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव सत्य भाषा बोलते हैं यावत् असत्यामृषा भाषा बोलते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव सत्य भाषा, मृषा भाषा और सत्यामृषा भाषा नहीं बोलते हैं किन्तु एक असत्यामृषा भाषा बोलते हैं सिवाय शिक्षा पूर्वक या उत्तर गुण लब्धि की अपेक्षा से सत्य भाषा भी बोलते हैं, मृषा भाषा भी बोलते हैं, सत्याभूषा भाषा भी बोलते हैं तथा असत्यामृषा भाषा भी बोलते हैं।
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